21 दिन की तालाबंदी: झारखंड के सामाजिक संगठनों का 15-सूत्री मांग

झारखंड जनाधिकार महासभा की मांग: केंद्र और झारखंड सरकार को केरल और कई अन्य देशों की तरह COVID-19 से निपटने के लिए स्वास्थ्य  और सामाजिक कल्याण सेवाओं का तुरंत विस्तार करना चाहिए

Date:

Share post:

रांची: झारखंड जहाँ की बहुत बड़ी आबादी दूसरे राज्यों और भारत से बाहर काम करने जाती है, जिसकी चालीस प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा से नीचे रहती है, उनके सामने अब 21 दिनों की तालाबंदी बहुत बड़ी समस्या बन कर खड़ा है। इन सबको देखते हुए राज्य के कई सामाजिक संस्थाओं का समूह– झारखंड जनाधिकार महासभा ने 15-सूत्री मांग झारखंड सरकार से रखी है।

एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर महासभा ने लिखा:

अधिकांश भारत की तरह झारखंड भी COVID-19 महामारी की रोकथाम के लिए देर से जागा है और अभी तक लोगों को इस संकट से निपटने के लिए पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा प्रदान नहीं कर पाया है । हालांकि, झारखंड में अब तक आधिकारिक तौर पर COVID-19 के मामले सामने नहीं आए हैं, लेकिन यह एक मिथक हो सकता है क्योंकि राज्य में केवल एक परीक्षण केंद्र है जहां कुछ दर्जन नमूनों का ही परीक्षण किया गया है। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, राज्य में कम से कम तीन मौतें हुई हैं, जिनमें पीड़ित हाल ही में तमिलनाडु या गोवा से वापस आए थे और उनके लक्षण पर COVID-19  के समान ही प्रतीत हो रहे थे (मीडिया रिपोर्ट देखें – पालोजोड़ी, छतरपुर)। कई और अपरीक्षित पुष्ट मामले भी हो सकते हैं। झारखंड की जन स्वास्थ्य प्रणाली बीमार और संभावित संक्रमित व्यक्तियों की सहायता के लिए सक्षम भी नहीं दिखती है। उदाहरण के लिए, राज्य में केवल 298 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं जिनमें बुनियादी ढांचा और मानव संसाधन की व्यवस्था निराशाजनक हैं। इसके परिणामस्वरूप नगण्य रिपोर्टिंग हो सकती है जिससे अचानक विस्फोटक संक्रमण का खतरा हो सकता है।

स्वास्थ्य संकट के साथ 21 दिन की तालाबंदी गरीबों और हाशिए पर रहने वाले लोगों पर कहर बरसाएगा। स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ सरकार को लोगों  को पर्याप्त आय और खाद्य सुरक्षा मुहैया करानी चाहिए। झारखंड जैसे राज्य जहां भुखमरी और कुपोषण की आपातकालीन स्थिति है, गरीबों के लिए खाना और दैनिक इस्तेमाल की अन्य सामग्री का इन्तेजाम करना प्राथमिकता होनी चाहिए।

महासभा ने तीन महीने पहले गठित हेमंत सोरेन सरकार के काम की सराहना भी की पर आगे अभी बहुत काम होना है उसपे ज़ोर भी दिया,

“यह उल्लेख महत्वपूर्ण है कि पिछले कुछ दिनों से झारखंड सरकार इस महामारी को रोकने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है। लेकिन अभी तक उठाए गए कदम, स्वास्थ्य और कल्याणकारी पहलों के संदर्भ में, पर्याप्त नहीं है । उदाहरण के लिए, हाल ही में कई प्रवासी मजदूर रेलवे स्टेशनों और बस स्टैंडों पर पर्याप्त सरकारी सहायता के अभाव में फंसे रह गए थे (https://twitter.com/JharkhandJanad1/status/1241995316024340480 देखें)। पिछले दो दिनों में झारखंड सरकार ने कुछ महत्त्वपूर्ण घोषणाएं की है जैसे खिचड़ी केन्द्रों का सञ्चालन, 2 महीने का राशन एडवांस में देना आदि, लेकिन अभी तक उनका कार्यान्वयन शुरू नहीं हुआ है”।

केंद्र और झारखंड सरकार को केरल और कई अन्य देशों की तरह COVID-19 से निपटने के लिए स्वास्थ्य  और सामाजिक कल्याण सेवाओं का तुरंत विस्तार करना चाहिए।

झारखंड जनाधिकार महासभा की तत्काल मांगें:

