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Beyond Closure: Rohith Vemula’s Case Reshapes India’s Justice Narrative

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आदिवासी बीज है जिस पर आप जितना मिट्टी डालोगे, वो पौधा बनकर वापस बीज देगा- कल्पना सोरेन

गिरिडीह: कल्पना मुर्मु सोरेन के पति, पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, भले जेल में हैं, पर झारखंड मुक्ति मोर्चा नेत्री पूरे आत्मविश्वास से कहती हैं कि आदिवासी एक बीज है जिस पर आप जितना मिट्टी डालोगे, वो पौधा बनकर वापस बीज देगा और ये भी दावा करती हैं कि जल्द देश को आदिवासी नेतृत्व मिलेगा।ए

मार्च 4 को जब कल्पना सोरेन झारखंड की राजनीति में सक्रिय हुई थी तो हेमंत सोरेन की पत्नी के आँखों में आँसू थे। दो महीने गुजरने के बाद जब मई 4 को ईन्यूज़रूम से उनकी मुलाकात हुई तो वो आत्मविश्वास से लबरेज थी। चेहरे पर मुस्कान लिए हुए, माथे पर हरी बिंदी वो एक सशक्त महिला की तस्वीर पेश कर रही थीं।

48 साल की कल्पना सोरेन ने इंजीनियरिंग और एमबीए की पढ़ाई की हैं, वो चार जुबानों—हिन्दी, इंग्लिश, उड़िया और बंगला में बात कर सकती हैं। पिछले 60 दिनों के राजनीतिक सक्रियता में ये साफ दिखा कि वो बहुत जल्द राजनीति के सभी पहलू को सीख रही हैं। पत्रकारों के जटिल से जटिल सवालों के जवाब दे रही और अपने मतदाताओं के बीच ज्यादा से ज्यादा समय दे रहीं। पढ़ें उनका ये इंटरव्यू।

ईन्यूज़रूम: आपको देखने और बात करने से एक सशक्त महिला की झलक मिलती है, सशक्तिकरण के पीछे सोरेन परिवार का कितना रोल है? और ये भी बताएं कि दो महीने का राजनीतिक अनुभव कैसा रहा?

कल्पना सोरेन: बाबा (शिबू सोरेन) का जो वर्षों परिश्रम रहा है, उन्होंने ने जो इतने वर्षो में किया है और हेमंत जी ने जितना झारखंड वासियों को जाना है उनलोगों ने मुझे यही सीख दी कि आप हमेशा आत्मसम्मान और स्वाभिमान के साथ रहिए। क्योंकि आपको कुचलने का बहुत बार प्रयास किया जाएगा, जैसा बाबा के साथ भी किया गया और हेमंत जी के साथ किया जा रहा था। उन्होंने मुझसे कहा कि अगर आप निडर हैं और आप जो आप बोलती हैं वह करना चाहती हैं उस के लिए आपको कॉन्फिडेंट रहना होगा। उनकी जो प्यार और शिक्षा रही है, उसमें ये सबसे महत्वपूर्ण हैं।

जहाँ तक बात दो महीने में मेरा राजनीति में कैसा अनुभव रहा। परिश्रम हर कोई कर रहा है, मैं भी कर रही हूँ। मेरे लिए सब चीज पहली बार है, हर चीज नया है। मेरे लिए कोई सजी सजाई चीजें नहीं हैं। मैं सीख रही हूँ। मैं कोशिश यही करूंगी के जितना अच्छा इसमें कर सकूँगी, वो करूंगी, लोगों की जो आकांक्षाएं मुझसे है, वो पूरा कर सकूँ।

देखे कल्पना सोरेन का इंटरव्यू

ईन्यूज़रूम: क्या आपको लगता है कि देश में आदिवासी नेतृत्व को पनपने नहीं दिया जाता है, पहले शिबू सोरेन को मंत्री रहते जेल जाना पड़ा और अब हेमंत सोरेन जो अच्छे बहुमत से आए थे पर अब जेल में हैं?

कल्पना सोरेन: “जब हमारे देश ने आज़ादी का सपना भी नहीं देखा था, तब हमारे जितने भी क्रांतिकारी थे, बाबा तिलका मांझी, बिरसा मुंडा, सिद्धों कानू, फूलो और झानो तब इन लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ हथियार उठाया था। जब हथियार उठाया था उस वक़्त वो लोग जंगल में रहते थे। ये सोच की बात है, कि आपकी परवरिश कैसी है। आप झुकना जानते हैं या नहीं और आपका डीएनए क्या कहता है। मैं हमेशा ये कहती हूँ कि आदिवासी का डीएनए ऐसा है कि वो झुकना स्वीकार ही नहीं कर सकता है। तो जब बाबा तिलका माँझी नहीं झुके, गुरुजी नहीं झुके, हेमंत जी नहीं झुके तो मुझे हमेशा ये लगता है कि आदिवासियों को दबाना का प्रयास किया जाता है। लेकिन मैं ये जानती हूँ कि आदिवासी एक बीज है जिसपे आप जितना मिट्टी डालोगे, वो पौधा बनकर फिर निकलेगा और जब उसमें फल आएगा तो वापस और बीज देगा।

और जहाँ तक देश को आदिवासी नेतृत्व की बात है तो जल्द वो समय आयेगा कि देश को कोई न कोई आदिवासी नेतृत्व जरूर मिलेगा।

ईन्यूज़रूम: चूँकि गाण्डेय विधानसभा की महिला मतदाताओं से लेकर देश की बहुत सारी महिलाएं आपको ध्यान से देख-सुन रही हैं, तो क्या उनको कुछ कहना चाहेंगी?

कल्पना सोरेन: मैं गाण्डेय की महिलाओं से अपील करती हूँ कि मुझे एक मौका दिया जाये। मैं अपना घर, परिवार छोड़ कर आई हूँ और गाण्डेय को अपना घर बनाना चाहती हूँ। आपके लिए काम करना चाहती हूँ। और मैं सिर्फ माताओं और बहनों के लिए नहीं बल्कि सभी वर्गों, इंसानों के लिए काम करना चाहती हूँ।

Empowered and Engaged: Kalpana Soren’s Political Resilience

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Giridih: Kalpana Murmu Soren’s husband and former Chief Minister, Hemant Soren, maybe in jail, but the Jharkhand Mukti Morcha leader confidently says that tribals are like a seed on which no matter how much soil you put on it, it will turn into a plant and give seeds back. She also claims that hopefully, the country will soon get tribal leadership.

