छत्तीसगढ़: कानून का शासन चलेगा या होगी गाय के नाम पर मॉब लिंचिंग?
भारत आज बीफ निर्यात के मामले में विश्व में दूसरे स्थान पर है और विदेशी मुद्रा अर्जन का ये एक बड़ा साधन है। सभी निर्यातक कंपनियां हिंदुओं की है, जिनसे हजारों करोड़ रुपए भाजपा ने इलेक्टोरल बांड के जरिए अपने चुनाव फंड के लिए अवैध रूप से बटोरे हैं। जब हिंदुओं की बीफ कंपनियां चल सकती हैं, तो मवेशियों के व्यापार के जरिए अपनी रोजी रोटी चलाने वाले अल्पसंख्यक समुदाय पर हमला और उनकी हत्याएं किस तरह जायज ठहराई जा सकती है? बीफ कंपनियों से चुनावी चंदा लेना और गाय के नाम पर मुस्लिमों की सुनियोजित हत्याएं 'राष्ट्रवाद और राष्ट्रभक्ति' की किस श्रेणी में आती है?
रायपुर। गौ रक्षा के नाम पर मानव हत्या का जुनून अब छत्तीसगढ़ तक पहुंच गया है। स्पष्ट हत्या और कुछ हत्यारों की पहचान के बावजूद यदि मामला अज्ञात हमलावरों के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का बनाया जा रहा हो, तो ऐसा लगता है कि हत्यारों को ऊपर से ही गौ रक्षा के नाम पर मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) की छूट मिली हुई है। जिंदा बच गए एक पीड़ित ने जिन हत्यारों की पहचान की है, वे आदतन अपराधी हैं और उनके खिलाफ पहले से ही मामले दर्ज है।
गौ रक्षा के नाम पर मॉब लिंचिंग की यह घटना 6-7 जून की रात को घटी। पुलिस द्वारा छुटपुट रूप से दिए गए बयान और विभिन्न स्रोतों से टुकड़े-टुकड़े में आई जानकारियों को मिलाकर देखने से घटना की भयावहता का पता चलता है, जिसे राज्य की स्थानीय मीडिया ने बहुत ही छोटी घटना बनाकर पेश करने की कोशिश की थी। कुछ राष्ट्रीय प्रचार माध्यमों द्वारा अल्पसंख्यक विरोधी इस जघन्य कांड को उजागर करने के बाद ही छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार को इस घटना की जांच के लिए एसआईटी का गठन करना पड़ा है।
संक्षिप्त में, कुल मिलाकर घटना यह है कि कुछ पशु व्यापारियों ने महासमुंद के एक गांव से भैंसें खरीदी थीं, जिन्हें उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में रहने वाले तीन ड्राइवर ओडिशा ले जा रहे थे। तीनों ही ड्राइवर अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के थे। कुकुरमुत्तों की तरह प्रदेश में उग आए तरह तरह के गौरक्षा संगठनों में से एक संगठन से जुड़े हिंदू समुदाय के कुछ लोगों ने महासमुंद जिले के पटेवा क्षेत्र से वाहन का पीछा किया। वाहन को रोकने के लिए उन्होंने पहले से ही महानदी पुल पर कीलें बिछा रखी थी। पुलिस को पुल पर बड़ी संख्या में कीलें मिलीं हैं। भैंसों से भरे हुए ट्रक के पंक्चर होने और रुकने के बाद 15-20 लोगों के समूह ने उन पर हमला बोल दिया। तीनों की पिटाई के बाद हमलावरों ने चांद मियां और गुड्डू खान को पुल के नीचे बह रही सूखी नदी की चट्टान पर फेंक दिया, जिससे दोनों की मौत हो गई। वहीं सद्दाम की स्थिति चिंताजनक बनी हुई और उसका इलाज रायपुर के एक निजी अस्पताल में चल रहा है।
इस हमले के दौरान ही मृतक चांद मियां ने शोएब को और घायल सद्दाम ने मोहसिन को फोन किया था। चांद का फोन तो तुरंत कट गया, लेकिन मोहसिन का फोन 20 मिनट तक चला। शोएब ने बताया कि कॉल में सद्दाम को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि उसके हाथ-पैर टूट गए हैं और वह हमलावरों से उन्हें छोड़ देने की विनती कर रहा है। शोएब ने कहा कि मुझे लगता है कि सद्दाम ने कॉल के दौरान फोन जेब में रख लिया था, उसने फोन नहीं काटा था, इसलिए सब कुछ साफ सुनाई दे रहा था। इसका अर्थ यह है कि यह हमला (मॉब लिंचिंग) कम से कम एक घंटे तक चला होगा। शोएब का आरोप है कि हमलावर बजरंग दल से जुड़े हुए लोग हैं।
