हेमंत सोरेन सरकार 2.0: देश को झारखंड मॉडल देने का मौका
फिनलैंड के शिक्षा मॉडल और स्वीडन की स्वास्थ्य प्रणाली से प्रेरित झारखंड, रोजगार और महिला सशक्तिकरण को प्राथमिकता देकर अपने स्वर्णिम भविष्य की नींव रख सकता है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरे पर्यटन क्षेत्र और खेल में सुधार राज्य को देश और विदेश में नई पहचान दिला सकते हैं। आदिवासी अधिकारों और ग्रामीण पलायन रोकने के उपाय झारखंड को विकसित राज्य की श्रेणी में खड़ा कर सकते हैं
इंडिया को हाल के वर्षों में कई मॉडल राज्यों के तरफ से मिले, कुछ प्रोपगंडा रहे तो कुछ ज़मीन पर थोड़ा-बहुत दिखाई दिये। पर अभी तक किसी भी राज्य का ऐसा कोई मॉडल नहीं बना जो हर किसी की ज़ुबान पर हो। और जो बिना ज्यादा पीआर एक्सर्साइज़ के लोगों तक पहुँचा हो। झारखंड ही हेमंत सोरेन सरकार 2.0 आने वाले सालों में देश को झारखंड मॉडल दे सकती है, जिससे महिलाएं भी सशक्त होंगी और नौजवान के पास भी रोजगार होंगे। उच्च शिक्षा के लिए भी राज्य में ही अवसर, खेलकूद में बेहतर सुविधा, पर्यटन में राज्य को अग्रणी बनाना, अर्बन और टाउन प्लानिंग बेहतर होना।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तो कम से कम इसके लिए इरादा तो दिखा ही दिया है अपनी इस बात से कि कैबिनेट मीटिंग में सभी मंत्रियों को कह दिया कि साफ छवि के लोगों को अपना निजी स्टाफ और आप्त सचिव रखें। ये सिर्फ पिछले मामले का सबक नहीं, बल्कि नये सोंच को जगह देने के तौर पर भी देखा जाना चाहिए।
शिक्षा का मॉडल
झारखंड में प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक में 2019 से 2024 तक एक बेहतर शुरुआत हुई है। इसी का परिणाम मुख्यमंत्री एक्सीलेंस स्कूल है और मारंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा ओवरसीज स्कॉलरशिप है। इस तरह के मॉडल तो रहे, पर प्राइमरी स्तर से ही हर स्कूल एक्सीलेंस सेंटर बन जाये, और हायर एजुकेशन इतनी बेहतर हो कि ओवरसीज एजुकेशन के लिए ज्यादा संख्या में छात्र स्कॉलरशिप पा सके। ऐसा इसलिए भी जरूरी है क्योंकि झारखंड की बड़ी आबादी जो यहाँ के मूलवासी हैं, वो बेहतर शिक्षा नहीं पा रहे।
झारखंड सरकार के पास इतना राजस्व तो होता है कि ये दुनिया के किसी भी देश का सबसे बेहतर मॉडल को अपना सकते हैं। फिनलैंड का एडुकेशन सिस्टम हो या ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका और जर्मनी का हाइयर और टेक्निकल एडुकेशन सिस्टम। सभी को समझ कर एक ब्लूप्रिंट बना सकते हैं।
स्वास्थ्य का मॉडल