On March 4, when Kalpana Soren became active in politics, Hemant Soren’s wife had tears in her eyes. When she met eNewsroom on May 4, after two months, she was full of confidence. With a smile on her face and a green dot on her forehead, she was presenting the picture of an ’empowered woman’.

38-year-old Kalpana Soren has studied engineering and MBA, she can speak in four languages ​​– Hindi, English, Oriya and Bengali. In the last 60 days of being active in politics, it was visible that she is learning fast all aspects of politics. Answering the most complex questions of journalists and spending maximum time among her voters. Read her interview.

eNewsroom: Seeing and talking to you gives a glimpse of an empowered woman, how much role does the Soren family have in your empowerment? And also share your political experience so far.

Kalpana Soren: The hard work that Baba (Shibu Soren) has done over the years and the amount of time Hemant ji has spent to know the people of Jharkhand, they have taught me that you should always live with dignity and confidence. Because attempts will be made to crush you, as it was done with Baba and is being done with Hemant jiHe told me that if you are fearless and you want to do what you say, you have to be confident in it. These are the most important things in his love and education.

As far as my experience in politics in the last two months is concerned, everyone is working hard and I am also doing it. Everything is a first for me, everything is new. There is nothing tailor-made for me. I am learning. I will try to do the best I can. And to fulfill the expectations people have of me.

Watch Kalpana Soren’s interview

eNewsroom: Do you think that tribal leadership is not allowed to flourish in the countryfirst Shibu Soren had to go to jail when he was a minister and now Hemant Soren who came to power with a majority but landed in jail?

Kalpana Soren: When our country had not even dreamt of independence, all our revolutionaries like Baba Tilka Manjhi, Birsa Munda, Sidho Kanho, Phulo and Jhanno had taken up arms against the British. When they took up arms, they used to live in the forest. It is a matter of thinking, how is your upbringing? Whether you know how to bow or not. And what your DNA says. I always say that the DNA of the tribal is such that it cannot accept bowing down before anyone. So when Baba Tilka Manjhi did not bow down, Guruji did not and Hemant ji did not bow down, then I always felt that an attempt was being made to suppress the tribals. But I know that Adivasi is a seed on which no matter how much soil you put on it, it will emerge as a plant and when it bears fruit, it will give more seeds.

As far as tribal leadership in the country is concerned, the time will soon come when the country will get some tribal leadership.

eNewsroom: Since many women, as well as women voters of the Gandey assembly, are watching and listening to you attentively, would you like to say something to them?

Kalpana Soren: I appeal to the women of Gandey to give me a chance. I have left my home and family and want to make Gandey my home. Want to work for you. And I want to work not just for mothers and sisters but for all human beings.

आदिवासी बीज है जिस पर आप जितना मिट्टी डालोगे, वो पौधा बनकर वापस बीज देगा- कल्पना सोरेन

जाति से है प्यार, पर जाति जनगणना से इन्कार: यूपी के उपमुख्यमंत्री ने पीएम की जाति बता वोट मांगा

गिरिडीह: यदि आप सोचते हैं कि यह केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं जो अपने तीसरे कार्यकाल के लिए वोट माँगते वक़्त पिछले दस वर्षों के काम का ज़िक्र नहीं कर रहें हैं, तो मिलिये देश की शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी से, जिन्होंने 34 महीने एक मंत्री के तौर पर पूरे कर लिए हैं, ने नामांकन रैली के दौरान अपने दस मिनट के भाषण में अपने काम के बारे में एक शब्द का भी उल्लेख नहीं किया। सांसद के तौर पर भी 5 साल पूरा कर चुकी अन्नपूर्णा, ने अपने किसी कार्य को नहीं गिनाया।

“आपको एक वोट विकसित भारत के लिए, एक वोट आत्मनिर्भर भारत के लिए, एक वोट महिला सशक्तिकरण के लिए देना है। मैं आपसे बड़ी संख्या में वोट देने की अपील कर रही हूँ। वोट करें और बाबूलाल मरांडी (भाजपा प्रदेश अध्यक्ष) और पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों को मजबूत करें। भारत माता की जय, वंदे मातरम,” उन्होंने कहा।

चुंकी कोडरमा के साथ गांडेय में भी उपचुनाव हो रहा है, इसलिए उपचुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार दिलीप वर्मा ने आज अपना नामांकन दाखिल किया। गांडेय उन छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है जो कोडरमा लोकसभा के अंतर्गत आता है। पार्टी ने दोनों उम्मीदवारों के लिए नामांकन कार्यक्रम का आयोजन किया था। लेकिन जब अन्नपूर्णा ने अपना भाषण दिया, तो उन्होंने केवल अपने लिए वोट मांगा, गाण्डेय के उम्मीदवार के लिए नहीं।

शिक्षा राज्य मंत्री कोडरमा लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो देश में शैक्षिक रूप से सबसे पिछड़े क्षेत्रों में से एक है। कोडरमा संसदीय क्षेत्र में गिरिडीह जिले के चार विधानसभा- बगोदर, गाण्डेय, जमुआ और धनवार, हजारीबाग जिले का भरकट्टा विधानसभा क्षेत्र और कोडरमा जिले का कोडरमा शामिल हैं। इस क्षेत्र में न केवल विकास के हर पायदान पर पिछड़ा है बल्कि शैक्षिक स्तर पर अति पिछड़ा है। इस क्षेत्र का एकमात्र प्रमुख शैक्षणिक संस्थान सैनिक स्कूल तिलैया है, जिसकी स्थापना 1963 में हुई थी।

राष्ट्रीय साक्षरता दर 72.98% (जनगणना 2011) की तुलना में कोडरमा में केवल 66.84% है। यहां राष्ट्रीय महिला औसत बहुत कम, 53.23% है, जबकि देश का औसत 66.63% है।

गिरिडीह जिला, जिसमें कोडरमा निर्वाचन क्षेत्र के चार विधानसभा है, में भी साक्षरता दर 63.14% है, जिसमें आधी से भी कम महिला आबादी साक्षर है (48.72%)।

