बजट 2025 में सामाजिक सुरक्षा, मातृत्व लाभ और शिक्षक भर्ती की जरूरत: झारखंड जनाधिकार महासभा की वित्त मंत्री से मुलाकात
झारखंड में सामाजिक सुरक्षा पेंशन के भुगतान में देरी से लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं। महासभा ने वित्त मंत्री से इसे ₹1000 से बढ़ाकर ₹2500 करने का सुझाव दिया। साथ ही, शिक्षकों की कमी और बेहतर वेतन के लिए भी सरकार से शीघ्र कदम उठाने की मांग की गई

रांची: झारखंड जनाधिकार महासभा के प्रतिनिधिमंडल ने आज वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर से मुलाकात कर राज्य के गरीब और हाशिए पर मौजूद समुदायों से जुड़े अहम मुद्दों पर ध्यान आकर्षित किया। महासभा ने आगामी बजट (2025-26) से पहले राज्य की सामाजिक सुरक्षा पेंशन, मध्याह्न भोजन रसोइयों के वेतन, मातृत्व लाभ, न्यूनतम मजदूरी दर, और शिक्षकों की नियुक्ति जैसे मुद्दों पर प्रावधान करने का सुझाव दिया।
महासभा ने पिछले पांच महीनों से लंबित सामाजिक सुरक्षा पेंशन के तत्काल भुगतान की मांग की और इसे ₹1000 से बढ़ाकर मईया सम्मान योजना के बराबर ₹2500 करने का सुझाव दिया। इसके अलावा, मध्याह्न भोजन बनाने वाली रसोइयों के वेतन में वृद्धि और उन्हें मईया सम्मान योजना में शामिल करने की भी मांग की। महासभा ने राज्य की न्यूनतम मजदूरी दर में वृद्धि की मांग की और साथ ही झारखंड में शिक्षक की गंभीर कमी की ओर भी ध्यान आकर्षित किया। एक तिहाई प्राथमिक स्कूल सिर्फ एक शिक्षक पर निर्भर हैं, जिससे शिक्षा व्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा है। महासभा ने शिक्षकों की तत्काल भर्ती और आरटीई कानून के तहत इसे सुनिश्चित करने की मांग की।
महासभा ने मातृत्व लाभ योजना को भी ₹6000 से बढ़ाकर ₹12,000 करने और ओडिशा की ममता योजना के मॉडल पर राज्य सरकार की अपनी मातृत्व योजना शुरू करने का सुझाव दिया। इसके अतिरिक्त, महासभा ने गठबंधन दलों द्वारा किए गए चुनावी वादों को याद दिलाया, जिनमें लैंड बैंक व भूमि अधिग्रहण कानून संशोधन 2017 को रद्द करने और अनियंत्रित माइनिंग को रोकने की बात की गई थी। महासभा ने सरकार से इन वादों को शीघ्र पूरा करने की मांग की।
वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार सामाजिक सुरक्षा पेंशन और मध्याह्न भोजन रसोइयों के मानदेय में वृद्धि पर विचार करेगी। उन्होंने झारखंड में मातृत्व लाभ योजना के विस्तार के लिए एक रोडमैप तैयार करने का भी वादा किया। इसके अलावा, ई-केवाईसी से संबंधित समस्याओं पर आगामी एसएलडीसी बैठक में चर्चा करने की बात कही और झारखंड जनाधिकार महासभा के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया। मंत्री ने यह भी बताया कि झारखंड सरकार विस्थापन आयोग की स्थापना के लिए काम कर रही है।
महासभा द्वारा उठाए गए मुद्दों में कोडरमा और गिरिडीह के ढिबरा मजदूरों, चांडिल और मलय डैम के विस्थापित परिवारों, और जाति प्रमाण पत्र जारी करने में आ रही समस्याओं पर भी मंत्री ने भरोसा दिलाया कि सरकार इन मुद्दों को गंभीरता से लेगी और जनता के सुझावों को प्राथमिकता देगी।
प्रतिनिधि मंडल में अम्बिका यादव, अपूर्वा, अशोक वर्मा, ज्यां द्रेज, मनोज भुईयां, प्रवीर पीटर, रिया तूलिका पिंगुआ, और रोज़ ख़ाखा शामिल थे।