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जेएमएम ने पीएम मोदी के कोरोना महामारी से रोकथाम के लिए टोना-टोटका को विज्ञान के खिलाफ और देश वासियों को निराशा की तरफ ले जाने वाला बताया

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रांची: देश में जारी 21 दिनों के लॉकडाउन में सबसे ज्यादा परेशानी प्रवासी मजदूरों को झेलना पङ रहा है और इसमें झारखंड के मजदूर की संख्या लाखों में है, पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का कहना है कि पिछले दिनों हुए दो विडियो कॉन्फ्रेंसिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से कुछ भी बात नहीं की।

महासचिव सह प्रवक्ता, केन्द्रीय समिति, झामुमो, सुप्रियो भट्टाचार्य के हवाले से जारी आज एक प्रेस विज्ञप्ति में ये भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने आज सुबह जो आह्वान किया है कि अप्रैल 5 को रात 9 बजे देशवासी दीया-बाती जलाए, का विज्ञान के दौर में टोना-टोटका कर महामारी को टालने जैसा है और निराशा का संदेश देता है।

जेएमएम की आपत्ति

प्रेस विज्ञप्ति की शुरुआत में ही जेएमएम ने प्रधानमंत्री के आज के संदेश पर आपत्ति दर्ज  की। “नॉवेल कोरोना (Covid-19) के कारण महाप्रलयकारी विश्व व्यापी मानवता को बचाने के इस संकट कालीन दौर में देश के प्रधानमंत्री द्वारा आज प्रातः 9 बजे देशवासियों के लिए दिए गए संदेश में झारखण्ड राज्य समेत समस्त देशवासियों को निराशा की तरफ ले जाने का संदेश मिला।,”

“विज्ञान और तर्क के इस युग में टोना-टोटका द्वारा इस महासंकट को टालने की जो कोशिश या पहल की जा रही है वह कहीं से भी उचित प्रतीत नहीं होता है”।

विज्ञप्ति में झारखंड के खस्ताहाल स्वास्थ्य संरचना को भी लिखा गया, “झारखण्ड जैसे अत्यंत दुर्गम एवं पिछड़े राज्य में जहां विगत पांच वर्षों में इवेंट के नाम पर खजाना खाली कर दिया गया एवं देश के समस्त मुख्यमंत्रियों से प्रधानमंत्री द्वारा विगत दिनों दो बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संवाद स्थापित किया गया, लेकिन दुर्भाग्यवश दोनों ही बार झारखण्ड राज्य के मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन जी से राज्य की पीड़ा एवं असुविधाओं के संबंध में कोई भी संवाद स्थापित नहीं किया गया।

“इस राज्य में विगत शासन के द्वारा जो खस्ताहाल स्वास्थ्य संरचना एवं आधारभूत सुविधाओं को नज़रअंदाज़ किया गया, उसके कारण राज्य में आज स्वास्थ्य सेवा को लेकर चिंता की स्थिति है”।

पार्टी के द्वारा जारी रिलीज में एक जगह बोल्ड अक्षर में भी लिखा गया,

“ताली-थाली, दीया-बाती से कोरोना के खिलाफ जंग नहीं जीता जा सकता। क्या घर की सारी बत्तियां बन्द कर देने से कोरोना किसी का घर पहचान नहीं पाएगा या टॉर्च जलाकर देशवासी अपने घर के बाहर निकल कर कोरोना को खोजने का काम करेंगे”।

ये भी ज़िक्र किया गया कि कैसे कोरोना वाइरस देश के बाहर आने-जाने वाले लोगों के तरफ से फैलाया हुआ एक महामारी है पर इसकी सज़ा देश के गरीब लोग उठा रहे हैं, “पासपोर्ट की खता बीपीएल, एपीएल सहित 80 प्रतिशत देशवासियों को चुकाना पड़ रहा है। यह समय इवेंट का नहीं हो सकता”।

और आखिर में मोदी सरकार से बकाया जीएसटी की मांग की गयी, “केंद्र सरकार अविलम्ब राज्य सरकार को सही अर्थों में यदि मदद करना चाहती है तो पर्याप्त मात्रा में हैंड सेनिटाइजर, N95 मास्क, स्वास्थ्यकर्मियों के लिए पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट, सेनिटाइजेशन मोबाइल यूनिट, वेंटिलेटर, Covid-19 डिटेक्शन किट, राज्य के बकाया जीएसटी एवं अन्य प्राप्य राशि का भुगतान कर सहयोग करे”।

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