नामांकन रैली में भाग लेने के लिए उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी पहुंचे। दिलचस्प बात यह है कि मौर्य ने भी मोदी सरकार के काम के बारे में ज्यादा बात नहीं की। इसके बजाय, उन्होंने दो बार प्रधानमंत्री की जाति, ओबीसी का उल्लेख किया, इस बात पर जोर देते हुए कि प्रधानमंत्री प्रतिदिन 18 घंटे काम करते हैं।

मालूम हो कि कांग्रेस पार्टी के अभियान का नेतृत्व कर रहे सांसद राहुल गांधी ने हाल ही में दावा किया था कि मोदी और उनके नेता पीएम की जाति का उल्लेख करते हैं, लेकिन जब मैं जाति जनगणना कराने की बात कहता हूं, तो वे कहते हैं कि भारत में कोई जाति नहीं है, लेकिन जब कोई जाति नहीं है, प्रधानमंत्री ओबीसी कैसे है? उन्होंने सवाल किया था.

“मैं कार्यों के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा, जैसा कि पहले वक्ताओं ने इसका उल्लेख किया था। लेकिन आप जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिन में 18 घंटे काम करते हैं, इसलिए यदि आप वोट देंगे, तो वह आपका काम करने के लिए वापस आएंगे, ”उन्होंने कहा।

मोदी सरकार के कामकाज का जिक्र करने वाले एकमात्र वक्ता प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी थे। बाबूलाल ने कहा कि पीएम मोदी ने गरीबों के लिए बहुत कुछ किया. उन्होंने कहा कि घरों और शौचालयों के निर्माण के अलावा 5 किलोग्राम राशन दिया भाजपा सरकार ने।

यह कार्यक्रम तीन घंटे से अधिक समय तक चला। अधिकांश वक्ताओं ने दो नारों का इस्तेमाल किया- जय श्री राम और भारत माता की जय या तो भाषण की शुरुआत में या अंत में या दोनों अवसरों पर। और मोदी सरकार के दो कामों- राम मंदिर निर्माण और कश्मीर से धारा 370 हटाने के बारे में बात की।

इंडिया गठबंधन उम्मीदवार विनोद सिंह, जिन्होंने मई दिवस पर नामांकन किया था, का मुकाबला एनडीए प्रत्याशी अन्नपूर्णा देवी से होगा। मतदान 20 मई को होना है।

 

ये रिपोर्ट इंग्लिश में प्रकाशित खबर का अनुवाद है।

Caste Census Not Welcome But UP Deputy CM Invokes PM’s Caste During Campaigns

Giridih: If you think it is only Prime Minister Narendra Modi who is not seeking a third term based on his work over the last ten years of his rule. Minister of State for Education Annapurna Devi, who has completed 34 months in office, did not mention a word about her work as a minister in her ten-minute-long speech during her nomination rally.

“You have to give one vote for a developed India, for self-reliant India, one vote for women empowerment. I will appeal to you to go for votes in large numbers. Vote and strengthen the hands of Babulal Marandi (BJP state president) and PM Narendra Modi. Bharat Mata ki Jai, Vande Mataram,” she said in Hindi.

As a by-election in Gandey is also taking place along with Koderma, the Bharatiya Janata Party candidate for the by-polls Dilip Verma filed his nomination today. Gandey is one of the six assembly segments that fall under the Koderma Lok Sabha. The party had organized the nomination programme for both candidates. However, when Devi gave her speech, she asked the vote for herself only and not for the Gandey candidate.

The Minister of State for Education represents the Koderma Lok Sabha constituency, which is one of the most educationally backward areas in the country. Koderma parliamentary constituency comprises four assembly segments of Giridih district- Bagodar, Gandey, Jamua and Dhanwar, Bharkatta assembly constituency of Hazaribagh district and Koderma of Koderma district. The region lacks not only development but also educational centers. The only major education institution in the region is Sainik School Tilaiya, established in 1963.

In comparison to the national literacy rate of 72.98% (Census 2011), Koderma has only 66.84%. The national female average is much lower here, at 53.23%, while the nation’s average is 66.63%.

Giridih district, which has four assembly segments of the Koderma constituency, also has a low literacy rate of 63.14%, with less than half of the female population being literate (48.72%).

Uttar Pradesh’s deputy chief minister Keshav Prasad Maurya also flew in to participate in the nomination rally. Interestingly, Maurya also did not speak much about the Modi government’s work. Instead, he mentioned the Prime Minister’s caste, OBC, twice, emphasizing that the PM works 18 hours a day.

Interestingly, Congress MP Rahul Gandhi, who is leading the party’s campaign recently claimed that Modi and his leaders mention the PM’s caste but when I say to conduct a Caste Census, they say there is no caste in India, but when there is no caste, how he is OBC? He had questioned.

 “I will not say much about the works, as earlier speakers mentioned it. But you know Prime Minister Narendra Modi works 18 hours a day, so if you vote, he will return to do your work,” he said.

The only speaker who mentioned the Modi government’s work was state president Babulal Marandi. Marandi mentioned that PM Modi did a lot for the poorHe said that giving a 5-kilogram ration to the construction of homes and toilets are the works done by the BJP government for the poor.

The event lasted over three hours. Most of the speakers used two slogans—Jai Shri Ram and Bharat Mata Ki Jai either at the beginning of the speech at the end or on both occasions. And talked about two works of the Modi government– construction of the Ram Temple and the removal of Article 370 from Kashmir.

INDIA block candidate Vinod Singh will take on NDA candidate Annapurna Devi. The polling is scheduled for May 20.

