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पेंशन अस्तित्व की लड़ाई है इसलिए मैं कार्यक्रम मे शामिल होऊँगी: कैंसर पीड़ित शिक्षिका सुषमा

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राँची: कैंसर पीड़ित शिक्षिका सुषमा तिर्की को अपना पाँचवाँ कीमों लिए कुछ ही दिन हुए हैं और वो अपने शहर धनबाद दो दिन पहले ही वेल्लोर से वापस आई हैं। पर झारखंड मे पुरानी पेंशन लागू करने की माँग को लेकर हो रहे 26 जून के पेंशन जयघोष महासम्मेलन मे राँची जाने को तैयार हैं।

“पुरानी पेंशन लागू होना हमारे लिए अस्तित्व की लड़ाई है। कैंसर एक बीमारी है जो आज या कल ठीक हो जाएगी, पर अगर हमें पुरानी तरीके से पेंशन नहीं मिली तो हमारा तो सेवानिवृत जीवन ही अंधकारमय हो जाएगा, इसलिए मैं कार्यक्रम में जरूर शामिल होऊंगी,” सुषमा ने ईन्यूज़रूम को बताया।

35 वर्षीय सुषमा जिनकी जॉइनिंग 2015 की है, ने आगे कहा, “नए पेंशन स्कीम के तहत अगर मैं सेवानिवृत होती हूँ तो मुझे पेंशन के रूप में कुछ मिलेगा ही नहीं और मैं सम्मान की ज़िंदगी नहीं जी पाऊँगी, जिससे मेरा हर दिन कष्टदायी हो जाएगा।”

“ये प्रचारित किया गया था के पुरानी पेंशन से सरकार का वित्तीय घाटा को कम करे पर हो उसका उल्टा रहा है क्योंकि हर साल सरकार का वित्तीय घाटा बढ़ गया है,” झारखंड इकाई के नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के अध्यक्ष विक्रांत सिंह ने ईन्यूज़रूम से कहा।

विक्रांत सिंह ने आगे जानकारी दी, पेंशन जयघोष महासम्मेलन में 40 हज़ार कर्मचारियों के राज्य भर से शामिल होने की संभावना है। और हमे पुलिस सहित तमाम राज्य और केंद्र सरकार के विभाग का समर्थन मिल रहा है।

मालूम हो की 2005 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने पुरानी पेंशन प्रणाली जिसके तहत सेवानिवृत होने के समय कर्मचारी को उसके वेतन का आधा हिस्सा पेंशन के रूप में मिलेगा को खत्म कर दिया और नये पेंशन नियम के तहत 2005 के बाद की जॉइनिंग के सभी कर्मचारी को मात्र 1700-1800 सौ रुपए मिल रहे हैं।

इधर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड में पुरानी पेंशन लागू करने की संभावना को बल तब दे दिया जब उनको पेंशन जयघोष महासम्मेलन का निमंत्रण दिया गया तो अपने वादे को दुहराते हुए कि उनकी सरकार पेंशन लागू करेगी का ट्वीट किया। और कार्यक्रम में आने का वादा भी किया।

झारखंड में करीब एक लाख बीस हज़ार सरकारी कर्मचारी हैं जिसमें 50 हज़ार पुलिस डिपार्टमेंट में हैं, इसके बाद नंबर आता है शिक्षा विभाग का।

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