उत्कृष्ट विधायक सम्मान के भाषण में भी विनोद सिंह ने करी धनबाद में हुई फ़ाइरिंग से मौत पे कारवाई की माँग

मुद्दों की गहरी समझ, तार्किक तरीके से बात रखना, आम लोगों से सीधा राबता, उनके मामलों में संवेदनशील रवैया, और बेदाग छवि बनाती है सीपीआईएमएल विधायक को देश में सबसे अलग नेता

Editor's choice

Related Stories

रांची: झारखंड के बने बाईस साल हो गए और जब भी इस खनिज सम्पन्न राज्य में राजनीति की बात होती है तो, या सरकार की जोड़-तोड़ या किसी नेता के भ्रष्टाचार का जिक्र के साथ होता है। पर 22 नवम्बर का दिन अलग था। झारखंड विधानसभा स्थापना दिवस के मौके पे सीपीआईएमएल के विधायक विनोद कुमार सिंह को बिरसा मुंडा उत्कृष्ट विधायक सम्मान दिया गया। तीन बार के बगोदर से विधायक, विनोद सिंह को न सिर्फ उनके अपने विधान सभा क्षेत्र बल्कि पूरे झारखंड की समस्या को सड़क से लेकर सदन तक आवाज़ उठाने के लिए पूरे राज्य में जाना जाता है।

जब विनोद सिंह के नाम का एलान झारखंड विधान सभा समिति जिसमें विधान सभा अध्यक्ष रवींद्र महतो भी शामिल है ने किया तो किसी को भी आश्चर्य नहीं हुआ। कुछ को तो लगा, इसे और पहले हो जाना चाहिए था।

इसका जवाब माले विधायक ने ईन्यूज़रूम को दिया। “दो बार पहले भी समिति के लोग मेरे नाम का ऐलान करना चाहते थे, पर मैंने मना कर दिया था। इस बार मुझे ये जानकारी मीडिया के जरिये से हुई।”

महेंद्र सिंह की विरासत को आगे बढ़ाया

ईन्यूज़रूम ने रांची के पत्रकार रवि प्रकाश और राजनीतिज्ञ विश्लेषक विष्णु राजगड़िया से जब विनोद सिंह के काम और व्यक्तित्व के बारे में जानना चाहा तो दोनों ने एक बात समान कही, कि विनोद में पिता महेंद्र सिंह की छवि दिखती है और अपने पिता के आदर्शों पे चलकर वो आम लोगों के मुद्दे उठा रहें।

बागोदर विधायक ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नाकोत्तर की पढ़ाई की है।

विनोद सिंह में उम्मीदें हैं, उनको आप कपड़ों से नहीं पहचान सकते

“जब देश के प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) कहते हैं कि लोगों को कपड़ों से पहचानिए, पर आप विनोद जी को कपड़ों से नहीं समझ सकते कि वो विधायक है। जैसे आज के विधायक महंगे कपड़े और घड़ी पहनते हैं, वो नहीं पहनते, डाउन टू अर्थ हैं। कुछ विधायक तो विधानसभा तक में भगवा या हरा कपड़ा पहनते हैं अपने को हिन्दुओं या मुस्लिमों का नेता दिखाने के लिए, पर बगोदर विधायक मुद्दों पे टू द पॉइंट और स्पेसिफिक बात करते हैं, जटिल से जटिल विस्थापन और पुनर्वास के मामले उठाते हैं। पिछले विधानसभा सत्र में भी विनोद जी ने 1932 खतियान के बिल के नाम को और छोटा करने की वाजिब माँग की, भले सरकार ने इसमें अपने तर्क दिये और नहीं माना। झारखंड विधानसभा ने उन्हें सम्मानित कर सही कदम उठाया, क्यूंकी उनमे उम्मीदें हैं, वो यंग हैं।” रवि, जिनके लेख बीबीसी में अकसर छपते हैं ने बताया।

ईन्यूज़रूम की विनोद सिंह पे विडियो रिपोर्ट

झारखंड ही नहीं, देश भर में अलग किस्म के विधायक हैं विनोद

विष्णु राजगड़िया ने ईन्यूज़रूम को बताया, “विनोद जी झारखंड ही नहीं, देश भर में अलग किस्म के विधायक हैं। यह खासियत उन्हें अपने स्वर्गीय पिता महेंद्र सिंह से मिली। विनोद जी सांस्कृतिक अभिरुचि के व्यक्ति हैं जिन्हें परिस्थितिवश राजनीति में आना पड़ा। लेकिन वामपंथ की परंपरा का सजीव उदाहरण प्रस्तुत करते हुए उन्होंने आम जनता के साथ जुड़ाव कायम रखा। विधानसभा में जनसंघर्षों की आवाज बने। सादगी, मितव्ययता और ईमानदारी की मिसाल बने। विनोद जी में अध्ययनशीलता भी काफी है जिसके कारण मुद्दों को आसानी से समझ जाते हैं। स्पष्ट सोच के कारण मुद्दों को उठाने और बोलने की उनकी क्षमता भी काफी प्रखर है। समाज के किसी भी वर्ग से जुड़ा मुद्दा हो, उनकी स्पष्ट राय साफ दिखती है। यही कारण है कि मीडिया, ब्यूरोक्रेसी और सभी राजनीतिक दलों के लोगों के बीच विनोद जी के प्रति एक अलग ही सम्मान दिखता है।”

सम्मान भाषण में भी विधायक ने धनबाद में सीआईएफ़एस की फ़ाइरिंग से हुई मौत में कारवाई की मांग की

राज्यपाल रमेश बैस ने, विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र महतो, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की उपस्थिति में माले विधायक को सम्मानित किया।

तेरह मिनट के अपने सम्मान भाषण में विनोद सिंह ने न सिर्फ जमीनी पत्रकारिता कर रहे पत्रकारों को याद किया और कहा के उनके वजह से ही उन्हे आम लोगों की बात सड़क से लेकर सदन तक उठाने में मदद मिलती है, और फिर सक्षम अधिकारियों का जिक्र किया जो उनके उठाए मुद्दे पे कारवाई करते हैं, साथ ही धनबाद में हुई फ़ाइरिंग में चार लोगों की हुई मौत पे कारवाई करने का भी हेमंत सरकार से आह्वान किया।

पिता को याद करते पुरस्कार राशि को अपने क्षेत्र में किताबें खरीदने के लिए दिया दान

46-साल के विनोद सिंह ने अपने भाषण में पिता और पूर्व विधायक महेंद्र सिंह को याद किया और बताया कि किताबों से महेंद्र सिंह को कितना लगाव था। “एक वक़्त ऐसा भी आया जब हम दोनों में किताबों के जरिये ज्यादा बातें होती थी। मैं पुरस्कार में मिली राशि (51000 हज़ार) को अपने क्षेत्र के कॉलेज में किताबें खरीदने के लिए देता हूँ,” बगोदर विधायक ने अपने अभिभाषण में कहा।

FOLLOW US

4,474FansLike
280FollowersFollow
917FollowersFollow
2,330SubscribersSubscribe

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Top Stories