विनोद सिंह झारखंड के गरीबों, मजदूरों, शोषितों एवं वंचितों की आवाज हैं- मुख्यमंत्री

गिरिडीह: मई दिवस के मौके पर विनोद सिंह ने कोडरमा प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन दाखिल किया। नामांकन सभा में जहाँ एक ओर तमाम वक्ताओं ने केंद्र की भाजपा सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर प्रहार किया वही विनोद सिंह के एक विधायक के रूप में काम की भूरी-भूरी प्रशंसा की।

विनोद सिंह के नामांकन में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी और गाण्डेय उपचुनाव प्रत्याशी कल्पना सोरेन मौजूद रहीं। बाद में सभा में मुख्यमंत्री चंपई सोरेन, मंत्री आलमगीर आलम, सत्यानंद भोक्ता, राजेश ठाकुर सहित कई जेएमएम, कांग्रेस, आरजेडी और आम आदमी पार्टी के नेता मौजूद रहे।

भाजपा का चुनावी वादा, जुमला- चंपई

नामांकन सभा को संबोधित करते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि विनोद सिंह झारखंड के गरीबों, मजदूरों, शोषितों, वंचितों की आवाज हैं। कोडरमा लोकसभा से इनको जिता कर संसद भेजना जरूरी है। भाजपा की सरकार ने जनता से झूठ बोला, अपना कोई भी वादा पूरा नहीं किया। 2 करोड़ नौजवानों को हर साल रोजगार देने का वादा किया था वो भी वादा पूरा नहीं हुआ। चुनाव में वो वादा तो करते हैं लेकिन वह जुमला साबित होता है। इसलिए यह आपके पास इस सरकार को बदलने मौका है।

10 साल की मोदी सरकार, 4 साल की हेमंत सरकार के कामों से डर गई- कल्पना

सभा को संबोधित करते हुए कल्पना सोरेन ने कहा, विनोद सिंह जितने ऊंचे कद और आवाज़ के मालिक है, उससे कहीं ज्यादा ऊंची उनकी सोच है, इसलिए कोडरमा से इस बार इनको जिता कर संसद पहुंचाएं।

कल्पना ने भाजपा पर वार करते हुए कहा, “10 साल की मोदी सरकार, 4 साल की हेमंत सरकार के कामों से डर गई, इसलिए ठीक इलेक्शन से पहले हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया गयाअब इसका जवाब वोट से देना है।”

ये देश बचाने का चुनाव- दीपांकर

भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा यह देश को बचाने का चुनाव है। देश का संविधान, लोकतंत्र, भाईचारा सब खतरे में है इसलिए अबकी बार अपना वोट उसकी हिफाजत के लिए कीजिए। गांव-गांव में जाइए, बूथों पर जाइए और इस लड़ाई में पूरी ताकत झोंक दीजिए।

राष्ट्रीय महासचिव ने चुनाव आयोग के अभी तक के रोल पर भी सवाल उठाया और कहा कि जैसा राजीव कुमार ने कहा था कि सबको लेवल फ़्लाइंग फील्ड मिलेगा वैसा नहीं हो रहा और प्रधानमंत्री के हेट स्पीच पर आयोग चुप रहा।

यह चुनाव कोडरमा की जनता की आकांक्षाओं व सपनों को पूरा करने का है: विनोद सिंह

सभा को संबोधित करते हुए इंडिया गठबंधन से माले प्रत्याशी विनोद सिंह ने कहा कि पिछले दस सालों में कोडरमा लोकसभा की जनता की आकांक्षाओं और सपनों के साथ धोखा हुआ है। लोग ठगे महसूस कर रहे हैं। इसलिए यह चुनाव कोडरमा की जनता के सपनों व आकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ने का चुनाव है।

इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार ने ये भी कहा, “जो सरकार कहती है कि 56 इंच का सीना है, वो प्रवासी भारतीयों के लिए कंपनियों से एक एमओयू तक साइन नहीं कर पाती है।”

कोडरमा लोकसभा उम्मीदवार ने मीडिया को दिये अपने बयान को सभा में भी दुहराया कि क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या लोगों का पलायन है और केंद्र सरकार के पास इसको लेकर कोई योजना नहीं। कोई फंस जाए, बीमार हो जाए या मौत हो जाए तो, सरकार के पास ऐसी कोई योजना नहीं जिससे ऐसे आप्रवासी नागरिकों के मामलों में तुरंत कारवाई कर सके।

विनोद सिंह ने अपने पिता महेंद्र सिंह के लफ्जों में भी बात रखी और कहा, “हम महेंद्र सिंह के शब्दों में एक बात आपसे कहना चाहते हैं कि हमारे साथी जेल जा सकते हैं, मारे जा सकते हैं लेकिन आपकी लड़ाइयों के साथ गद्दारी नहीं कर सकते। इस बार झंडे पर तीन तारा निशान पर बटन दबाइए और कोडरमा में माले को विजय बनाइये।”

इन वक्ताओं के अलावे सभा को राज्यसभा सांसद डॉक्टर सरफराज अहमद ने कहा कि आज देश की जरूरत है भाजपा को जड़ से उखाड़ फेंकने की इसलिए आप सभी अपने-अपने बूथ में जीत दर्ज़ करें।

पूर्व विधायक राजकुमार यादव, कोडरमा सांसद अन्नपूर्णा देवी पर जम कर बरसे और कहा, अन्नपूर्णा ने लालू प्रसाद यादव, जिन्होंने उसे राजनीति में सब कुछ दिया एमएलए और मंत्री तक बनाया उस लालू प्रसाद यादव को धोखा देने का काम किया है।

सभा की अध्यक्षता राजद नेता गौतम सागर राणा और संचालन राजेश यादव व जयंती चौधरी ने संयुक्त रूप से किया।

मतदाताओं के आकांक्षाओं को साकार करते हैं कोडरमा इंडिया गठबंधन प्रत्याशी विनोद सिंह!

