हेमंत सरकार झारखंड को धार्मिक उन्माद और अल्पसंख्यको पर अत्याचार की प्रयोगशाला न बनने दे: महासभा

Date:

Share post:

रांची: झारखंड की राजधानी रांची में 10 जून को भाजपा नेता नुपुर शर्मा व नवीन जिंदल के पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक बयान के विरोध प्रदर्शन में हुए हिंसा और फिर प्रदर्शनकारियो के ऊपर पुलिस फायरिंग जिसमे दो लोग मारे गए कि झारखंड जनाधिकार महासभा और भाकपा माले ने कड़ी निंदा कि है।

रांची में पुलिस फायरिंग: प्रशासन की विफलता- महासभा

झारखंड जनाधिकार महासभा, जो कई सामाजिक संगठनों का एक समूह है ने एक प्रेस ब्यान जारी कर कहा: हालाँकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में हिंसा किस प्रकार शुरू हुई। लेकिन, इस पूरे मसले ने पुलिस व प्रशासन की विफलता को उजागर किया है।

पुलिस को इस बात की जानकारी थी कि डेली मार्केट के मुसलमान दुकानदार बयान के विरोध में अपना दूकान 10 जून को बंद रखने का निर्णय लिए थे। यह भी सूचना थी कि अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा विरोध प्रदर्शन की भी संभावना थी।  इसके बावज़ूद क्षेत्र में पर्याप्त विधि व्यवस्था कायम नहीं की गई।

हालाँकि हिंसा की शुरुआत के कारण अभी भी स्पष्ट नहीं है लेकिन यह स्पष्ट है कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन के कुछ देर बाद पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किया गया और क्षेत्र में पत्थरबाज़ी शुरू हुई। भीड़ के अन्दर से पत्थर फेंकना शुरू हुआ या भीड़ के बाहर से किसी ने पहले भीड़ पर पत्थर फेंका, यह अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन यह हैरानियत की बात है कि इसके जवाब में पुलिस ने सीधा गोली चलाया। गोली से अब तक दो लोगों की मौत हो चुकी है और एक तीसरे व्यक्ति गंभीर हालत में हैं। यह भी सूचना है कि कई अनेक गोली से घायल हुए हैं।

इस पूरी घटना ने कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं:

  • अगर पुलिस व प्रशासन को विरोध कार्यक्रमों (दूकान बंद करना आदि) की सूचना थी, तो क्षेत्र में उचित विधि व्यवस्था क्यों नहीं कायम की गयी?
  • अगर प्रशासन को इसकी सूचना थी, तो क्यों उचित समय पर शांति सभाओं, सामुदायिक नेताओं आदि के साथ बैठक कर प्रदर्शन सम्बंधित समन्वय स्थापित नहीं किया गया?
  • शांतिपूर्ण प्रदर्शन के बीच से पत्थर फेंकना कैसे शुरू हुआ और किन लोगों ने शुरू किया?
  • पुलिस ने पत्थरबाज़ी के खिलाफ सीधा गोली क्यों चलाया और अन्य भीड़-नियंत्रण तकनीक जैसे आंसू गैस, पानी कैनन, रबर गोली आदि क्यों नहीं इस्तेमाल किया?

महासभा का मानना है कि रांची की घटना देश में पिछले कुछ सालों से बढ़ रहे धार्मिक बहुसंख्यकवाद और मुसलमानों पर विभिन्न प्रकार से हिंसा और उनके विरुद्ध नफरत फ़ैलाने का एक नतीज़ा मात्र है। हिन्दू राष्ट्र की संकीर्ण अवधारणा के तहत अल्पसंख्यकों, आदिवासी, दलित को दोयम दर्जे का नागरिक बनाया जा रहा है.भाजपा समेत आरएसएस परिवार द्वारा लगातार समाज, देश व लोकतान्त्रिक संस्थाओं में धार्मिक नफरत फैलाया जा रहा है. रोज़ संविधान व देश के लोकतान्त्रिक संस्थओं का भी भगवाकरण दिख रहा है। झारखंड समेत अन्य कई राज्यों में अनेक हाल की घटनाओं में पुलिस व प्रशासन का अल्पसंख्यक समुदाय के विरुद्ध एक-तरफ़ा रवैया दिखा है।

महासभा ये भी मानती है कि इस मुश्किल परिस्थिति में अल्पसंख्यक समुदाय व अन्य सभी लोकतंत्र व संविधान में विश्वास रखने वाले समूह व लोगों को संयम के साथ अहिंसक प्रतिरोध की नीति में विश्वास रखना होगा। वर्तमान परिस्थिति में झारखंड जनाधिकार महासभा रांची समेत राज्य के सभी नागरिकों व समुदायों से अपील करती है कि शान्ति, अमन व संयम बनाए रखें. किसी भी प्रकार की अफ़वाह से विचलित न हो. भाजपा नेताओं द्वारा दिए जा रहे सद्भावना विरोधी उत्तेजक और सांप्रदायिक बयानों को पूर्ण रूप से ख़ारिज करें।

