झारखंड

टू स्टेट्स, वन इलेक्शन डेट: झारखंड में 40 दिन पहले चुनाव, झामुमो का आरोप—हेमंत सोरेन की लोकप्रियता से घबराई भाजपा ने कराया जल्द चुनाव

दीपावली और छठ महापर्व के बाद चुनाव कराने के अनुरोध को किया नजरअंदाज, झारखंड में जल्द चुनाव पर उठे सवाल, क्या भाजपा नेता हिमंता बिस्वा सरमा को पहले से थी तारीखों की जानकारी?

रांची/गिरिडीह: झारखंड और महाराष्ट्र में चुनाव की घोषणा हो गई है, पर ये एक देश, एक चुनाव के तर्ज़ पर, दो प्रदेश एक जैसी चुनाव की तारीख जैसा हो गया। झारखंड में दो चरणों में वोट डाले जाएंगे, 13 और 20 नवंबर को, जबके महाराष्ट्र में एक चरण में 20 को। महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को पूरा हो रहा है। वहीं झारखंड विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी 2025 को पूरा होगा। मतलब झारखंड के लोगों ने जिस पांचवे विधानसभा को चुना था उसका कार्यकाल 40 दिन पहले पूरा हो गया।

झारखंड मुक्ति मोर्चा वाली गठबंधन सरकार ने चुनाव आयोग से दो बार चिट्ठी लिख कर राज्य में चुनाव बाद में कराने और कार्यकाल पूरा करने का आग्रह किया था। चुनाव आयोग की तारीखों के ऐलान के बाद, झामुमो के महासचिव विनोद कुमार पांडेय ने प्रेस ब्यान जारी कर पूछा है कि आखिर चुनाव आयोग ने इतनी जल्दबाजी में झारखंड में चुनाव की घोषणा क्यों की है?

सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने झारखंड में चुनाव की घोषणा को लेकर भारत निर्वाचन आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा किया है और कहा की हेमंत सोरेन की लोकप्रियता से घबरा कर भाजपा ने समय से पहले कराया चुनाव।

विनोद पांडेय ने प्रेस ब्यान में के भाजपा के चुनाव प्रभारी हिमंता विस्व सरमा के चुनाव की तारीखों का पहले से पता होने पर भी सवाल खड़ा किया है।

“चुनाव आयोग की घोषणा से एक दिन पहले असम के मुख्यमंत्री व भाजपा के चुनाव सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा ने यह बता दिया था कि मंगलवार को चुनाव आचार संहिता लग जाएगा। इससे दो प्रश्न उठते हैं। एक चुनाव आयोग भाजपा के निर्देश पर चल रहा है, या दूसरा चुनाव आयोग के फैसले की जानकारी भाजपा को पहले मिल जाती है। दोनों ही स्थिति में चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था की विश्वसनीयता पर प्रश्न खड़ा होता है। कहीं न कहीं झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की बढ़ती लोकप्रियता और उनके नेतृत्व में इंडिया गठबंधन की सरकार में जनहित में लिए जा रहे ऐतिहासिक निर्णयों से भाजपा घबरा गई है। यही वजह है कि हेमंत सोरेन को अपना कार्यकाल पूरा नहीं करने दिया जा रहा है।”

विनोद पांडेय ने ये भी कहा कि हाल में मुख्य चुनाव आयुक्त के नेतृत्व में आयोग की टीम ने झारखंड का दौरा किया था। विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ झामुमो ने भी दीपावली, छठ महापर्व को मद्देनजर रखते हुए इसके बाद चुनाव कराने का आग्रह किया था। इसके अलावा राज्य गठन के मद्देनजर 15 नवंबर को स्थापना दिवस के बाद चुनाव कराने का अनुरोध किया भी किया गया था। हरियाणा में त्योहार के मद्देनजर चुनाव की तारीख बढ़ाई गई, लेकिन झामुमो के किसी भी आग्रह को चुनाव आयोग ने नहीं माना।

हालांकि, राजनीति के जानकार ये मानते हैं कि झारखंड में जल्द चुनाव होने से हेमंत सोरेन सरकार की मईया सम्मान योजना का झारखंड के जनमानस पर प्रभाव बरकरार रह गया। मईया के जवाब में भाजपा ने गोगो सम्मान योजना लाने के लिए आवेदन भी जारी किए, वो इसे ज्यादा प्रचार-प्रसार से भी रुक गई। वहीं मईया सम्मान योजना जिसमे राज्य की महिलाओं को पिछले तीन माह से 1000 रुपये मिल रहा और कैबिनेट ने दिसम्बर से 2500 करने का प्रस्ताव पास कर दिया, हेमंत सरकार नामक नाव के लिए खेवनहार बन सकती है।

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