eNewsroom India Logo

झारखंड में 15 नवंबर से नेतरहाट उत्सव, कच्छ रण उत्सव से मिली प्रेरणा: पर्यटन मंत्री

Date:

Share post:

गिरिडीह: झारखंड—एक ऐसी जगह जो खनिज दौलत और अपार संभावनाओं से भरी हुई है। इसके बावजूद, यह अब तक हिंदुस्तान के पर्यटन के नक्शे पर उतना चमकता नहीं दिखा। लेकिन अब यह बदलने जा रहा है।

जल्द ही, झारखंड एक ऐसा राज्य बनेगा, जो देसी और विदेशी सैलानियों को यादगार मेमोरीज देगा।

एक शानदार विरासत

झारखंड साल 2000 में बिहार से अलग हुआ था। इस इलाक़े को पहले हैल्थ रिसॉर्ट के तौर पर जाना जाता था। तब ये दक्षिण बिहार कहलाता था, और 70 के दशक तक कई नामचीन बंगाली हस्तियां यहां गर्मियों में वक्त गुजारने और काम करने आते थे।
यही वो जगह है जहां सर जेसी बोस ने ‘क्रेस्कोग्राफ मशीन’ बनाई, जिससे यह साबित हुआ कि दरख़्तों में भी ज़िंदगी होती है। यहीं मशहूर गणितज्ञ पीसी महलनोबिस ने हिंदुस्तान का दूसरा भारतीय सांख्यिकी संस्थान क़ायम किया। गोमोह रेलवे स्टेशन—जहां से नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजों को चकमा देकर निकलने का ऐतिहासिक फ़ैसला किया—अब ‘सुभाष चंद्र बोस गोमोह रेलवे स्टेशन’ कहलाता है।

इतिहास से हटकर अगर पिछले दो महीने की बात करें, तो झारखंड अब कई नए तजुर्बों से सैलानियों को आकर्षित करने की तैयारी कर रहा है। इसमें जमशेदपुर का पहला स्काईडाइविंग शो (जारी है), मेक माय ट्रिप के साथ पार्टनरशिप, चार ग्लास के शानदार पुल की प्रशासनिक स्वीकृति, माइन टूरिज़्म, नाइट सफ़ारी और जंगल सफारी की तैयारी शामिल है।

इन तमाम नए क़दमों को देखते हुए, ईन्यूज़रूम ने झारखंड के पर्यटन मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू से बात की, ताकि यह समझा जा सके कि उनका महकमा राज्य के पर्यटन और मेहमान नवाज़ी के नक़्शे को किस तरह बदलने की तैयारी में है।

सुदिव्य कुमार सोनू, पर्यटन मंत्री:

संतुलन की ज़रूरत

जब मैंने पर्यटन मंत्री का पद संभाला, तो मैंने देखा कि राज्य के पर्यटन की पूरी क्षमता को प्राप्त करने के लिए कुछ अहम मुद्दे थे, जिन पर ध्यान देना ज़रूरी था। सबसे बड़ा मुद्दा था वित्तीय आवंटन में असंतुलन, जहां 70% धार्मिक पर्यटन पर और केवल 30% अन्य क्षेत्रों पर खर्च होता था। मेरा उद्देश्य इसे संतुलित करना है, ताकि झारखंड के पर्यटन के विविध पहलुओं—उसकी समृद्ध संस्कृति, प्रकृति और धरोहर—को समान रूप से बढ़ावा मिल सके।

महकमे की मुश्किलें और हल

दूसरी चुनौती यह थी कि झारखंड के अधिकांश प्रमुख पर्यटन स्थल वन क्षेत्रों में स्थित हैं, और ऐतिहासिक रूप से पर्यटन और वन विभागों के बीच कम सहयोग रहा है। इसका परिणाम यह हुआ कि पर्यटन सुविधाएं अक्सर प्रमुख स्थलों से दूर बनती थीं, और पर्यटकों को वह सुविधाएं नहीं मिल पातीं जिनकी उन्हें उम्मीद होती थी। इस समस्या को हल करना मेरी प्राथमिकता रही है।

जेईटीए को पुनर्जीवित करना

मेरे द्वारा उठाए गए पहले कदमों में से एक था झारखंड इकोटूरिज्म एमेनीटीज़ (JETA) समिति की निष्क्रियता को दूर करना, जिसे 2017 में सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के तहत स्थापित किया गया था। यह केवल कागज पर मौजूद थी। मैंने इसे पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया और इसे झारखंड के पर्यटन स्थलों में विश्वस्तरीय इको-पर्यटन सुविधाओं के विकास की जिम्मेदारी दी।

