बांग्लादेशी घुसपैठ के झूठे दावों पर आदिवासी समाज का विरोध: भाजपा नेताओं से माफी की मांग

Date:

Share post:

[dropcap]झा[/dropcap]रखंड की कौनसी टेरिटरी इंटरनेशनल बॉर्डर को बनाती है। नक्शा देखें, और इन भाजपाइयों को करारा जवाब दीजिए।

झारखंड राज्य को क्या देना है वह बताने की जगह बेहूदगी में उतरी भाजपाई नेतृत्व उटपटांग बातें कर रही है।

निशिकांत दुबे, बाबूलाल मरांडी, अमित शाह आदि नेता जो भी बयानबाजी कर रहे वह केंद्र सत्ता की धार्मिक उन्माद से उपजी रणनीति है। यहां हिंदू मुस्लिम करने में नाकाम हुई, सरना क्रिस्तान करने में नाकाम हुई, आदिवासी पुरुष versus आदिवासी महिला करने में नाकाम रही, सरना को सनातन बताने में नाकाम रही, आदिवासी हिंदू है यह बताने में नाकाम रही तो अब आदिवासी versus मुसलमान करने में लगी है।

आदिवासी को सेंसस में आदिवासी  चिन्हित करने से घबराने वाली यह “फूट डालो शासन करो” वाली सरकार आदिवासियों के लिए क्या भला सोच पाएगी?

झारखंड की ज्योग्राफिक बाउंड्री को देखकर बातें करें। कहीं से भी वह बांग्लादेश के साथ बॉर्डर शेयर नहीं करती है। झारखंड पूरी तरह से बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल के साथ मात्र बॉर्डर शेयर करता है। ये जो बोल रहें की बांग्लादेशी संथाल परगना में घुसकर आदिवासी महिलाओं के साथ शादी कर यहीं रच बस जा रहे और आदिवासी आबादी को खतरा पहुंचा रहें यह झूठ है।

स्टेट बॉर्डर में एक दो किस्से को गढ़कर जो यहां के मूलवासी मुस्लिम आबादी है उसे ही जबरन बांग्लादेशी बता कर चुनावी डंका बजा रहे हैं।

राज्य की स्थिति पर बात करने का बूता तो इनमें हैं नहीं।

ऐसे तो ये नेपाल की आबादी को भी घुसपैठिए कहकर हल्ला कर सकते थे, पर उनके दीनी कौम के लिए तो शत्रु केवल मुसलमान है ना! कैसे वो हिंदी नेपाली को घुसपैठिए कह सकते सो दूर वेस्ट बंगाल पार करके ये बांग्लादेशी मुसलमान बंगाली लड़कियों को छोड़कर संथाली महिलाओं से शादी करने आ रहे। वाह रे इनके निर्लज्ज तर्क।

हम आदिवासी महिलाएं आदिवासी विरोधी, मानवता विरोधी इस भाजपा, आरएसएस की इन बातों का पुरजोर खंडन वा विरोध दर्ज करती हैं।

झारखंड की डेमोग्राफी 2024 के इलेक्शन में याद आती है इन्हें?

कहां थे वे जब देश के सबसे बड़े कल कारखाने और माइन इस एरिया में खोल कर आदिवासी को उजाड़ा गया, विकास की बलि चढ़ाया गया, नॉन स्किल बता कर पूरे देश भर से स्किल जनता को वर्षों से बैठाए रखा, उस समय उनकी डेमोग्राफी शब्द से परिचय बना था या नहीं? बंगाली, बिहारी, उत्तरप्रदेश, ओडिशा की जनता जब यहां बस रही थी तब कहां गई थी इनकी डेमोग्राफी चेंज वाली थ्योरी!

