गिरिडीह: कल्पना मुर्मु सोरेन के पति, पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, भले जेल में हैं, पर झारखंड मुक्ति मोर्चा नेत्री पूरे आत्मविश्वास से कहती हैं कि आदिवासी एक बीज है जिस पर आप जितना मिट्टी डालोगे, वो पौधा बनकर वापस बीज देगा और ये भी दावा करती हैं कि जल्द देश को आदिवासी नेतृत्व मिलेगा।ए
मार्च 4 को जब कल्पना सोरेन झारखंड की राजनीति में सक्रिय हुई थी तो हेमंत सोरेन की पत्नी के आँखों में आँसू थे। दो महीने गुजरने के बाद जब मई 4 को ईन्यूज़रूम से उनकी मुलाकात हुई तो वो आत्मविश्वास से लबरेज थी। चेहरे पर मुस्कान लिए हुए, माथे पर हरी बिंदी वो एक सशक्त महिला की तस्वीर पेश कर रही थीं।
48 साल की कल्पना सोरेन ने इंजीनियरिंग और एमबीए की पढ़ाई की हैं, वो चार जुबानों—हिन्दी, इंग्लिश, उड़िया और बंगला में बात कर सकती हैं। पिछले 60 दिनों के राजनीतिक सक्रियता में ये साफ दिखा कि वो बहुत जल्द राजनीति के सभी पहलू को सीख रही हैं। पत्रकारों के जटिल से जटिल सवालों के जवाब दे रही और अपने मतदाताओं के बीच ज्यादा से ज्यादा समय दे रहीं। पढ़ें उनका ये इंटरव्यू।
ईन्यूज़रूम: आपको देखने और बात करने से एक सशक्त महिला की झलक मिलती है, सशक्तिकरण के पीछे सोरेन परिवार का कितना रोल है? और ये भी बताएं कि दो महीने का राजनीतिक अनुभव कैसा रहा?
कल्पना सोरेन: बाबा (शिबू सोरेन) का जो वर्षों परिश्रम रहा है, उन्होंने ने जो इतने वर्षो में किया है और हेमंत जी ने जितना झारखंड वासियों को जाना है उनलोगों ने मुझे यही सीख दी कि आप हमेशा आत्मसम्मान और स्वाभिमान के साथ रहिए। क्योंकि आपको कुचलने का बहुत बार प्रयास किया जाएगा, जैसा बाबा के साथ भी किया गया और हेमंत जी के साथ किया जा रहा था। उन्होंने मुझसे कहा कि अगर आप निडर हैं और आप जो आप बोलती हैं वह करना चाहती हैं उस के लिए आपको कॉन्फिडेंट रहना होगा। उनकी जो प्यार और शिक्षा रही है, उसमें ये सबसे महत्वपूर्ण हैं।
जहाँ तक बात दो महीने में मेरा राजनीति में कैसा अनुभव रहा। परिश्रम हर कोई कर रहा है, मैं भी कर रही हूँ। मेरे लिए सब चीज पहली बार है, हर चीज नया है। मेरे लिए कोई सजी सजाई चीजें नहीं हैं। मैं सीख रही हूँ। मैं कोशिश यही करूंगी के जितना अच्छा इसमें कर सकूँगी, वो करूंगी, लोगों की जो आकांक्षाएं मुझसे है, वो पूरा कर सकूँ।
देखे कल्पना सोरेन का इंटरव्यू
ईन्यूज़रूम: क्या आपको लगता है कि देश में आदिवासी नेतृत्व को पनपने नहीं दिया जाता है, पहले शिबू सोरेन को मंत्री रहते जेल जाना पड़ा और अब हेमंत सोरेन जो अच्छे बहुमत से आए थे पर अब जेल में हैं?
कल्पना सोरेन: “जब हमारे देश ने आज़ादी का सपना भी नहीं देखा था, तब हमारे जितने भी क्रांतिकारी थे, बाबा तिलका मांझी, बिरसा मुंडा, सिद्धों कानू, फूलो और झानो तब इन लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ हथियार उठाया था। जब हथियार उठाया था उस वक़्त वो लोग जंगल में रहते थे। ये सोच की बात है, कि आपकी परवरिश कैसी है। आप झुकना जानते हैं या नहीं और आपका डीएनए क्या कहता है। मैं हमेशा ये कहती हूँ कि आदिवासी का डीएनए ऐसा है कि वो झुकना स्वीकार ही नहीं कर सकता है। तो जब बाबा तिलका माँझी नहीं झुके, गुरुजी नहीं झुके, हेमंत जी नहीं झुके तो मुझे हमेशा ये लगता है कि आदिवासियों को दबाना का प्रयास किया जाता है। लेकिन मैं ये जानती हूँ कि आदिवासी एक बीज है जिसपे आप जितना मिट्टी डालोगे, वो पौधा बनकर फिर निकलेगा और जब उसमें फल आएगा तो वापस और बीज देगा।
और जहाँ तक देश को आदिवासी नेतृत्व की बात है तो जल्द वो समय आयेगा कि देश को कोई न कोई आदिवासी नेतृत्व जरूर मिलेगा।
ईन्यूज़रूम: चूँकि गाण्डेय विधानसभा की महिला मतदाताओं से लेकर देश की बहुत सारी महिलाएं आपको ध्यान से देख-सुन रही हैं, तो क्या उनको कुछ कहना चाहेंगी?
कल्पना सोरेन: मैं गाण्डेय की महिलाओं से अपील करती हूँ कि मुझे एक मौका दिया जाये। मैं अपना घर, परिवार छोड़ कर आई हूँ और गाण्डेय को अपना घर बनाना चाहती हूँ। आपके लिए काम करना चाहती हूँ। और मैं सिर्फ माताओं और बहनों के लिए नहीं बल्कि सभी वर्गों, इंसानों के लिए काम करना चाहती हूँ।