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आरपीएन के पार्टी छोड़ने का मनाया जश्न, क्या ये नयी काँग्रेस है?

प्रसिद्ध राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई ने भी पिछले साल जून में अपने एक लेख में आरपीएन के बीजेपी में जाने की बात लिखी थी

राँची: काँग्रेस के नेताओं का पार्टी छोड़ना, कोई ज्यादा नयी बात नहीं होती मीडिया के लिए, पर जिस तरह झारखंड में आरपीएन सिंह के पार्टी से जाने का जश्न मनाया गया वो ध्यान खींचने वाला ज़रूर हैं।

आरपीएन, झारखंड काँग्रेस के प्रभारी थे और पार्टी के कई सीनियर नेताओं के बीच में उनके पार्टी छोड़ने और बीजेपी जॉइन करने की चर्चा तब से चल रही थी जबसे जितेंद्र प्रसाद गए थे।

प्रसिद्ध राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई ने भी पिछले साल जून में अपने एक लेख में आरपीएन के बीजेपी में जाने की बात लिखी थी।

आज जब आरपीएन ने अपना काँग्रेस छोड़ने का लेटर ट्वीट किया तो उसके बाद झारखंड के दो एमएलए— अम्बा प्रसाद और इरफान अंसारी ने खुल कर ब्यान दिया के पूर्व प्रभारी बहुत पहले से झारखंड में सरकार गिराना चाह रहे थे और कई पार्टी के एमएलए को इसके लिए बोल चुके थे।

जामताड़ा विधायक इरफान ने तो पैसे लेकर टिकट बाँटने और उनके पिता को गोड्डा से एमपी चुनाव में टिकट नहीं देने का भी आरोप लगाया।

उमंग सिंघार जो झारखंड के प्रभारी थे, ने तो अपने ट्वीट में आरपीएन को लूज़र तक लिख डाला।

आरपीएन सिंह झारखंड काँग्रेस उत्तर प्रदेश चुनाव

वहीं काँग्रेस नेता सतीश केडिया ने ईन्यूज़रूम को बताया, “हम लोगों को इसका अनुमान इतना ज्यादा था के जब पार्टी के तरफ से छब्बीस जनवरी (गणतन्त्र दिवस) का विज्ञापन अख़बार और चैनल में दिया जा रहा था तो उसमें आरपीएन की तस्वीर नहीं दी गयी थी।”

लेकिन इन सबसे भी बड़ी बात ये हुई, जो अब तक किसी नेता के पार्टी छोड़ने पे नहीं देखने को मिला था, वो था पार्टी कार्यालय में आतिशबाज़ी, जो रांची में आज देखने को मिला।

लेकिन कुछ जानकार लोगों का ये भी मानना है के काँग्रेस को ऐसे लोगों को पहले से ही चिन्हित करना होगा, और वैसी किसी महत्वपूर्ण जिम्मेवारी जैसे आरपीएन को झारखंड प्रभार के अलावा उत्तर प्रदेश चुनाव में स्टार प्रचारक बनाया गया था और उसने पार्टी छोड़ दी।

वैसे शाम होते-होते, काँग्रेस ने अविनाश पाण्डे को झारखंड प्रभारी नियुक्त कर दिया।

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