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झारखंड में भाजपा को झटका! गिरिडीह मेयर का जाति प्रमाण पत्र रद्द

गिरिडीह/रांची: 16 महीने पहले गिरिडीह म्यूनिसिपल कार्पोरेशन के पहले मेयर बने सुनील पासवान की जाति प्रमाण पत्र को झारखंड के आदिवासी कल्याण आयुक्त के आदेश पे रद्द कर दिया गया है। जिसका सीधा मतलब ये होता है के भारतीय जनता पार्टी के मेयर, पासवान को ना सिर्फ मेयर पद से हटाया जा सकता है बल्के उनपे कानूनी कारवाई भी हो सकती है।

गिरिडीह म्यून्सीपालिटी को 2018 मे कार्पोरेशन का दर्जा मिला और उसी साल से झारखंड में निकाय चुनाव पार्टी के आधार पे भी शुरू हुये। पर दुसरे राज्यो के मुकाबले यहाँ सिर्फ मेयर और उप मेयर के पद को ही पार्टी सिम्बल पे लड़ा गया। गिरिडीह के सीट को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया था।

नोमिनेश्न के बाद स्कूर्टिनि के दौरान ही ज़िला प्रशासन ने जब अंचल से रिपोर्ट मांगा तो पाया था के बीजेपी, काँग्रेस दोनों बड़ी पार्टियो के उम्मेदवारों का जाति फरमान पत्र सही नहीं है। ज़िला प्रशासन ने काँग्रेस के समीर चौधरी के खिलाफ 420 का केस भी दर्ज़ करवाया था। पर वही बीजेपी के उम्मेदवार को क्लीन चिट दे दी थी।

ईन्यूज़रूम ने भी निकाए चुनाव के दौरान ही मामले को प्रमुखता से उठाया था

अब आदिवासी कल्याण आयुक्त के आदेश पे गिरिडीह अंचल अधिकारी ने मेयर सुनील पासवान का जाति प्रमाण पत्र को ही रद्द कर दिया और गिरिडीह आयुक्त और दुसरे अधिकारियों को सूचित करने के साथ समाचार पत्रो में भी प्रकाशित करने का आदेश दे दिया। जिससे पासवान का मेयर का पद जाना तए माना जा रहा है।

“हमलोग चुनाव आयोग को गिरिडीह अंचल अधिकारी की रिपोर्ट भेज रहे है। जैसा चुनाव आयोग का आदेश होगा, हम उस तरह की कारवाई करेंगे,” गिरिडीह के उपायुक्त राजेश पाठक ने ईन्यूज़रूम को बताया।

वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा की ज़िला प्रवक्ता और पासवान के विरुद्ध चुनाव लड़ चुकी प्रमिला मेहरा जिन्होने पासवान के उम्मीदवारी को चैलेंज भी किया था, कहती हैं, “चुनाव के दौरान ही भाजपा के कैंडिडैट का उम्मीदवारी रद्द हो जाना चाहिए था, और इससे जनता की पैसो की बर्बादी नहीं होती। पर अब कम से कम आदिवासी कल्याण आयुक्त के आदेश पे ही सही, ज़िला प्रशासन ने सही कदम उठाया।”

झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इस मामले को लेकर कोर्ट में एक याचिका भी दायर किया हुआ है।

और अब पार्टी इसे और भी आगे ले जाना चाहती है। “पार्टी अब ज़िला प्रशासन को लिखेगी के पासवान को मेयर पद से तत्काल प्रभाव से हटाये और उनपे कानूनी कारवाई करे,” पार्टी के सेंट्रल कमेटी सदस्य सुदिव्य कुमार सोनू ने ईन्यूज़रूम को बताया।

सूत्र ये भी बताते हैं के झारखंड के कुछ और जिलों के मेयर को भी इस के बाद कुर्सी खोना पड़ सकता है।

वैसे मेयर पासवान ने पत्रकारो को ये कहाँ है की चुकी मामला कोर्ट में है इसलिए आदिवासी कल्याण आयुक्त के आदेश का ज्यादा महत्व नहीं है।

अब देखना ये होगा की क्या वाकई कोर्ट पासवान को कोई संजीवनी देगा या पासवान के गिरिडीह म्यूनिसिपल कार्पोरेशन के पहले मेयर होने का गौरव बीच में ही छीन जाएगा हमेशा के लिए। और इससे सत्ताधारी भाजपा को झारखंड विधान सभा चुनाव के ठीक पहले बड़ा झटका लग सकता है।

Shahnawaz Akhtar

is Founder of eNewsroom. He brings over two decades of journalism experience, having worked with The Telegraph, IANS, DNA, and China Daily. His bylines have also appeared in Al Jazeera, Scroll, BOOM Live, and Rediff, among others. The Managing Editor of eNewsroom has distinct profiles of working from four Indian states- Jharkhand, Madhya Pradesh, Rajasthan and Bengal, as well as from China. He loves doing human interest, political and environment related stories.

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