स्वास्थ्य में देश में अब तक का सबसे अच्छा मॉडल अशोक गेहलोत के कार्यकाल में राजस्थान में हुआ, जिसका नाम मुफ्त दवा योजना थी। इसमें एक मरीज़ के सरकारी अस्पताल में दाखिल होने से लेकर, बाहर निकलने तक सभी तरह की दवाई और टेस्ट फ्री थे। राजस्थान के सारे डिस्ट्रिक्ट में तो ये योजना पहुँच गई थी, ब्लॉक और मुहल्ला स्तर तक पहुंचना बाकी था। पर फिर भी, लाखों मरीज़ राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में जाने लगे थे। आम आदमी की सरकार ने दिल्ली में मुहल्ला क्लीनिक जरूर खोले पर झारखंड जैसे पहाड़ों और जंगलों के बीच बसे मुहल्लों तक अगर ऐसी व्यवस्था (जिसमें अशोक गेहलोत वाली फ्री मैडिसिन-टेस्ट योजना और केजरीवाल की मुहल्ला क्लीनिक) हो हेमंत सोरेन सरकार में तो झारखंड स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी अपना एक मॉडल दे सकता है। झारखंड की एक बड़ी आबादी अभी भी गाँवों में बस्ती है। बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था से आदिवासियों के मृत्यु दर को भी कम किया जा सकता है।
वैसे पूरी दुनिया में स्वीडन और डेनमार्क का पब्लिक हेल्थकेयर सिस्टम सबसे अच्छा माना जाता है, जिससे सीखने की जरूरत है।
पर्यटन
झारखंड की सबसे खास बात है, यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य। अगर झारखंड को देश के मानचित्र से सही से जोड़ दिया जाये, और आवागमन के साधन को सुगम कर दिया जाये तो यहाँ के जितने भी टुरिस्ट स्पॉटस हैं वहाँ देश-विदेश के सैलानी की बाढ़ आ सकती है। बाकी सभी केंद्रों को बेहतर सुविधाओं से लैस करना, सेफ जोन बनाना और साफ-सफाई का ध्यान रखने से ये राज्य पर्यटकों के आकर्षण में हमेशा रह सकता है।
इलेक्शन के दौरान कई पत्रकार जब झारखंड घूम रहे थे तो उन्हें पता चला कि ये राज्य कितना खूबसूरत है और उन लोगों ने अपने विडियो में भी इसे दिखाया।
सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन को बेहतर कर, रोजगार भी दिया जा सकता है और इससे पलायन, जो झारखंड की एक बड़ी समस्या है, उसे भी कम किया जा सकता है। 1980 तक झारखंड के गिरिडीह, हजारीबाग और रांची हेल्थ रिज़ॉर्ट कहलाते थे और बंगाल और आसपास के राज्यों से गर्मियों में यहाँ आ कर रहते थे।
खेल में एक नहीं कई धौनी दे सकता है झारखंड
वैसे तो झारखंड ने देश को महेंद्र सिंह धौनी और हॉकी में कई महिला और पुरुष खिलाड़ी दिये। पर झारखंड के आदिवासी-मूलवासी में लगभग हर खेल में देश-दुनिया में नाम करने का माद्दा रहता है। ये झारखंड की ज़मीन और वातावरण में होता है। तीरंदाजी और हॉकी इसका सबूत है। बेहतर सुविधाएं देकर उन्हें बस उभारने की जरूरत है। थोड़े से बदलाव के बाद ही झारखंड देश के खेल में अग्रणी राज्य जैसे हरयाणा से आगे हो सकता है, और देश में अपनी पहचान और मजबूत कर सकता है। पर जब बात एक मॉडल देने की हो तो, हर फील्ड का दायरा विदेशों तक बढ़ाना होगा, और खेल में शायद ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और चाइना तक। जहां के लोग हर खेल में अच्छा करते हैं।
अर्बन और टाउन प्लानिंग
चंडीगढ़ देश में एक ऐसा प्लान्ड सीटी है, जो विश्व मानचित्र पर अपनी पहचान रखता है। झारखंड में सिर्फ दो शहर, जमशेदपुर और बोकारो थोड़े से प्लानड सिटि हैं। और पूरे राज्य में शहरी इलाकों को बेहतर किया जा सकता है। आज हर शहर में रिंग रोड, ड्रेनेज सिस्टम और सतत विकास (sustainable development) की जरूरत है। जापान भी इसका एक बेहतर उदाहरण है।