कोडरमा: महेंद्र सिंह, कोडरमा लोकसभा क्षेत्र के प्रत्याशी विनोद सिंह के पिता एवं बगोदर से लगातार तीन बार विधायक रह चुके सीपीआईएमएल के नेता ये मानते थे की किसी भी क्षेत्र के प्रतिनिधि को इसी क्षेत्र का नागरिक भी होना चाहिए। पिता की हत्या के बाद, विनोद सिंह भी तीन बार विधायक चुने गए पर कभी खंभरा गाँव के अलावा दूसरी जगह (किसी शहरी इलाके) में कोई मकान नहीं बनाया।

विनोद सिंह जिनको अब राजनीति में आए दो दशक हो गए हैं, उनके बारे में लोग मानते हैं की महेंद्र सिंह के बहुत सारे गुण उनमे है, वहीं, महेंद्र सिंह, जिनहोने वैसे तो कई किताबें लिखी थी, पर औपचारिक शिक्षा ज्यादा हासिल नहीं कर पाये थे, पर विनोद देश के सबसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में से एक बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नाकोत्तर तक की पढ़ाई किए हुए हैं।

पिता की हत्या के बाद अचानक सक्रिय राजनीति में आए, समाज शास्त्र के छात्र ने जब राजनीति में कदम रखा तो पीछे मुड़ कर नहीं देखा। इसी साल जब झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इस्तीफा देना पड़ा तो उसके बाद नए सरकार के गठन में राज्यपाल के साथ गठबंधन की टीम में बगोदर विधायक का शामिल होना, राज्य के लोगों के साथ-साथ विपक्षी दलों को इस बात का संदेश दे गया के प्रदेश के सबसे अच्छे संविधान के जानकार व्यक्ति के साथ होने से गठबंधन की सरकार को दुबारा बनने से नहीं रोका जा सकेगा।

मतदाताओं के आकांक्षाओं पर खरा उतरते हैं इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार

भारत के हर मतदाता की हमेशा यही मांग रहती है की उनका प्रत्याशी नौजवान हो, पढ़ा-लिखा हो, ईमानदार एवम कर्मठ हो।

“सीपीआईएमएल नेता की छवि बेदाग है। काम लेने और करवाने की कला भी उन्हें आती है। चाहे राशन डीलर का मामला हो या चीफ़ सेक्रेटरी से काम हो, देश के बाहर फंसे आप्रवासी नागरिकों को अपने व्यक्तिगत तौर पर वापस लाना हो, कोविड लॉकडाउन में हेमंत सोरेन सरकार के साथ-साथ सोनू सूद के सहयोग से भी अपने इलाके के नागरिकों को घर ले आना और कानून तथा संविधान की अच्छी समझ इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार को दूसरों से अलग बनाता है,” झारखंड के सामाजिक कार्यकर्ता सिराज दत्ता ने कहा।

तीन बार के विधायक ने हमेशा शिक्षा को महत्व दिया और अपने इलाके में साइन्स कॉलेज की स्थापना की। जब वो उत्कृष्ट विधायक से झारखंड विधानसभा में सम्मानित हुए तो उस राशि को भी शिक्षा के लिए दान कर दिये थे।

शायद यही वजह भी है कि जब से उनके नाम की घोषणा हुई, न सिर्फ कोडरमा के मतदाताओं में उत्साह देखा जा रहा है, बल्कि झारखंड के कई हिस्सों और कोलकाता, दिल्ली से लोग भी उनके प्रचार के लिए आ रहें है। वहीं उनके लिए वोट करने देश भर में फैले कोडरमा क्षेत्र के अप्रवासी नागरिक और बड़ी संख्या में मुंबई में रह रहे अप्रवासी भी वोट देने आएंगे। इसकी चर्चा लोग विभिन्न सोशल मीडिया ग्रुप्स और पेजेस में कर रहें हैं।

विनोद सिंह आज मजदूर दिवस पर कोडरमा लोकसभा प्रत्याशी के लिए अपना नामांकन करेंगे।

বিনোদ সিং ঝাড়খণ্ডের দরিদ্র, শ্রমিক, শোষিত ও বঞ্চিত মানুষের কণ্ঠস্বর – মুখ্যমন্ত্রী

গিরিডি: মে দিবস উপলক্ষে কোডারমা প্রার্থী হিসেবে মনোনয়ন জমা দিলেন বিনোদ সিং। মনোনয়ন সভায় একদিকে যেখানে সমস্ত বক্তারা কেন্দ্রের বিজেপি সরকার এবং প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদীকে কড়া আক্রমণ করেছেন, অন্যদিকে বিধায়ক হিসাবে বিনোদ সিংয়ের কাজের প্রশংসাও করেছেন।

বিনোদ সিংয়ের মনোনয়নে উপস্থিত ছিলেন প্রাক্তন মুখ্যমন্ত্রী হেমন্ত সোরেনের স্ত্রী ও গাণ্ডে উপনির্বাচনের প্রার্থী কল্পনা সোরেন। পরে, মুখ্যমন্ত্রী চম্পাই সোরেন, মন্ত্রী আলমগীর আলম, সত্যানন্দ ভোক্তা, রাজেশ ঠাকুর এবং অনেক জেএমএম, কংগ্রেস, আরজেডি এবং আম আদমি পার্টির নেতারা বৈঠকে উপস্থিত ছিলেন।

বিজেপির নির্বাচনী প্রতিশ্রুতি, চম্পাই

মনোনয়ন সভায় ভাষণ দিতে গিয়ে ঝাড়খণ্ডের মুখ্যমন্ত্রী চম্পাই সোরেন বলেছেন যে বিনোদ সিং ঝাড়খণ্ডের দরিদ্র, শ্রমিক, শোষিত ও বঞ্চিত মানুষের কণ্ঠস্বর। কোডারমা লোকসভা আসন থেকে তাকে নির্বাচন করে সংসদে পাঠানো দরকার। বিজেপি সরকার জনগণের কাছে মিথ্যা বলেছে এবং তার কোনো প্রতিশ্রুতি পূরণ করেনি। প্রতিবছর ২ কোটি যুবককে কর্মসংস্থান দেওয়ার প্রতিশ্রুতিও পূরণ হয়নি। তারা নির্বাচনে প্রতিশ্রুতি দিলেও তা পরিণত হয় নিছক বক্তব্য। অতএব, এই সরকার পরিবর্তনের এটাই আপনার সুযোগ।

10 বছরের মোদী সরকার, 4 বছরের হেমন্ত সরকারের কর্মকাণ্ডে ভীত – কল্পনা

সমাবেশে বক্তব্য দিতে গিয়ে কল্পনা সোরেন বলেন, বিনোদ সিং-এর চিন্তা-চেতনা তাঁর উচ্চতা ও কণ্ঠস্বরের চেয়ে অনেক বেশি, তাই তাঁকে এবার কোডারমা থেকে জয়ী করে সংসদে পাঠান।

