ईन्यूज़रूम इंडिया

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा और झारखंड कांग्रेस की माइनॉरिटि और दलित छोड़ो अभियान

झारखंड कांग्रेस राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा ज़िला अध्यक्ष

रांची: झारखंड कांग्रेस के टिवीटर हैंडल से आज भारत जोड़ो यात्रा के एक विडियो ट्वीट किया ये दर्शाते हुए कि राहुल गांधी, लोकमन हुसैन नागोरी के साथ चल रहे हैं और देश को एक साथ जोड़कर चलने का संदेश दे रहे हैं। पर इससे पहले के एक दूसरे ट्वीट, जो प्रदेश में 25 ज़िला अध्यक्षों (रांची के लिए दो) के नामों की घोषणा की है में पार्टी की ट्रोल्लिंग इसलिए हो रही है कि सूची में एक भी दलित, मुस्लिम, सिख और महिला का नाम नहीं है।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने दिसम्बर 4 को झारखंड के 24 जिलों के लिए 25 ज़िला अध्यक्षों (रांची के लिए दो) के नामों की घोषणा की। पर कांग्रेस पार्टी जो दलितों, आदिवासियों और माइनॉरिटि के सवालों को उठाने का दावा करती है, उसने एक भी मुस्लिम, दलित या सिख को ज़िला अध्यक्ष नहीं बनाया है, और प्रदेश की राजधानी, रांची में दो में से एक ज़िला अध्यक्ष आदिवासी को बनाया जाना जरूरी नहीं समझा। हालांकि चार आदिवासियों को इस सूची में जगह मिली है।

हालाँकि नामों की सूची एआईसीसी ने जारी की है, पर राजनीति के जानकार ये जानते हैं की बिना प्रदेश कमिटी के अनुशंसा के किसी भी उम्मीदवार का नाम राष्ट्रीय स्तर से जारी नहीं होता।

81 सीटों वाली झारखंड विधानसभा में कुल 18 विधायक कांग्रेस के हैं। जिनमें दो मुस्लिम है— आलमगीर आलम और इरफान अंसारी। पर देश की सबसे पुरानी पार्टी में दलित समुदाय से झारखंड में कोई विधायक नहीं है। 2019 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने दो दलित नेता को आरक्षित सीटों से टिकट दिया था पर वो नहीं जीत पाये।

पार्टी ने जहाँ एक भी मुस्लिम और दलित को ज़िला अध्यक्ष नहीं बनाया, वहीं सिर्फ ब्राह्मण समुदाय से आठ लोग हैं।

सोशल मीडिया पे इसको लेकर तमाम तरह की प्रतिक्रिया पढ़ने को मिल रही है, कि कांग्रेस को वोट मुसलमान समाज का चाहिए पर प्रतिनिधित्व नहीं देना। कुछ ने तो ये भी कहा कि कांग्रेस के गिरते ग्राफ का यही सबसे बड़ा कारण है कि पार्टी, संगठन में भी अपने बेस वोट को सम्मान नहीं देती। इलेक्शन में तो किसी न किसी फैक्टर और विन्नीब्लीटि (जीतने वाले उम्मीदवार) पे दाँव की बात होती है, पर ये मसला संगठन में नहीं होता।

जब से झारखंड कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से ये लिस्ट जारी की गयी तभी से पार्टी की ट्रॉल्लिंग हो रही है।

मुस्लिम और दलित नाम नहीं होना चूक, दूसरी सूची जारी होगा: प्रदेश अध्यक्ष

जब ईन्यूज़रूम ने प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर से बात की तो उन्होंने जहाँ ये कहा इस बार के चुनाव में इंटरव्यू के भी सहारा लिया गया, वहीं कुछ में कन्सिडर भी किया गया। “इस बार पूरी प्रक्रिया में उम्मीदवार का इंटरव्यू का ज़रिया चुनाव हुआ। मुसलमान या दलित का नाम नहीं आना दुर्भाग्यपूर्ण है। इस मामले में दोबारा सूची जारी होगी।”

और दलित उम्मीदवार नहीं होने की ये वजह बताई, “एक ज़िला अध्यक्ष के नाम में दास होने के वजह से ये अंदाज़ा लगाया गया कि वो दलित है, पर ऐसा नहीं था।”

सबसे खास बात ये कि, इंटरव्यू की प्रक्रिया होने के बावजूद, कांग्रेस के एमपी और एमएलए के बच्चों को भी जगह मिली है।

पर 25 में से एक भी महिला का ना होना भी एक बात है, पर इसमें पार्टी दलील देती है के महिला का एक विंग है जो पार्टी का फ्रंटल ऑर्गनाइज़ेशन है, इसलिए किसी महिला ज़िला अध्यक्ष का न होना उतनी बड़ी बात नहीं।

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