रांची: झारखंड में राजनीतिक हलचल इस अनुमान से बढ़ गईं है की पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन, झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं। उनके साथ, कोलहन के कुछ और विधायक भी हैं और सभी लोग दिल्ली पहुँच चूके हैं। आज किसी भी वक़्त वो भाजपा जॉइन कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के जाने जाने के बाद चंपई सोरेन को पार्टी ने मुख्यमंत्री बनाया था और वो फरवरी 2 से जुलाई 5 तक राज्य की कमान उनके हाथों में रही। जब ज़मीन घोटाले मामले में हेमंत सोरेन बारी हो कर निकले तो दुबारा राज्य चलाने लगे और चंपई सोरेन को वापस मंत्री बनाया गया।
आज अगस्त 17, को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की पुण्यतिथि भी होती है। और इस मौके पे देश के बड़े-बड़े राजनीतिज्ञ आज मैसेज शेयर कर रहें। चंपई सोरेन के सोश्ल मीडिया पेजेस- ट्विट्टर (एक्स) हैंडल और फ़ेसबूक पेज पर डाला गया। पर तुरंत चंपई सोरेन को लानत-मनामत वाले जवाब आने लगे। एक घंटे के अंडर एक्स पर 122 प्रतिक्रीया आई और ज़्यादातर में उन्हें जेएमएम छोडने के कदम को गलत बताया। किसी ने ये भी लिखा के आदिवासी आपको माफ नहीं करेंगे। वहीं फ़ेसबूक पर उन्हें भला-बुरा बोला जा रहा।
जिस कोल्हान से चंपई सोरेन आते हैं, उसमे 14 में से कोई भी सीट भाजपा को नहीं गईं थी 2019 के विधानसभा चुनाव में। जेएमएम-कांग्रेस के पास 13 और एक सीट निर्दलीय सरयू राय ने जीती थी।
जेएमएम के तरफ से अभी तक चंपई सोरेन पर कोई बयान नहीं आया है।
अगर चंपई सोरेन जेएमएम छोड़ भाजपा जॉइन कर लेते हैं वो ये बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की कहानी झारखंड में दुहराई जाएगी। जब 2015 में जिस पार्टी, जेडीयू ने जीतन को मुख्यमंत्री बनाया, उसे छोड़ दिया था, और एक अलग पार्टी बना ली।
वैसे सूत्र ये बता रहें हैं की, चंपई सोरेन को राज्यपाल और उनके दोनों बेटों को कोलहन से टिकट की बात पर पूर्व मुख्यमंत्री जेएमएम छोड़ने को तैयार हुए हैं।
इस बीच मीडिया में आ रही खबरों पर खरसावां विधायक दशरत गगराई ने दिल्ली में चंपई सोरेन के साथ होने से इंकार किया है।