বিজেপিকে আক্রমণ করে কল্পনা বলেন, “10 বছরের মোদী সরকার 4 বছরের হেমন্ত সরকারের কর্মকাণ্ডে ভীত ছিল, সে কারণেই নির্বাচনের ঠিক আগে হেমন্ত সোরেনকে গ্রেপ্তার করা হয়েছিল। এখন ভোটের মাধ্যমে এর জবাব দিতে হবে।”

এটা দেশকে বাঁচানোর নির্বাচন-দীপঙ্কর

সিপিআই (এমএল) জাতীয় সাধারণ সম্পাদক দীপঙ্কর ভট্টাচার্য বলেছেন যে এটি দেশকে বাঁচানোর নির্বাচন। দেশের সংবিধান, গণতন্ত্র ও ভ্রাতৃত্ব সবই হুমকির মুখে, তাই এবার তা রক্ষায় ভোট দিন। প্রতিটি গ্রামে যান, বুথে যান এবং আপনার সমস্ত শক্তি এই লড়াইয়ে লাগান।

জাতীয় সাধারণ সম্পাদক এ পর্যন্ত নির্বাচন কমিশনের ভূমিকা নিয়েও প্রশ্ন তুলেছেন এবং বলেছেন যে রাজীব কুমার যেভাবে বলেছিলেন যে সবাই সমান ফ্লাইং ফিল্ড পাবে, তা হচ্ছে না এবং কমিশন প্রধানমন্ত্রীর বিদ্বেষমূলক বক্তব্যে নীরব রয়েছে।

এই নির্বাচন কোডারমা জনগণের আশা-আকাঙ্খা ও স্বপ্ন পূরণ করতে: বিনোদ সিং

সমাবেশে ভাষণ দিতে গিয়ে ইন্ডিয়া অ্যালায়েন্সের এমএলএ প্রার্থী বিনোদ সিং বলেন, গত দশ বছরে কোডারমা লোকসভার জনগণের আশা-আকাঙ্খা ও স্বপ্নের সঙ্গে বিশ্বাসঘাতকতা করা হয়েছে। মানুষ প্রতারিত বোধ করছে। তাই এই নির্বাচন কোডারমাবাসীর স্বপ্ন ও আকাঙ্খা পূরণের পথে এগিয়ে যাওয়ার নির্বাচন।

ইন্ডিয়া অ্যালায়েন্সের প্রার্থী আরও বলেছিলেন, “যে সরকার বলে যে তাদের 56 ইঞ্চি বুক রয়েছে তারা এনআরআইদের জন্য সংস্থাগুলির সাথে একটি এমওইউ স্বাক্ষর করতেও সক্ষম নয়।”

কোডারমা লোকসভার প্রার্থী মিটিংয়ে মিডিয়ার কাছে দেওয়া তার বিবৃতিও পুনর্ব্যক্ত করেছেন যে এলাকার সবচেয়ে বড় সমস্যা হল মানুষের স্থানান্তর এবং কেন্দ্রীয় সরকারের এ বিষয়ে কোনও পরিকল্পনা নেই। কেউ আটকা পড়লে, অসুস্থ হয়ে পড়লে বা মারা গেলে, এই ধরনের অভিবাসী নাগরিকদের ক্ষেত্রে সরকারের তাৎক্ষণিক ব্যবস্থা নেওয়ার কোনো পরিকল্পনা নেই।

বিনোদ সিংও তার বাবা মহেন্দ্র সিংয়ের কথার প্রতিধ্বনি করে বলেছিলেন, “আমরা মহেন্দ্র সিংয়ের কথায় একটা কথা বলতে চাই যে আমাদের কমরেডরা জেলে যেতে পারে, মারা যেতে পারে কিন্তু আপনার যুদ্ধে বিশ্বাসঘাতকতা করতে পারে না। এইবার পতাকার তিন তারকা চিহ্নের বোতাম টিপুন এবং কোডারমাতে পুরুষকে বিজয়ী করুন।”

এই বক্তাগুলি ছাড়াও রাজ্যসভার সাংসদ ড. সরফরাজ আহমেদ সমাবেশে বলেছিলেন যে আজ দেশকে বিজেপিকে তার শিকড় থেকে উপড়ে ফেলতে হবে, তাই আপনাদের সকলের নিজ নিজ বুথে বিজয় নিবন্ধন করা উচিত।

প্রাক্তন বিধায়ক রাজকুমার যাদব কোডারমার সাংসদ অন্নপূর্ণা দেবীকে কটাক্ষ করেছেন এবং বলেছেন, অন্নপূর্ণা লালু প্রসাদ যাদবকে বিশ্বাসঘাতকতা করেছেন, যিনি তাকে রাজনীতিতে সর্বস্ব দিয়েছেন, এমনকি তাকে বিধায়ক ও মন্ত্রী বানিয়েছেন।

সভায় সভাপতিত্ব করেন আরজেডি নেতা গৌতম সাগর রানা এবং যৌথভাবে পরিচালনা করেন রাজেশ যাদব ও জয়ন্তী চৌধুরী।

 

এটি ইংরেজিতে প্রকাশিত প্রতিবেদনের একটি অনুবাদ

‘সব কা সাথ, সব কা বিকাশ “থেকে শুরু করে বিভাজক রাজনীতি: একজন মুসলিম নারীর দৃষ্টিভঙ্গি

