COVID-19 संकट के मद्देनजर झारखंड में सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं में व्यापक सुदृढ़ता की आवश्यकता- भोजन का अधिकार
जैसे-जैसे कोरोना वायरस (COVID-19) का संक्रमण बढ़ता जा रहा है, झारखंड पर दोहरा संकट का बादल मंडराता जा रहा है- स्वास्थ्य संकट और आर्थिक संकट
राँची: भोजन का अधिकार, झारखंड ने कोरोना वाइरस के भारत में विस्तार को लेकर हुये उत्पन्न हुए हालात में आम नागरिकों, खास कर झारखंड में सामाजिक सुरक्षा दायरे में आने वाले गरीब-मजदूर लोगों को होने वाले आर्थिक परेशानियों को देखते हुए हेमंत सोरेन सरकार से कुछ खास कदम तुरंत उठाने की मांग की है।
हम इसके महत्व को समझते हुए भोजन का अधिकार के द्वारा जारी लेटर को नीचे पूरा पब्लिश कर रहे हैं:
बेरोज़गार प्रवासी मज़दूर विभिन्न राज्यों से बड़ी संख्या में घर लौट रहे हैं, जिनमें कई शायद कोरोना वायरस के साथ। खाद्य विक्रताओं का व्यापार का हो रहा हैं एवं आर्थिक गतिविधि धीमी होने के कारण अन्य व्यवसाओं पर भी प्रभाव पड़ने की संभावना है। चूंकि अधिकतर लोग अपने घरों में रहने को मजबूर हैं, कई लोगों के लिए जीवन व्यापन कठिन होने की संभावना है।
इस स्थिति में यह आवश्यक है कि झारखंड सरकार न केवल वायरस के फैलाव को रोकने के लिए बल्कि इस ज़रूरत की घडी में गरीबों को भी सहयोग करने के लिए तत्परता से कार्यवाई करे। चूंकि इस परिस्थिति में समय कीमती है, इसलिए पहला कदम जन वितरण प्रणाली और सामाजिक सुरक्षा पेंशन जैसी मौजूदा योजनाओं का अच्छा उपयोग करना है।
इस ओर, भोजन का अधिकार अभियान (झारखंड) की निम्नलिखित मांगें हैं:
सामाजिक सुरक्षा पेंशन
इस संकट की घड़ी में विधवाओं और बुजुर्गों की मदद के लिए (कम से कम) तीन महीने की पेंशन का अग्रिम भुगतान तत्काल किया जाना चाहिए।
सरकार को सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाओं का दायरा भी बढ़ाना चाहिए एवं सभी लंबित आवेदनों को त्वरित स्वीकृति देनी चाहिए।
मद्ध्याह्न भोजन और आंगनवाड़ी राशन
विद्यालय और आंगनवाड़ी बंद है, लेकिन सरकार को सख्ती से यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विद्यालय बच्चों को मद्ध्याह्न भोजन एवं गर्भवती व धात्री माताओं और आंगनवाड़ी बच्चों को टेक होम राशन मिलते रहे. सूखे राशन (चावल, दालें और उबले अंडे) की होम डिलीवरी पर विचार किया जा सकता है। उचित सावधानी के साथ विद्यालयों और आंगनवाड़ी में भी पके हुए भोजन और/या सूखे राशन का वितरण किया जा सकता है।
विद्यालयों व आंगनवाड़ियों में मिलने वाले अण्डों की संख्या को तुरंत बढ़ाकर 5 अंडे प्रति सप्ताह करना चाहिए। अंडे पोषण का एक सुरक्षित और सस्ता उपाय है, खास कर के अभी जब पोल्ट्री व्यवसाय में मंदी है।
जन वितरण प्रणाली
जन वितरण प्रणाली अंतर्गत मिलने वाले अनाज की मात्रा को बढ़ाना चाहिए (जैसे दुगुना), कम-से-कम इस संकट के समय अस्थायी रूप से।