आईटी सेक्टर
झारखंड देश को बहुत सारे जीनियर्स हर साल देता है, और इसलिए गुड़गाँव से लेकर, बैंग्लोर, हैदराबाद और कोलकाता में झारखंड के जीनियर्स आईटी सेक्टर में बड़े संख्या में काम कर रहें हैं। झारखंड को भी अपने आईटी हब को बड़ा बनाने कि जरूरत है। सरकार ने आईटी, डेटा सेंटर और बीपीओ निवेश प्रोत्साहन नीति-2023 का मसौदा जारी किया है अब इसे और रफ्तार देने कि जरूरत है।
कृषि
झारखंड जिसने एक लंबे समय तक नक्सल समस्या झेला है, जानकार ये बताते हैं कि सिंचाई की अगर बेहतर व्यवस्था सरकार के स्तर से हो तो कृषि के क्षेत्र में भी लोग जुड़े रह सकते हैं। पठारी इलाका और खनिज़ सम्पन्न होने की वजह से कृषि तो राज्य के लोग कम करते हैं, पर सब्जियाँ बहुतायत से हो सकती है और दूसरे राज्यों को भेजा जा सकता है।
तकरीबन हर क्षेत्र में बेहतर किया जा सकता है। उनमें यहाँ कुछ के बारे में लिखा गया है।
झारखंड की चार करोड़ से ज्यादा की आबादी के लिए, सरकारी स्तर से एक और पहल करने की जरूरत है, वो है तमाम जुबानों जैसे संथाली, खोरठा, हिन्दी और उर्दू के साथ इंग्लिश को भी आम किया जाना चाहिए। इंग्लिश की जानकारी आत्मविश्वास बढ़ाता है, इससे झारखंड राज्य के लोग जहां भी जाएंगे वहां अच्छा करेंगे। और झारखंड के ही लोग, महत्वपूर्ण परीक्षा पास कर स्टेट कैडर में रह कर प्रदेश को कुछ वापस दे पाएंगे।
महिला सशक्तिकरण
अब तक तो बात हुई अलग-अलग क्षेत्रों की पर राज्य की महिलाओं को भी सशक्त बना कर झारखंड अपनी अलग पहचान बना सकता है। कल्पना सोरेन ने सिर्फ छह महीने के अपने राजनीतिक जीवन में जो संदेश दिया है वो बहुत अहम इसलिए हो जाता है कि, झारखंड की महिलाएं घर के अंदर रह कर भी सशक्त है और मैया सम्मान योजना की राशि जो अब 1000 से बढ़ कर 2500 सौ हो जाएगी, उसके बाद अगर सही दिशा में महिलाओं को आगे बढ़ाया जाये तो वो एक बेहतर झारखंड में पुरुषों के समान कदम से कदम मिला कर चल सकती है। रोल मॉडल के तौर पर कल्पना सोरेन मौजूद है, सरकार उनसे महिला सशक्तिकरण के कई काम ले सकती है। महिलाओं में आत्मविश्वास का संचार करना और उन्हें कई तरह के काम में दक्ष किया जा सकता है। झारखंड की महिलाएं ख़ास कर आदिवासी लड़कियां अभी प्रदेश से बाहर जा रही या ले जायी जा रही, उसे भी रोका जा सकता है।
आदिवासियों के हक़ के लिए भी कई काम किए जा सकते हैं और इसे हेमंत और कल्पना सोरेन अच्छे से समझते हैं।
झारखंड के लिए कुछ बड़ा करने का जज्बा हेमंत सोरेन अपने पिछले कार्यकाल में दिखा चुके हैं, जब उन्होंने कोविड लॉकडाउन के दौरान झारखंड के मजदूरों को देश के दूर-दराज़ के इलाके से हवाई जहाज़ से वापस लाए थे।
इसलिए ये उम्मीद कर सकते हैं कि, हेमंत सोरेन की नेतृत्व वाली इंडिया ब्लॉक सरकार झारखंड को एक विकसित राज्य बनाने का काम करेगी।
अगर ऐसा हुआ तो आने वाले 5 सालों में ही सही मायने में झारखंड एक मॉडल राज्य होगा देश में।