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गिरिडीह की रेलवे कनेक्टिविटी की आवाज़: 44 सालों बाद भी नहीं मिली मंजिल, सांसद सरफराज अहमद ने फिर उठाई संसद में मांग

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दिल्ली/गिरिडीह: पिछले 44 सालों में गंगा में बहुत पानी बह गया। और गिरिडीह शहर भी बदल गया। नहीं बदली या बनी तो रेलवे मानचित्र पर गिरिडीह की कोई खास पहचान और एक आवाज़, जो भारत के संसद भवन में गिरिडीह को जोड़ने के लिए 1980 में भी उठी थी और 2024 में भी।

गिरिडीह रेल स्टेशन, देश के सबसे पुराने स्टेशनों में से एक है और 150 साल पहले इसकी स्थापना अंग्रेजों ने कराई थी।

झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसद डॉक्टर सरफराज अहमद ने बुधवार को गिरिडीह-कोलकाता और गिरिडीह-पटना के बीच ट्रेन देने की मांग राज्यसभा में उठाई।

बताते चलें कि, डॉ सरफराज अहमद ने ही चार दशकों पहले जब वो लोकसभा में कांग्रेस पार्टी की ओर से सांसद बने थे तो गिरिडीह को बिहार और बंगाल की राजधानी से जोड़ने के लिए बात रखी थी।

“फिर मैंनें स्वर्गीय माधव राव सिंधिया जो उस वक़्त रेलवे मिनिस्टर थे से मिलकर भी बोला और गिरिडीह को तीन कोच- दो (एक स्लिपर और एक 3एसी), कोलकाता के लिए और एक (स्लिपर) पटना के लिए मिला था,” डॉ सरफराज ने ईन्यूज़रूम को बताया।

ये कोच मधुपुर में जाकर कोलकाता और पटना को जाने-आने वालों ट्रेनों से जुड़ कर चला करती थी। 2020 के कोविड लॉकडाउन में ये परिचालन बंद कर दिया गया। फिर ये बोला गया कि गिरिडीह और कोलकाता के बीच ट्रेन ही शुरू की जाएगी और ऐसे चार साल गुज़र गए। गुज़र तो चौवालिस साल भी गए। इस बीच गिरिडीह ने सात बार एनडीए का सांसद चुन कर संसद में भेजा, डबल इंजिन की सरकार भी बनवाई। पाँच बार भाजपा के रवीन्द्र पाण्डेय और दो बार आजसु के चन्द्र प्रकाश चौधरी को भेजा गया गिरिडीह के लोगों की समस्याओं को देश के सामने रखने पर न संसद में कभी रेल सुविधा को लेकर किसी ने आवाज़ उठाई और ना गिरिडीह को कुछ ख़ास मिला।

अभी कोलकाता-पटना जाने के लिए गिरिडीह के लोगों को या तो 60 किलोमीटर दूर धनबाद स्टेशन, 50 किलोमीटर दूर मधुपुर या 45 किलोमीटर पारसनाथ जाना पड़ता है।

पिछले साल ईन्यूज़रूम ने गिरिडीह को कोलकाता, पटना और रांची से जोड़ने की अहम जरूरत पर रिपोर्ट बनाई थी, जिसके बाद चेंबर्स ऑफ कॉमर्स के लोगों ने रेलवे मिनिस्टर से मुलाकात की और फिर गिरिडीह-रांची के बीच एक इंटरसिटि मिली

झामुमो सांसद ने आगे कहा, “पिछले साल देश में कई वंदे भारत ट्रेन चलायी गई, पर इसमें भी जो वंदे भारत, मधुपुर होती हुई हावड़ा को जाती है, उसे मधुपुर में ना रोक कर, जामताड़ा में रोका जा रहा, जिससे गिरिडीह के लोगों को कोई लाभ नहीं मिल रहा। मैंनें वंदे भारत को मधुपुर में रोके जाने और गिरिडीह-रांची इंटरसिटि को सलाईया (पचम्बा) और महेशमुंडा रेल स्टेशनों पर रोकने के बात संसद में रखी।”

हालांकि, हाल के दिनों में संसद में एक नया चलन शुरू हुआ है, विपक्ष के सांसद जब बात रखते हैं तो माइक महत्वपूर्ण समय में बंद हो जाती है, वही सरफराज अहमद के साथ भी हुआ।

बाद में सरफराज अहमद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मिलकर ज्ञापन भी दिया।

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