झारखंड

जिनसे लड़े, उनके बच्चों को भी अपनाया; कार्यकर्ताओं को तराशा, बहू को सशक्त किया: शिबू सोरेन की सियासत कुछ अलग थी

वंशवाद के आरोपों के बीच, शिबू सोरेन ने ज़मीनी कार्यकर्ताओं और यहां तक कि विरोधियों के बच्चों को भी आगे बढ़ाया। ज़मींदार के बेटे संजीव को सुप्रीम कोर्ट का वकील और फिर राज्यसभा सांसद बनाया, तो कार्यकर्ता सुदिव्य को मंत्री पद तक पहुंचाया। बहू कल्पना सोरेन को भी सशक्त बनाकर राजनीति में उतारा, जिन्होंने चुनाव जीतकर पार्टी को सत्ता में लौटाया

झारखंड के सोरेन परिवार पर अक्सर वंशवाद का इल्ज़ाम लगता रहा है, खासकर भारतीय जनता पार्टी की तरफ़ से। लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के संस्थापक शिबू सोरेन ने सिर्फ अपने परिवार को नहीं, बल्कि पार्टी कार्यकर्ताओं और यहां तक कि ज़मींदारों के बेटों को भी आगे बढ़ाया—जिन ज़मींदारों के ख़िलाफ़ उन्होंने कभी ज़ोरदार आंदोलन चलाया था।

शिबू सोरेन के वालिद शोबरन मांझी, जो एक शिक्षक थे, की हत्या तब कर दी गई थी जब सोरेन आठवीं कक्षा में पढ़ते थे। ये हत्या ज़मींदारों ने की थी। इसके बाद सोरेन ने स्कूल छोड़ दिया और ज़मींदारी प्रथा के ख़िलाफ़ एक मज़बूत आंदोलन शुरू किया। उन्होंने गिरिडीह, धनबाद, बोकारो और जामताड़ा इलाकों में ‘धान कटनी आंदोलन’ चलाया।

ज़मींदारों से लड़े, लेकिन उनके बच्चों साथ खड़े रहें

धान कटनी आंदोलन काफ़ी तेज़ और टकराव वाला आंदोलन था। उस वक़्त ज़मींदार अब भी ताक़तवर थे और उन्होंने इस आदिवासी-आधारित किसान आंदोलन को कुचलने की भरपूर कोशिश की। लेकिन शिबू सोरेन की क़ियादत में आंदोलन दिन-ब-दिन मज़बूत होता गया। 1970 में उन्होंने ‘सानोत संथाल समाज’ बनाया और इस पूरे इलाक़े में अपनी पकड़ बना ली। धीरे-धीरे ज़मींदारों का दबदबा टूटता गया।

इसी दौरान एक ज़मींदार गुणधर दान ने शिबू सोरेन से मुलाक़ात की। उन्होंने कहा कि आंदोलन की वजह से उनका रोज़गार छिन गया है और अब वह अपने बच्चों को पालने में भी असमर्थ हैं। उन्होंने अपने बेटे संजीव को आगे की पढ़ाई के लिए बाहर भेजने की ख़्वाहिश जताई।

शिबू सोरेन ने उनकी बात सुनी और उन्हें भरोसा दिलाया कि वह उनके बेटे की मदद करेंगे। उन्होंने एलान किया कि वह संजीव कुमार को गोद लेकर पढ़ाई में मदद करेंगे।

धनबाद के टुंडी के मनियाडीह गांव के रहने वाले संजीव ने रांची यूनिवर्सिटी से बीएससी और दिल्ली यूनिवर्सिटी से एलएलबी किया। वह सुप्रीम कोर्ट में वकील बने और शिबू सोरेन के लगभग सभी केस उन्होंने ही लड़े। बाद में जेएमएम ने उन्हें राज्यसभा भेजा।

पार्टी कार्यकर्ताओं को भी आगे बढाया

झारखंड सरकार में मंत्री और जेएमएम नेता सुदिव्य कुमार याद करते हैं, “जब मैंने जेएमएम जॉइन किया और पूरा समय पार्टी को देने लगा तो मेरे पिता को मेरी फ़िक्र होने लगी। तभी पिरटांड डबल मर्डर केस दोबारा खुला और गुरुजी अक्सर गिरिडीह आने लगे। मैं ज़्यादातर वक़्त उनके साथ रहने लगा।”

“एक दिन वो हमारे घर आए, मेरे पिता से मिले और कहा कि मुझे उनके साथ रहने दिया जाए। उन्होंने भरोसा दिया कि वो मुझे बेटे की तरह गाइड करेंगे।”

इसके बाद सुदिव्य कुमार को विधायक का टिकट मिला, दो बार चुनाव जीते और आज मंत्री हैं।

पिछले पांच दशकों में जेएमएम की यात्रा के दौरान यह बात आम है कि गुरुजी ने कई समर्पित कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ाया और उन्हें पार्टी और सरकार दोनों में अहम जगह दिलाई।

महिला सशक्तिकरण

शिबू सोरेन की बहू, कल्पना सोरेन, जिनका सशक्तिकरण भी गुरुजी की लगातार की गई मार्गदर्शना का हिस्सा रहा है। वरना किसी महिला के लिए 18 सालों तक गृहनी बनकर रहना फिर सक्रिय राजनीति में आना, एक अनुभवी नेता की तरह चुनाव प्रचार करना और पार्टी को दोबारा सत्ता में लाना इतना आसान नहीं होता।

एक पारिवारिक शख्स

81 साल की उम्र में शिबू सोरेन के इंतिकाल के बाद झारखंड सरकार ने तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। सोशल मीडिया पर कई लोग मांग कर रहे हैं कि यह शोक अवधि सात दिन की होनी चाहिए क्योंकि उनका निधन झारखंड के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है।

शिबू सोरेन के परिवार में पत्नी रूपी सोरेन, तीन बेटे—दुर्गा, हेमंत और बसंत—और एक बेटी अंजलि हैं। वो ज़िंदगी भर शाकाहारी रहे और कभी शराब नहीं पी।

अब कई लोगों की मांग है कि ‘दिशोम गुरु’ को भारत रत्न दिया जाए—एक ऐसा नेता जिन्होंने भारतीय सियासत के लगभग हर बड़े मंच पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई, झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रहे और केंद्रीय मंत्री भी बने।

Shahnawaz Akhtar

is Founder of eNewsroom. He brings over two decades of journalism experience, having worked with The Telegraph, IANS, DNA, and China Daily. His bylines have also appeared in Al Jazeera, Scroll, BOOM Live, and Rediff, among others. The Managing Editor of eNewsroom has distinct profiles of working from four Indian states- Jharkhand, Madhya Pradesh, Rajasthan and Bengal, as well as from China. He loves doing human interest, political and environment related stories.

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