जेएफ़एमसी में औरतों की हिस्सेदारी बढ़ाना

संयुक्त वन प्रबंधन समिति (JFMC) में महिलाओं का प्रतिनिधित्व केवल 33% था, जबकि बाकी 66% पुरुषों का था। मुझे पूरा विश्वास है कि महिलाएं बेहतर उद्यमी होती हैं, इसलिए मैंने यह प्रस्ताव दिया कि महिला भागीदारी को 50% तक बढ़ाया जाए। विभाग ने इसे स्वीकार किया, और अब महिलाओं का प्रतिनिधित्व आधा होगा, जो वन और पर्यटन प्रबंधन में एक नया दृष्टिकोण लाएगा।

होटल इंडस्ट्री के माहिरों से तालमेल

हमलोग स्थानीय लोगों को आतिथ्य सेवा में प्रशिक्षित करने के लिए देश के बड़े होटल प्रबंधन संस्थानों के साथ पहल कर रहें है—बेडशीट्स बनाने से लेकर उत्कृष्ट सेवा मानकों के साथ भोजन परोसने तक को प्रॉफेश्नल अंदाज में किया जाएगा । हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि हमारे पास मानक और स्थानीय दोनों प्रकार के भोजन हों, ताकि हमारे विविध पर्यटकों की पसंद को पूरा किया जा सके। वर्तमान में अधिकतर पर्यटक बंगाल से आते हैं, और अक्सर बजट एक चिंता का विषय होता है। इसके लिए हम होमस्टे की शुरुआत करने की योजना बना रहे हैं, जो मैंने सिक्किम में बहुत सफल होते देखा।

इको-टूरिज़्म के लिए रेवेन्यू मॉडल

इको-पर्यटन गतिविधियों से मिलने वाली आय को एक स्पष्ट वितरण मॉडल के तहत साझा किया जाएगा: 60% JETA को मिलेगा ताकि इको-पर्यटन सुविधाओं को बनाए रखा और विस्तारित किया जा सके, और 40% JFMC को मिलेगा ताकि स्थानीय समुदायों को खाद्य सेवाएं और अन्य सुविधाएं मिल सकें।

JTDC को एक आत्मनिर्भर बनाना

झारखंड पर्यटन विकास निगम (JTDC) वर्तमान में 40 होटलों का प्रबंधन करता है, लेकिन वे अपनी पूरी क्षमता के मुताबिक काम नहीं कर रहे थे। मैंने केरल और ओडिशा में उनके आत्मनिर्भर मॉडल का अध्ययन करने के लिए टीमें भेजी और अब हम वही मॉडल यहां लागू कर रहे हैं। हम ताज समूह, रेडिसन और स्टर्लिंग जैसी प्रतिष्ठित आतिथ्य ब्रांडों से पेशेवर प्रबंधकों को लाने की योजना बना रहे हैं ताकि हमारे खाद्य और आतिथ्य सेवाएं वैश्विक मानकों के अनुसार हों।

नेतरहाट फ़ेस्टिवल: तहज़ीब का जश्न

हम ‘नेतरहाट उत्सव’ की शुरुआत करने जा रहे हैं, जो गुजरात के कच्छ के रण उत्सव से प्रेरित है। मैंने ख़ुद कच्छ का दौरा किया और देखा कि कैसे वहां लोकल खान-पान, हस्तकला और रंग-बिरंगी तहज़ीब को उजागर किया जाता है। इसी तरह, हम 15 नवंबर से 15 जनवरी तक झारखंड में दो माह तक चलने वाला यह महोत्सव करेंगे, जहां 80% खाना लोकल होगा, और तमाम सांस्कृतिक सरगर्मियां झारखंड की पहचान को सामने लाएंगी।

झारखंड: नया सफ़र, नया मुक़ाम

राज्य अब एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है। यह तब्दीली सिर्फ़ झारखंड के लोगों के लिए नहीं, बल्कि जल्द ही पूरी दुनिया के लिए भी वाज़ेह हो जाएगी। नई योजनाओं और स्थायी सैरगाही तजवीज़ों के साथ, यह इलाका हिंदुस्तान के सबसे पसंदीदा सैलानी मुकामों में शामिल होने की पूरी तैयारी कर रहा है।

spot_img

Related articles

नेताओं ने झारखंड की ज़मीन, जनता के हक़ के बदले सौंप दी कंपनियों को- झारखंड जनाधिकार महासभा

झारखंड अपनी 25वीं वर्षगांठ मना रहा है, लेकिन झारखंड आंदोलन के सपने पहले से कहीं ज़्यादा दूर हैं।...

El Fashir Has Fallen — and So Has the World’s Conscience on Sudan

The seizure of the city of El Fashir in North Darfur by the paramilitary Rapid Support Forces (RSF)...

Politics, Power, and Cinema: Author Rasheed Kidwai Captivates Dubai Audience

Dubai: Literature enthusiasts from India and Dubai gathered at the India Club for a memorable evening with celebrated...

The Untamed Soul of Indian Cinema: How Ritwik Ghatak’s Art Still Speaks to Our Times

The World Cinema Project has restored, among other films, Titas Ekti Nodir Naam by Ritwik Ghatak. Martin Scorsese,...