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মাননীয় প্রধানমন্ত্রী,
না, আমি অনুপ্রবেশকারী নই। এবং এটাও পরিষ্কার করে জানিয়ে রাখা ভালো আমার পরিবারের কেউ অনুপ্রবেশকারী নয়। বরং যাঁকে আপনি, মানে আপনার সরকার এই বছর ভারতরত্ন দিল, সেই বাবরি মসজিদ ভাঙায় নেতৃত্ব দেওয়া লালকৃষ্ণ আডবানি ভারতে এসে নাগরিকত্ব নেওয়ার আগে থেকেই আমার পূর্বপুরুষরা এদেশে বাস করতেন। এবং আপনার ও আপনার পরামর্শদাতাদের জেনে রাখা ভালো, আমার পূর্বপুরুষরা মুঘলদের অনেক আগে এদেশে এসে পৌঁছেছিলেন। কিন্তু ভারতবর্ষের একজন সাধারণ মুসলিম হিসেবে আমি প্রতিদিন বিস্মিত হচ্ছি, প্রতিদিন আপনি আপনার জনসভা থেকে কীভাবে আমাদের, ভারতীয় মুসলিমদের প্রতি এইরকম ‘বিদ্বেষমূলক’ ভাষণ দিচ্ছেন? যদি আমি ধরেও নিই, আপনি এবং আপনার দল ভারতবর্ষকে ‘হিন্দুরাষ্ট্র’ ঘোষণা করতে চান, এবং আমাদের ‘দ্বিতীয়’ শ্রেণির নাগরিক হিসেবে দেখতে চান, তাহলেও কি কোনও দেশের দ্বিতীয় শ্রেণির নাগরিকদের প্রতি এইরকম ঘৃণা ভরা শব্দ উচ্চারণ করা যায়? আপনি, হ্যাঁ, আপনি যদি প্রধানমন্ত্রী হিসেবে, দেশের শীর্ষপদে থেকে আমাদের, মানে মুসলিমদের প্রতি এইরকম ঘৃণাভাষণ দেন, তাহলে আপনার দলের নীচুতলার কর্মীরা বা বিজেপি সমর্থকরা ঠিক কী আচরণ করবে? আপনার বক্তব্য কি আসলে সাধারণ মানুষকে মুসলিমদের বিরুদ্ধে ক্ষেপিয়ে তুলবে না? এরপরে কি গণপিটুনি বা কারো ফ্রিজে গো-মাংস লুকিয়ে রাখা হয়েছে এই সন্দেহে বাড়িতে ঢুকে মুসলিমদের পিটিয়ে মারার ঘটনা বাড়বে না?

মাননীয় প্রধানমন্ত্রী, আমাদের কিছু প্রতিবেশী দেশে এবং ইউরোপ-আমেরিকাতেও কাজ করার সূত্রে আমি আপনার বক্তৃতা শুনে হতবাক হয়ে গিয়েছি! এরপরে আর কোনও প্রতিবেশী মুসলিম দেশের ছাত্র-ছাত্রীকে আপনি ভারত সরকারের স্কলারশিপ দিয়ে ভারতে পড়তে ডেকে আনতে উৎসাহ দিতে পারবেন তো? এমনিতেই প্রতিবেশী দেশে গেলে আমাদের শুনতে হয়, আজকাল তো তোমাদের ভারতবর্ষে মুসলিম ভেবে পিটিয়ে মারা হয়, হিজাব পরে শিক্ষাপ্রতিষ্ঠানে গেলে তাড়া করা হয়, আপনার মুসলিমদের নিশানা করার পরে কোনও প্রতিবেশী দেশে গিয়ে আমরা ভারতীয় হিসেবে মাথা উঁচু করে কথা বলতে পারব? ইউরোপ-আমেরিকায় শুনেছি, তাঁরা প্রশ্ন করেছেন, ‘তোমাদের ওখানে তো গো-মাংস খেলে পিটিয়ে মারা হয়?’ আপনি এবং আপনার মন্ত্রিসভার সহকর্মীরা যেভাবে শুধু আমিষ খাওয়ার কারণে মানুষকে নিশানা করেছেন, এরপরে কী জবাব দেব একজন ভারতীয় হিসেবে?

মাননীয় নরেন্দ্র মোদি, আপনি যখন ‘সব কা সাথ, সব কা বিকাশ’-এর স্বপ্ন দেখিয়েছিলেন, আমি বিশ্বাস করেছিলাম। আপনি বা আপনার দলের সমর্থকরা যখন ‘জয় শ্রীরাম’ বলেন, তখন আমিও ভগবান রামের প্রতি প্রণাম জানাই। আমিও শ্রীকৃষ্ণ বা শিবের প্রতি নিয়ত শ্রদ্ধা জানাই। কিন্তু তাই বলে আপনার দলের সমর্থকরা একজন মুসলিম যুবককে শুধুমাত্র ‘জয় শ্রীরাম’ স্লোগান না দেওয়ার ‘অপরাধ’-এ পিটিয়ে মারবে, এটাকে কী করে সমর্থন করি? প্রতিবেশী কোনও মুসলিম দেশে কোনও অমুসলিম যদি ‘আল্লাহ্ হো আকবর’ বলতে রাজি না হয়, তাহলে তাকে হত্যা করা যতটা অপরাধ, ভারতবর্ষে মুসলিমদের বিরুদ্ধে যে ঘৃণার পরিবেশ তৈরি করা হচ্ছে, তাও ততটাই ‘অপরাধ’। এবং দুর্ভাগ্যের বিষয়, দেশের শীর্ষপদ থেকে সেই ঘৃণা বা বিদ্বেষে প্ররোচনা দেওয়া হচ্ছে।

মাননীয় প্রধানমন্ত্রী, আপনি যখন দেশের বিভিন্ন প্রান্তে গিয়ে আমাদের, মানে মুসলিমদের নিশানা করছেন, প্রাক্তন প্রধানমন্ত্রী মনমোহন সিংহের প্রাকৃতিক সম্পদ বন্টনের বিষয়টির ভুল ব্যাখ্যা করে সাম্প্রদায়িক বিভাজন চাইছেন, ঠিক সেই সময় দেশেরই বিভিন্ন সিনেমা হলে ‘ময়দান’ নামে একটি সিনেমা চলছে। সমস্ত প্রতিকূলতা উপেক্ষা করে ফুটবল মাঠে এগারো জন ভারতীয়ের জয়গাথা রচনার অসামান্য উপাখ্যান। সেই ভারতীয় ফুটবলারদের মধ্যে কেউ শিখ ছিলেন, কেউ মুসলিম, কেউ হিন্দু। আর হ্যাঁ, ওই এগারো জন ভারতীয় ফুটবলারের কোচ ছিলেন একজন হায়দ্রাবাদি মুসলমান, দেশের মানুষ যাঁকে আজও ‘রহিম সাহেব’ সশ্রদ্ধচিত্তে স্মরণ করে। এটা আলাদা কথা রহিম সাহেব যখন এগারো জন ভারতীয় ফুটবলারকে নিয়ে এই চমকপ্রদ সাফল্য পেয়েছিলেন, তখন ভারতবর্ষের অন্য কেউ প্রধানমন্ত্রী ছিলেন। এবং সেই প্রধানমন্ত্রী দলিতদের এই ‘মিথ্যে কথা’ বলে ক্ষ্যাপানো চেষ্টা করেননি যে, তাদের সব সম্পদ আমাদের মানে মুসলিমদের মধ্যে বিলিয়ে দেওয়ার চেষ্টা করছে কোনও রাজনৈতিক দল।