साथ ही, महासभा ने हेमंत सोरेन सरकार से निम्न मांग किया:

  • सरकार तुरंत एक स्वतंत्र जांच दल बनाकर प्रदर्शन में हुए हिंसा की जाँच करें। पत्थर फेंकने वालों व भीड़ को भड़काने वालो की पहचान कर न्यायसंगत कार्यवाई करें, पुलिस द्वारा गोली चलाने के लिए ज़िम्मेवार पदाधिकारियों पर सख्त कार्यवाई करें, प्रशासनिक चुक के लिए ज़िम्मेवार पदाधिकारियों पर कार्यवाई करें।
  • इस संभावना से नाकारा नहीं जा सकता है कि अब पुलिस द्वारा दोषियों के अलावा निर्दोष मुसलमानों पर प्राथमिकी दर्ज कर गिरफ्तार किया जाएगा। सरकार द्वारा यह सुनिश्चित की जाए कि निर्दोष लोगों पर कार्यवाई न हो।
  • एक तरफ हेमंत सोरेन सरकार संविधान और धर्मनिरपेक्षता की बात करती है और दूसरी ओर उनके पुलिस व प्रशासनिक तंत्र की कार्यशैली कानून व संवैधानिक मूल्यों के विपरीत है. यह सुनिश्चित किया जाए कि पुलिस व प्रशासन द्वारा संवैधानिक मूल्यों व कानून का पूर्ण पालन करते हुए किसी भी प्रकार के धार्मिक उन्माद और हिंसा के विरुद्ध सख्त कार्यवाई किया जाएगा।
  • सरकार राज्य को धार्मिक उन्माद और अल्पसंख्यको पर अत्याचार की प्रयोगशाला न बनने दे।

हेमंत सरकार की गंभीर पुलिस-प्रशासनिक चूक: भाकपा माले

माले ने अपने ब्यान में कहा: रांची में मुस्लिम समुदाय के एक हिस्से द्वारा विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई तोड़फोड़ और हिंसक पुलिस फायरिंग को भाकपा माले राज्य कमिटी ने हेमंत सरकार की गंभीर पुलिस-प्रशासनिक चूक कहा।

“प्राप्त वीडियो फूटेज से स्पष्ट है कि हवाई फायरिंग के नाम पर भीड़ के ऊपर गोलियां चलाई गईं और दो नौजवानों की मौत हुई। भाकपा माले दोषी पुलिसकर्मियों और अधिकारियों पर केस दर्ज कर कार्रवाई की मांग की है। भाजपा सांसद द्वारा प्रतिवाद में शामिल लोगों के खिलाफ बुल्डोजर चलाने की मांग का भाकपा माले ने कड़ा विरोध किया है।“

तनावपूर्ण स्थिति के बावजूद रांची के सभी नागरिकों को शांति और सौहार्द कायम रखने के लिए भाकपा माले धन्यवाद देती है। तत्कालीन भाजपा प्रवक्ता नुपूर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणी के खिलाफ सोशल मीडिया में 10 जून को मुस्लिमों के बड़े पैमाने पर प्रतिवाद करने की योजना की जानकारी से राज्य सरकार मुकर नहीं सकती। इसके बावजूद शहर में पुलिस-प्रशासन की अपर्याप्त व्यवस्था के लिए हेमंत सोरेन अपनी जिम्मेवारी से भाग नहीं सकते। इस मामले में संपूर्ण तहकीकात की जरूरत है और इसके लिए न्यायिक आयोग गठित हो।

माले ने कहा है कि भीड़ पर पुलिस द्वारा गोली-चालन से हुई मौतों की जिम्मेदारी से सरकार और पुलिस नहीं बच सकती। सरकार मृतकों के परिवार को पर्याप्त 25 लाख रुपए मुआवजा और अन्य सहायता दे।

माले किसी भी समुदाय द्वारा शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक प्रतिवाद के अधिकार का पक्ष पोषण करती है।

spot_img

Related articles

How Do You Kill a Case? The UP Government’s Playbook in the Akhlaq Lynching

Ten years. Ten whole years since a mob dragged Mohammad Akhlaq out of his home in Dadri, beat him...

Why Indira Gandhi Remains India’s Most Influential and Most Debated Prime Minister

Let us recall the achievements of Indira Gandhi, whose birth anniversary we celebrate today. She has undoubtedly been...

नेताओं ने झारखंड की ज़मीन, जनता के हक़ के बदले सौंप दी कंपनियों को- झारखंड जनाधिकार महासभा

झारखंड अपनी 25वीं वर्षगांठ मना रहा है, लेकिन झारखंड आंदोलन के सपने पहले से कहीं ज़्यादा दूर हैं।...

El Fashir Has Fallen — and So Has the World’s Conscience on Sudan

The seizure of the city of El Fashir in North Darfur by the paramilitary Rapid Support Forces (RSF)...