कल्पना सोरेन की निर्णायक जीत और आगे की राह

Date:

Share post:

गिरिडीह: जेल में बंद झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने अपनी पहली राजनीतिक लड़ाई में गांडेय विधानसभा उपचुनाव में निर्णायक जीत हासिल की। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी के दिलीप वर्मा को 27,149 वोटों से हराया। कल्पना सोरेन को 109827 वोट मिले, जबकि दिलीप वर्मा को 82678।

शुरुआती चार राउंड में झामुमो नेता पिछड़ रही थीं, लेकिन बाद में उन्होंने बढ़त बना ली। सघन प्रचार अभियान को देखते हुए यह माना जा रहा था कि झामुमो नेता बड़े अंतर से जीतेंगे। भूमि घोटाला मामले में हेमंत सोरेन को जमानत नहीं मिल पाने के कारण, अभी कुछ और दिनों तक जेल में रहना पड़ सकता है। इसलिए अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कल्पना सोरेन के झारखंड विधानसभा का सदस्य बनने के बाद झामुमो के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार उनको लेकर क्या राजनीतिक कदम उठाती है।

तीन महीने पहले, कल्पना सोरेन ने अपना पहला सार्वजनिक भाषण दिया था, जिसके दौरान वह अपने पति की कैद पर रोई थीं। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना ​​है कि उन्हें चंपई सोरेन की सरकार में मंत्री बनाया जाएगा। कल्पना के नेतृत्व में झामुमो इस साल दिसंबर में होने वाला अगला विधानसभा चुनाव लड़ सकती है।

आत्मविश्वास से भरी कल्पना ने अपनी जीत के लिए गांडेय के मतदाताओं के साथ-साथ इंडिया गठबंधन के नेताओं को भी धन्यवाद दिया। हालांकि, आने वाले समय में, झारखंड सरकार में अपनी भूमिका के बारे में उन्होनें कुछ नहीं कहा।

गिरिडीह के झामुमो विधायक सुदिव्य सोनू ने भी पूर्व मुख्यमंत्री की पत्नी की जीत में सूत्रधार की भूमिका निभाने का संदेश, इस तरह दिया की जिस कार से कल्पना सोरेन मतगणना केंद्र पर अपना सर्टिफिकेट लेने आयी थीं, उस कार को सोनू ही चला रहे थे।

आगे की चुनौतियां

हालाँकि, कल्पना का उपचुनाव लोकसभा चुनाव के साथ हुआ था, पर उनकी पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा और इंडिया ब्लॉक को उम्मीद के मुताबिक ज्यादा सीटें नहीं मिलीं। गिरिडीह और कोडरमा लोकसभा सीटों पर झामुमो और इंडिआ ब्लॉक के उम्मीदवार भाजपा और उसकी सहयोगी आजसू से हार गए। इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार झारखंड के उत्तरी छोटानागपुर क्षेत्र की सभी सीटें हार गए – जिनमें गिरिडीह, कोडरमा, धनबाद, हज़ारीबाग और चतरा शामिल हैं। वे राज्य की राजधानी रांची और जमशेदपुर एवं गोड्डा जैसी महत्वपूर्ण सीटें भी नहीं जीत पाए।

इंडिया ने खूंटी में जीत हासिल की, जहां दो बार के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा कालीचरण मुंडा से हार गए; दुमका, जहां शिबू सोरेन की बागी बहू सीता सोरेन को नलिन सोरेन ने हराया; सिंहभूम, जहां पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा जोबा मांझी से हार गईं; और लोहरदगा, जहां सुखदेव भगत जीते।

अब, कल्पना सोरेन के लिए असली चुनौती शुरू होती है क्योंकि उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन को मजबूत करना होगा।

 

ये इंग्लिश में प्रकाशित स्टोरी का अनुवाद है।

spot_img

Related articles

Why Indira Gandhi Remains India’s Most Influential and Most Debated Prime Minister

Let us recall the achievements of Indira Gandhi, whose birth anniversary we celebrate today. She has undoubtedly been...

नेताओं ने झारखंड की ज़मीन, जनता के हक़ के बदले सौंप दी कंपनियों को- झारखंड जनाधिकार महासभा

झारखंड अपनी 25वीं वर्षगांठ मना रहा है, लेकिन झारखंड आंदोलन के सपने पहले से कहीं ज़्यादा दूर हैं।...

El Fashir Has Fallen — and So Has the World’s Conscience on Sudan

The seizure of the city of El Fashir in North Darfur by the paramilitary Rapid Support Forces (RSF)...

Politics, Power, and Cinema: Author Rasheed Kidwai Captivates Dubai Audience

Dubai: Literature enthusiasts from India and Dubai gathered at the India Club for a memorable evening with celebrated...