पुलिस ने ट्रक से 24 भैंसे बरामद की हैं और हमलावर अज्ञात अपराधियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 304, 307 के तहत मामला दर्ज किया है। राष्ट्रीय स्तर पर हल्ला मचाने के बाद अब एक एसआईटी का गठन कर दिया गया है।
टुकड़ों टुकड़ों को जोड़कर बनाए गए इस विवरण से निम्न निष्कर्ष साधारण तौर से निकाले जा सकते हैं:
1. भैंसें महासमुंद के एक गांव से खरीदी गई थी। मुस्लिम ड्राइवर इन भैंसों को ओडिशा ले जा रहे थे। यह पशु खरीदी का साफ सुथरा व्यापार है। इसके बावजूद अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े इन व्यापारियों को गौ-तस्करों के रूप में बदनाम किया जा रहा है। मीडिया की रिपोर्टिंग में इसी बात पर जोर दिया गया है। प्रशासन इस घटना को छोटा बताने का भरसक प्रयास कर रही है और भाजपा तो ऐसे हमलों पर हमेशा खामोशी बरतती है।
2. हमलावर और पीड़ित एक दूसरे को पहचानते हैं। सद्दाम ने जिन कुछ लोगों की शिनाख्त की है, वे रायपुर में रहने वाले आदतन अपराधी हैं। सद्दाम के अनुसार, ये लोग उन गाड़ियों को जाने देते हैं, जो चढ़ावा चढ़ाते है। अतः यह आशंका बलवती होती है कि चढ़ावा न चढ़ाने के कारण ही उन पर सुनियोजित रूप से हमला किया गया है और गौ तस्कर कहकर प्रचारित किया गया है।
3. हमलावर काफी दूर और काफी समय से ट्रक का पीछा कर रहे थे। यदि उनको यह आशंका थी कि गायों की तस्करी की जा रही है, तो उन्होंने कानून अपने हाथों में लेने के बजाए पुलिस को सूचित क्यों नहीं किया?
4. चूंकि यह हमला और मॉब लिंचिंग सुनियोजित थी, इसलिए हत्या भी सुनियोजित है, न कि गैर इरादतन; जैसा कि पुलिस ने मामला दर्ज किया है। गौ तस्करी का हल्ला मचाकर सरकार के संरक्षण में अल्पसंख्यक समुदाय के इन सदस्यों की हत्या को रफा-दफा करने की कोशिश की जा रही है।
सरकार की जिम्मेदारी अपने नागरिकों के जान माल की रक्षा करने की होती है। एक नजर से दिखाई देने वाले इन निष्कर्षों के आधार पर यह सवाल तो पूछा ही जाना चाहिए कि छत्तीसगढ़ में भाजपा के राज में कानून का शासन चलेगा या फिर गाय के नाम पर मॉब लिंचिंग को बढ़ावा दिया जाएगा? भारत आज बीफ निर्यात के मामले में विश्व में दूसरे स्थान पर है और विदेशी मुद्रा अर्जन का एक बड़ा साधन है। सभी निर्यातक कंपनियां हिंदुओं की है, जिनसे हजारों करोड़ रुपए भाजपा ने इलेक्टोरल बांड (Electoral Bonds) के जरिए अपने चुनाव फंड के लिए अवैध रूप से बटोरे हैं। जब हिंदुओं की बीफ कंपनियां चल सकती हैं, तो मवेशियों के व्यापार के जरिए अपनी रोजी रोटी चलाने वाले अल्पसंख्यक समुदाय पर हमला और उनकी हत्याएं किस तरह जायज ठहराई जा सकती है? बीफ कंपनियों से चुनावी चंदा लेना और गाय के नाम पर मुस्लिमों की सुनियोजित हत्याएं ‘राष्ट्रवाद और राष्ट्रभक्ति’ की किस श्रेणी में आती है?
इस भयानक सांप्रदायिक घटना पर भाजपा की चुप्पी और सरकार की निष्क्रियता से साफ है कि आने वाले दिनों में वह किस तरह का छत्तीसगढ़ गढ़ना चाहती है? भाजपा छत्तीसगढ़ को अराजकता के अंधेरे की ओर धकेलना चाहती है, जहां संविधान और कानून का नहीं, मनुस्मृति और सांप्रदायिक लठैतों का राज हो।
अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा ने उपलब्ध प्राथमिक साक्ष्यों के आधार पर सभी अपराधियों को गिरफ्तार करने और उनके खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने, मॉब लिंचिंग में मृतकों के परिवार को 50-50 लाख रुपए तथा घायल को 20 लाख रुपए का मुआवजा देने, मवेशी व्यापार को संरक्षण देने तथा व्यापारियों व उनके परिवहनकर्ताओं पर हो रहे हमलों को रोकने की मांग की है।