राजनीति में नई कल्पना सोरेन के भाषणों और प्रचार में दिखा आत्मविश्वास और भविष्य की उम्मीदें
जेल में बंद पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन मुर्मू ने न केवल जीवन का पहला चुनाव लड़ा, बल्कि झारखंड में इंडिया ब्लॉक के लिए एक प्रभावशाली अभियान का नेतृत्व भी किया
रांची: “आप (भाजपा) की इतनी हिम्मत हो गई, 2019 में जीत के बाद, आपका अपना बेटा, अपना दादा जिसको आपने मुख्यमंत्री बनाया, चुनाव से ठीक पहले, उनको भाजपा वालों ने जेल में डालने का काम किया है, वो भी षड्यंत्र के तहत। जिस ज़मीन की बात करते हैं, उस ज़मीन का एक भी कागज़ नहीं है, कोई सबूत नहीं है, फिर भी 3 महीने से जेल में हैं। जेल में हेमंत सोरेन संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन बाहर एक-एक जन, हेमंत सोरेन हैं, आपको इस संघर्ष को आगे बढ़ाना है, क्योंकि ये चुनाव भाजपा बनाम जनता का चुनाव है।”
झारखंड मुक्ति मोर्चा की नेत्री कल्पना सोरेन 28 मई को इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार विजय कुमार हंसदक के लिए प्रचार कर रही थीं, जबकि 4 मार्च को उन्होंने गिरिडीह में अपना पहला सार्वजनिक भाषण दिया था। उस समय, वह अपने पति, पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए रो रही थीं, जिन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में जेल भेजा गया था।
ये बदली हुई कल्पना सोरेन है, भारतीय राजनीति का नया सितारा, जिसकी चर्चा झारखंड में चारो ओर हो रही है।
इंडिया ब्लॉक अभियान का नेतृत्व करते हुए, कल्पना ने पूरे झारखंड में इंडिया के उम्मीदवारों के लिए कई सार्वजनिक बैठकें और रैलियाँ कीं और गांडेय विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा उपचुनाव भी लड़ा।
ईन्यूजरूम से बात करते हुए कल्पना ने बताया कि वह हेमंत सोरेन से शादी के बाद 18 साल तक गृहिणी रही हैं। लेकिन राजनीति में नई होने के बावजूद, कल्पना ने पत्रकारों के प्रश्नों को अच्छी तरह से जवाब दिया– चाहे वह एक पत्रकार से हो या उनके समूह से। उनका आत्मविश्वास विभिन्न भाषाओं पर उनकी पकड़ से आता है। जब उनसे अंग्रेजी में सवाल पूछे गए तो उन्होंने हिंदी और संथाली की तरह ही सहजता से उसी भाषा में जवाब दिया। वह उड़िया भी जानती हैं। कल्पना ने राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, अरविंद केजरीवाल, तेजस्वी यादव और दीपांकर भट्टाचार्य जैसे राजनीतिक दिग्गजों के साथ चुनावी रैलियाँ कीं। हर जगह वह एक परिपक्व राजनेता की तरह बोलीं, उन्होंने न सिर्फ हेमंत सोरेन को जेल भेजे जाने का मुद्दा उठाया बल्कि झारखंड मुक्ति मोर्चा अगुवा महागठबंधन सरकार के काम का भी जिक्र किया।
कल्पना की तीन सौ रैलियाँ और सभाएँ
कल्पना सोरेन के निजी सहायक, अनुज खत्री ने ईन्यूजरूम को सार्वजनिक उपस्थिति की संख्या के बारे में बताया: “23 अप्रैल से 30 मई तक, उन्होंने कम से कम 50 चुनावी सभाएँ और साथ ही रैलियाँ की हैं। इसमें कल्पना मैडम द्वारा अपने गांडेय निर्वाचन क्षेत्र के लिए की गई सभाएं शामिल नहीं हैं। 29 अप्रैल से, जब उन्होंने अपना नामांकन दाखिल किया, 18 मई तक, उन्होंने हर दिन कम से कम 12 सभाएँ कीं।
2024 लोकसभा चुनाव प्रचार समाप्त, आइए पीएम मोदी और कल्पना के भाषणों की तुलना करें
पहली बार चुनाव लड़ने के बाद भी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विपरीत, न तो कल्पना सोरेन के चुनावी भाषण मुद्दाविहीन रहे और न ही उन्होंने समाज या समुदायों को विभाजित किया या व्यक्तिगत हमले किए। जहाँ पीएम मोदी को अपने भाषणों के लिए कई शिकायतों का सामना करना पड़ा, वहीं कल्पना को पूरे अभियान के दौरान उनके सटीक और आक्रामक बयानों के लिए हर वर्ग के लोगों द्वारा प्रशंसा मिली।
बदगुंदा पंचायत के पूर्व मुखिया नासिर अंसारी ने कहा, “अपनी चार दशक पुरानी जमीनी स्तर की राजनीतिक गतिविधियों में, मैंने कई नेताओं को देखा है, लेकिन कल्पना सोरेन में कुछ विशेष आकर्षण है, और सबसे बुरे संकट के दौरान भी उनका आत्मविश्वास झारखंड के लोगों में उम्मीद जगा रहा।” गांडेय में कल्पना सोरेन से मुलाकात के बाद ईन्यूजरूम को बताया।
“अब वह झामुमो की मुख्यमंत्री भी बन सकती है और हेमंत सोरेन को राष्ट्रीय राजनीति करने का विकल्प भी दिया है, क्योंकि देश को एक आदिवासी नेता की भी जरूरत है। कल्पना पार्टी के लिए अच्छे दिन ला सकती हैं,” पूर्व मुखिया ने कहा।
ये इंग्लिश में प्रकाशित स्टोरी का अनुवाद है।