झारखंड के तीन कोरोना योद्धाओं पर एक अधिकारी कर रहें मनमानी, तमाशा देख रहे आला अधिकारी, मंत्री और सरकार

हेमंत सोरेन सरकार के नौकरी देने के तमाम दावों के बीच, पशुपालन मंत्री के गृह ज़िला में कोरोना योद्धाओं (प्रशिक्षित पारा-वेट्स) का न सिर्फ वेजेस रोक दिया गया है, बल्कि काम से भी निकाला जा रहा है

Date:

Share post:

रांची: पूरा भारत अभी कोरोना की दूसरी लहर झेल रहा है, झारखंड भी इससे जूझ रहा है, पर देवघर के तीन कोरोना योद्धाओं (प्रशिक्षित पारा-वेट्स) जिन्होंने कोरोना के पहली लहर में महत्वपूर्ण रोल अदा किया था, उन्हे न सिर्फ दस महीने के काम के पैसे नहीं दिए, बल्कि काम से भी निकाल रहे है।

हेमंत सरकार दे रही एक्सट्रा सैलरी, अधिकारी निकाल रहे काम से

ये सब हो रहा है, झारखंड के पशुपालन मंत्री बादल पत्रलेख के गृह ज़िला देवघर में। पीड़ितों ने संबन्धित अधिकारियों, पशुपालन मंत्री और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक को लिखा था।

इस बीच मुख्यमंत्री ने कोरोना योद्धाओं के लिए एक महीने के बोनस वेतन की भी घोषणा की। पर जहां हर विभाग की तरह पशुपालन विभाग में भी कर्मचारियों की बहुत कमी है पर फिर भी इन पारा-वेट्स को निकाला जा रहा है।

झारखंड कोरोना योद्धा jharkhand corona yoddha covid-19 adhikari

आरटीआई में गलत जवाब

“हम लोगों ने आला अधिकारों को लिखा, मंत्री, मुख्यमंत्री को भी लिखा पर अब तक कुछ भी नहीं हुआ। हमारी जॉइनिंग राज्य सरकार के आदेश पे ही हुआ था और फिर बाद में भी इसका आदेश अभी के मंत्रालय सेक्रेटरी अबू बकर ने द्वारा आया है। पर ज़िला पशुपालन अधिकारी संजय कुमार जॉइनिंग को भी सही नहीं मानते, और एक आरटीआई के जवाब में अभी के सेक्रेटरी के जवाब को भी नकार चूके है,” पारा-वेट् पूरन कुमार राऊत ने बताया।

राऊत के अलावा, अनीश हाशमी और गुनाधार दास भी हैं जिनका न सिर्फ कोरोना काल का काम का पैसा विभाग ने नहीं दिया पर उन्हे अब काम से भी हटा दिया जा रहा।

झारखंड कोरोना योद्धा jharkhand corona yoddha covid-19 adhikari
मंत्रालय का आदेश 2020-21 के लिए

कोरोना योद्धा मानने से इंकार, पर अपने विभाग के अधिकारी पर कार्रवाई को नहीं लिखेंगे

जब ईन्यूज़रूम ने देवघर ज़िला पशुपालन अधिकारी संजय कुमार से बात की तो, उन्होने तीनों प्रशिक्षित पारा-वेट्स को कोरोना योद्धा मानने से ही इंकार कर दिया। और उनके द्वारा किए काम को अब मान ही नहीं रहे हैं और आरटीआई में दिये गलत जवाब को भी सही बता रहे, “मेरे पास मंत्रालय के सेक्रेटरी (अबू बक़र) की कोई चिट्ठी भी नहीं है जिसमे ये बोला गया के पारा-वेट्स से काम लेते रहना है 2020-21 में,” संजय कुमार ने कहा।

तीनों प्रशिक्षित पारा-वेट्स की जॉइनिंग 2019 में ज़िला पशुपालन अधिकारी डॉ नीलग्राइस टोपपो के कार्यकाल में हुई थी।

पर अब कुमार, इनके जॉइनिंग को ही गलत ठहरा रहें है। लेकिन जब ये सवाल पूछा गया के अगर आप पारा-वेट्स के वेजेस को रोक रहें हैं उनकी जॉइनिंग गलत बता कर तो किया आपने जिस अधिकारी ने जॉइनिंग कारवाई उनके ऊपर भी कार्रवाई के लिए लिखे हैं मंत्रालय को, तो कुमार के पास कोई जवाब नहीं था।

झारखंड कोरोना योद्धा jharkhand corona yoddha covid-19 adhikari

सरकार का आदेश, बकाया भुगतान का

अब 10 मई को मुख्यमंत्री कार्यालय से एक आदेश जारी हुआ है के जो भी कर्मचारी अनुबंध और दैनिक मजदूरी में सेवा दे रहे है झारखंड के विभिन्न विभागों में उनका जो भी बकाया हो उसका भुगतान जल्द से जल्द करे अधिकारी और 25 मई तक सरकार को बताएं।

अब देखना ये होगा के देवघर ज़िला पशुपालन अधिकारी हेमंत सोरेन सरकार के इस आदेश को भी मानते हैं या नहीं, या अपने मंत्रालय की चिट्ठी की तरह इसे भी मिलने से इंकार कर देते हैं।

ये भी बता दे के, जहां झारखंड सरकार लोगों की ज्यादा से ज्यादा रोजगार का वादा करती है, और इन प्रशिक्षित पारा-वेट्स को सरकार कोई स्थायी नौकरी भी नहीं दे पाई, पर जो एक सहारा दैनिक मजदूरी के द्वारा मिला था उसे भी कुमार जैसे अधिकारी ख़त्म कर देने पे अमादा हैं और मंत्री जी को फुर्सत नहीं अपने गृहज़िला में हो रहे न इंसाफ़ी को देखने की, न सरकार को पड़ी है मामले को देखे और कोरोना के दूसरे लहर में प्रशिक्षित पारा-वेट्स जो कोरोना योद्धा है उनकी सेवा ले।

spot_img

Related articles

‘She Is Too Hurt’: AYUSH Doctor May Not Join Service After Nitish Kumar Hijab Incident

Patna/Kolkata: AYUSH doctor Nusrat Parveen has decided not to join government service, for which she had recently received...

From a Kolkata Ghetto to Serving India: How SR Foundation Became a Humanitarian Movement

Born during the 2020 COVID lockdown in Kolkata’s Topsia, SR Foundation grew from a Rs 7,500 hunger-relief effort into a multi-state humanitarian NGO. From cyclone relief in Bengal to Punjab floods, members ensured transparency by even paying travel costs themselves so every donated rupee reached victims.

बिहार में मोहम्मद अतहर हुसैन की मॉब लिंचिंग और नीतीश कुमार

बिहार के नालंदा में 50 वर्षीय कपड़ा विक्रेता मोहम्मद अतहर हुसैन की बर्बर तरीके से आठ हिंदू आतंकवादियों...

৬ ডিসেম্বর, আবেগ আর হিকমাহ: মুর্শিদাবাদের নতুন মসজিদকে ঘিরে বড় প্রশ্ন

৬ ডিসেম্বর এমন একটি দিন যা প্রতিটি মুসলিমের হৃদয়ে গভীরভাবে খোদাই হয়ে আছে, বিশেষ করে ভারতের মুসলমানদের হৃদয়ে। ১৯৯২...