जन वितरण प्रणाली का दायरा तुरंत बढ़ाना चाहिए. राशन कार्ड के सभी लंबित आवेदनों को स्वीकृत किया जाए एवं राशन कार्ड में परिवार के छूटे सदस्यों का नाम जोड़ा जाए।
जन वितरण प्रणाली में आधार आधारित बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण व्यवस्था को अस्थायी रूप से हटाने का निर्णय स्वागत योग्य है। परंतु सभी ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ सेल (ePoS) मशीनों को ऑफलाइन मोड में बदलने के बजाय सरकार OTP व्यवस्था थोप रही है. यह व्यवस्था भरोसेमंद नहीं है (उदहारण के लिए, ख़राब कनेक्टिविटी के कारण SMS समय पर नहीं पहुचना) एवं इस व्यवस्था का दुरूपयोग भी हो सकता है।
OTP व्यवस्था के बजाए सरकार को तुरंत सभी ePoS मशीनों को ऑफलाइन मोड पर संचालन करना चाहिए। राशन डीलरों और पदाधिकारियों के खिलाफ सख्त त्वरित कार्रवाई की जानी चाहिए – उनमें से कई इस भ्रामक स्थिति का लाभ उठा कर अनाज का गबन कर सकते हैं।
नरेगा व रोज़गार
झारखंड के नरेगा मज़दूरी दर (171 रु) को तुरंत बढ़ाकर राज्य के न्यूनतम मज़दूरी दर (275 रु) के बराबर किया जाए।
जब तक यह संकट ख़तम न हो जाए, राज्य सरकार को सभी आदिवासी-दलित मज़दूर परिवारों को, बिना आवेदन दिए, नरेगा अंतर्गत बेरोज़गारी भत्ता (पहले 30 दिनों तक मज़दूरी दर का ¼ एवं उसके बाद आधा) देना चाहिए।
आजीविका के नुकसान के प्रभाव को कम करने के लिए, सरकार को राज्य के सभी मज़दूरों – प्रवासियों या अनौपचारिक क्षेत्र के मज़दूरों – को साप्ताहिक आय सहायता प्रदान करने पर विचार करना चाहिए।
उक्त सुझावों में से कुछ (जैसे जन वितरण प्रणाली का दाएरा बढ़ाना) को लागू करना केंद्र सरकार के सहयोग से और आसान हो सकता है, लेकिन राज्य सरकार को अपनी ओर से पूरी प्रयास करने की ज़रूरत है। कुछ राज्य, खास कर के केरल, ने इस प्रकार के अनेक उपायों को लागू किया है।
साथ ही, सरकार को सभी प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में प्रशिक्षित डॉक्टरों, एएनएम और नर्सों की पर्याप्त संख्या और सभी प्रकार की दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए। राज्य सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि COVID-19 संदिग्धों की तलाश में लोगों को पुलिस परेशान न करे। लोगों द्वारा पुलिसिंग को भी हतोत्साहित किया जाना चाहिए। इन कार्रवाइयों का सर्वाधिक खामियाजा गरीब और हाशिए पर जी रहे लोगों को ही भुगतना पड़ेगा।
इन तत्कालीन उपायों के अलावा, अब राज्य सरकार को एक समग्र सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था की ओर बढ़ना चाहिए। इस व्यवस्था अंतर्गत सभी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं (जन वितरण प्रणाली, नरेगा, पेंशन, मद्ध्याह्न भोजन, आंगनवाड़ी सेवाएं, मातृत्व लाभ व स्वास्थ्य सेवाएं) का सर्भौमिकरण हो एवं इनके अंतर्गत मिलने वाले लाभ की मात्रा बढ़ाई जाए। ऐसा न करने से, झारखंड गरीबी और भुखमरी से ग्रसित रहेगा और इस प्रकार के संकट का लोगों पर व्यापक असर पड़ता रहेगा।