মাননীয় নরেন্দ্র মোদি, আপনি যখন মুসলিমদের অনুপ্রবেশকারী আর আমিষ খাওয়ার জন্য কাঠগড়ায় তোলেন, তখন বিশ্বকাপ ফাইনালের পরে ড্রেসিং রুমে গিয়ে ভারতীয় ক্রিকেট দলের পেসার মহম্মদ শামিকে আপনার জড়িয়ে ধরার দৃশ্যটার কথা ভাবি! ভাবি, কোনটা সত্যি? ভাবি, ভারতের প্রধানমন্ত্রী, ১৪০ কোটি মানুষের দেশের প্রধানমন্ত্রী আসলে কোন বার্তাটা দিতে চাইছেন? একদিকে আপনি এবং আপনার দলের ছোট-বড়-মেজো নেতারা নিত্যদিন মুঘলদের গালি দেবেন, আবার কোনও বিদেশি রাষ্ট্রনায়ক এলে তাঁর সঙ্গে হাত ধরাধরি করে তাজমহলের সামনে ছবি তুলবেন, এর চাইতে বড় দ্বিচারিতা আর কী হতে পারে? হয় আপনার ভক্তদের বলুন তাজমহলকে নিশ্চিহ্ন করে ফেলতে, তা না হলে শুধু সিলেবাস থকে মুঘলদের পর্ব বাদ দিয়ে আপনি, বা আপনার পরামর্শদাতারা ইতিহাসকে বদলে দিতে পারবেন না।

দুর্ভাগ্যের বিষয়, দেশে ভোটে জিততে গিয়ে ক্ষমতায় টিঁকে থাকার জন্য আপনি এবং আপনার দলের সমর্থকরা যা বলেন, আসলে তার সঙ্গে আপনাদের কাজকর্মের, বা বলা চলে, বাস্তবের কোনও মিল নেই। এই যেমন আপনার অর্থনৈতিক উপদেষ্টা, বাঙালি হয়েও বাঙালিকে গাল পেড়ে দিল্লিতে বাংলো বা নীলবাতিওয়ালা গাড়ি পেতে উৎসুক সঞ্জীব সান্যাল যখন মৃণাল সেনের সিনেমা নিয়ে বাঙালিকে ‘নৈরাশ্যবাদী’ আখ্যা দেন, তখন ভুলে যান কলকাতার সেই বামপন্থী পরিচালক ‘মৃগয়া’ না বানালে বিজেপি তার ‘তারকা প্রচারক’ মিঠুন চক্রবর্তীকে কোনওদিন পেতই না!

মাননীয় প্রধানমন্ত্রী, আজকাল বিভিন্ন বক্তৃতায় আপনি আপনার রাজনৈতিক বিরোধীদের মুসলিম লীগের সঙ্গে তুলনা করেন। একজন মুসলমান হিসেবে আমি আপনাকে বিনীতভাবে কংগ্রেস সভাপতি হিসেবে সুভাষচন্দ্র বোসের সঙ্গে মহম্মদ আলি জিন্নার যে চিঠিপত্র চালাচালি হয়েছিল, তা আরেকবার দেখে নিতে অনুরোধ করব। আপনি নেহরুকে খাটো করতে গিয়ে যে নেতাজিকে মাঝেমাঝেই অবলম্বন করেন, সেই সুভাষ বোস কংগ্রেস সভাপতি হিসেবে চিঠি লিখে জিন্নাকে মনে করিয়ে দিয়েছিলেন, মুসলিম লীগ ভারতবর্ষের সব মুসলমানদের প্রতিনিধিত্ব করে না। আপনি হয়তো জানেন না, সেদিন জিন্না রোজ বলতেন কংগ্রেস হিন্দুদের দল। নেতাজি বলেছিলেন, কংগ্রেস হিন্দু-মুসলিম, সবার দল। আপনি যখন মুসলিম লীগ বলে ধর্মীয় মেরুকরণ করে শুধুমাত্র ভোটে জিতে খুশি থাকতে চান, তখন আপনাকে বিনীতভাবে বলি, ভারতের সব মুসলমান কোনওদিন মুসলিম লীগের সমর্থকও ছিল না, দেশভাগও চায়নি। যেমন আমার দাদু, সৈয়দ সিরাজ আলি, যিনি দিল্লির জামা মসজিদে দাঁড়িয়ে মৌলানা আবুল কালাম আজাদের বক্তৃতা শুনে ধর্মের ভিত্তিতে তৈরি রাষ্ট্র পাকিস্তানে না যাওয়ার সিদ্ধান্ত নিয়েছিলেন। কারণ, নেহরু থেকে আজাদ, সুভাষ বোস থেকে মহাত্মা গান্ধী সবাই ভারতবর্ষকে ‘সবার ভারত’ করে তুলতে চেয়েছিলেন।

মাননীয় প্রধানমন্ত্রী, আপনি আজ সেই ভারতবর্ষকে বদলে দিতে পারেন। বিদেশের চোখে গান্ধীর ভারতবর্ষকে, যে গান্ধীকে অনুসরণ করতেন মার্টিন লুথার কিং, কিংবা দক্ষিণ আফ্রিকার নেলসন ম্যান্ডেলা, সেই গান্ধীর ভারতবর্ষকে বদলে দিয়ে আপনি মুসলিমদের দ্বিতীয় শ্রেণির নাগরিকেও পরিবর্তিত করে দিতে পারেন। আমাদের জন্য ‘ডিটেনশন ক্যাম্প’-ও অপেক্ষায় থাকতে পারে, কিন্তু কোনও মিথ্যাভাষণই ইতিহাসকে বদলে দিতে পারবে না। শুধু ভবিষ্যতের ভারত এই দিনগুলোর জন্য লজ্জায় মাথা হেঁট করবে।

এটি ইংরেজিতে প্রকাশিত প্রতিবেদনের একটি অনুবাদ