सच तो यह है कि 5th शेड्यूल एरिया के तहत यह आदिवासी बहुल प्रदेश गैर आदिवासी बहुल प्रदेश में वर्षों पीछे ही बदला जा चुका है। बृहत झारखंड की मांग वा उसके क्षेत्र विस्तार को भी देखें तो वह क्षेत्र 2000 में झारखंड निर्माण के समय से ही छला गया है। बिहार की आरजेडी पॉलिटिक्स को कमतर करने के लिए झारखंड को बिहार से अलग कर दिया गया, बंगाल, मध्य प्रदेश, बिहार, ओडिशा, उत्तर प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाके नहीं ही शामिल किए गए। सीएनटी एसपीटी एक्ट को हर बार भाजपाइयों ने कमजोर करने की कोशिश की। विलकिंसन रूल की अनदेखी की।

PESA एक्ट (पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल एरिया) की अनदेखी की। आदिवासी जमीन पर मालिकाना हक आदिवासी समाज के पास सामूहिक तौर से रहा है। बाद में यह कमोबेश आदिवासी पुरुष के ही पास रहा है। फिर ऐसे में आदिवासी स्त्री के साथ शादी कर जमीन हड़पने का बेजा सवाल क्यों भाजपाई कर रहे?

आदिवासी पुरुषों के मन में भी आदिवासी महिला को अपनी संपत्ति समझने का चश्मा इन पुरुषवादी, पितृस्तात्मक ब्रह्मणवादियों द्वारा।आदिवासी पुरुषों को दिया गया है। तभी कुछ हिंसाएं देखने को मिलती हैं। वीरभूम में ऐसी वारदातें।पिछले कई दशकों से जारी है।

भाजपाइयों द्वारा बेहूदगी से भरा डिबेट लाकर झारखंडी जनता के जायज सवाल गायब किए जा रहे। मानव तस्करी के सवाल, रिसोर्स में बराबरी के बंटवारे का सवाल सब गायब कर आदिवासी बनाम मुस्लिम की लड़ाई को तेज किया जा रहा।

आदिवासी महिलाओं के प्रति भी जो टिप्पणियां आ रही हैं वह नकाबिले बर्दाश्त है। बांग्लादेशी मुस्लिम आदिवासी महिला को शादी कर वूमेन और जमीन दोनो आदिवासियों से छीन रहे हैं। कुछ घटिया से लोग अपनी इस बहस बाजी में कुछ महिलाओं के नामों के लिस्ट जारी कर बातें कर रहे हैं। यह बिल्कुल बेतुकी और नाजायज बात है। आदिवासी महिला की निजता और उसकी अस्मिता पर हमला है। आदिवासी महिला की कोई एजेंसी ही नहीं ऐसी भी बात इन भाजपाइयों के द्वारा प्रस्तुत की जा रही है। हम विभिन्न आदिवासी संगठन इस बात पर कड़ा एतराज जाहिर करते हैं और इन पर कार्यवाही करने की मांग करते हैं।

आदिवासी महिलाएं आपके लिए मोहरे नहीं बनेंगी। हम पूरे आदिवासी समाज की ओर से भाजपा को, और उनके नेताओं के इस स्टेटमेंट के लिए पब्लिकली लिखित माफी मांगने को कहते हैं।

spot_img

Related articles

Odisha Mob Attack Kills Bengal Migrant Worker, Family Alleges Identity-Based Lynching

Migrant workers from Murshidabad were allegedly attacked in Odisha after being accused of being “Bangladeshis” despite showing valid documents. One worker, Jewel Rana, succumbed to his injuries, while two others remain hospitalised. The lynching has renewed concerns over the safety of Bengali-speaking Muslim migrant workers in BJP-ruled states.

The Incident at Brigade and Bengal’s Uneasy Turn

On December 7, the Sanatan Sanskriti Sansad organised a mass Gita recitation programme at Kolkata’s historic Brigade Parade...

‘Whoever Sets the Narrative Wins’: Khan Sir on Perception and Technology

Khan Sir highlights the power of combining religious and modern education as Umeed Global School, led by Wali Rahmani, celebrates its annual day. Underprivileged students impress with languages and performances. Abdul Qadeer urges spending on education, not weddings, inspiring hope and shaping a generation ready to contribute to society

Taking Science to Society: Inside ISNA and Radio Kolkata’s Unique Collaboration

The Indian Science News Association and Radio Kolkata have launched a joint science communication initiative to counter fake news, promote scientific temper, and revive interest in basic sciences. Using community radio and Indian languages, the collaboration aims to connect scientists, students, and society amid climate crisis and growing misinformation.