झारखंड के बगोदर में जाति, धर्म और पैसे की ताकत ने एक मजबूत नेता को हरा दिया, जिसने जनता के लिए सबसे कठिन समय में खड़े होकर काम किया। विनोद सिंह ने न केवल कोविड के दौरान असहाय लोगों की मदद की, बल्कि शिक्षा और विकास में अपनी छाप छोड़ी। उनकी हार से झारखंड में यह बहस छिड़ गई है कि क्या विकास की राजनीति का दौर खत्म हो चुका है?
रांची: संयुक्त बिहार की सबसे पुरानी पार्टी मार्क्सवादी समन्वय समिति (एमसीसी) अब भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के नाम से जानी जायेगी। 1971 में धनबाद...