सामाजिक सुरक्षा

  1. ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी  बस्तियों में जन वितरण प्रणाली का दायरा सार्वभौमिक किया जाना चाहिए और इसमें सभी छुटे हुए परिवारों को शामिल किया जाना चाहिए। इसके अलावा, अनाज के कोटे को दोगुना किया जाना चाहिए और वर्तमान में जन वितरण प्रणाली में लागू OTP आधारित वितरण प्रणाली के बजाए “ऑफलाइन” व्यवस्था लागू करना चाहिए। साथ ही, पोषण व स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए राशन दुकानों में सस्ते दरों पर दाल, खाद्य तेल और साबुन भी दिया जाना चाहिए (सबसे वंचित के लिए निःशुल्क)। इस आपातकाल के समय में जमाखोरों, भ्रष्ट डीलरों के खिलाफ़ सख्त कार्रवाई की जाए।
  2. सामाजिक सुरक्षा पेंशन का दायरा बढ़ाएं, सभी छुटे बुजुर्गों, एकल महिलाओं और विकलांगों को शामिल करें, पेंशन राशि को कम से कम दोगुना करें और दो महीने की पेंशन राशि एडवांस में नकद में दें।
  3. मजदूरों, शहरी बेघरों, बस्तियों में रहने वाले और छोटे विक्रेताओं वाले सभी परिवारों को तालाबंदी की अवधि में आय में हानि की क्षतिपूर्ति करने के लिए आय सहायता प्रदान की जानी चाहिए। बंद में फंसे मज़दूरों को अपने गावों तक लौटने के लिए पर्याप्त प्रावधान किए जाने चाहिए। वैकल्पिक रूप से ऐसे लोगों के लिए शेल्टर होम की व्यवस्था भी की जा सकती है।
  4. शहरी, अर्ध-शहरी और ब्लॉक स्तर के सार्वजनिक केंद्रों पर सामुदायिक रसोई घर स्थापित किए जाए ताकि किसी भी ज़रूरतमंद को मुफ़्त पका हुआ भोजन/सुखा राशन उपलब्ध कराया जा सके। सभी स्वास्थ्य केंद्रों के सभी मरीज़ों व कार्यकर्ताओं को निःशुल्क भोजन उपलब्ध कराया जाए।
  5. बच्चों (स्कूल और आंगनबाड़ियों में), गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को 6 अंडे/सप्ताह शामिल करते हुए पकाया भोजन/सुखा राशन प्रदान करें।
  6. सभी नरेगा और पंजीकृत मज़दूरों को तत्काल सवैतनिक अवकाश/बेरोज़गारी भत्ता प्रदान करें और सभी लंबित मज़दूरी का भुगतान करें।
  7. आवश्यक सामग्रियों की कमी और जमाखोरी की खबरें आने लगी है. सरकार सभी आवश्यक सामग्रियों की पर्याप्त मात्रा, वितरण और मूल्य नियंत्रण सुनिश्चित करे।

सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं

  1. राज्य सरकार को COVID-19 संदिग्ध या पुष्टि व्यक्तियों की पहचान उजागर किए बिना जांचे गए नमूनों की  संख्या, COVID-19 संक्रमित व्यक्तियों की संख्या, क्वारनटीन व्यक्तियों की संख्या, राज्य में उपलब्ध परीक्षण किट की संख्या, डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE) की स्थिति से संबंधित आंकड़ों को तुरंत सार्वजानिक करना चाहिए।
  2. परीक्षण सुविधाओं को बढ़ाया जाना चाहिए और छिपे मामलों को ढूंढने के लिए प्रत्येक ज़िले से हज़ार नमूनों का सैंपलिंग कर परीक्षण (दक्षिण कोरिया और चीन की तरह) एक सप्ताह के भीतर किया जाना चाहिए।
  3. मरीजों की संख्या में वृद्धि की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए सार्वजनिक अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र व्यवस्था, खास कर प्राथमिक स्तर पर, को तुरंत मज़बूत किया जाना चाहिए। सभी प्रखंड और पंचायत कार्यालयों में जांच सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं और जांच के लिए पर्याप्त उपकरण उपलब्ध कराए जाएं। प्रत्येक स्वास्थ्य कर्मचारी (अनुबंध पर सेवा देने वाले सहित) को अतिरिक्त बीमा कवर प्रदान किया जाना चाहिए ताकि उनके आत्मविश्वास और मनोबल को बढ़ावा मिले।
  4. लोगों की प्रतिरक्षा बढ़ाने के लिए पारंपरिक रूप से आदिवासियों और मूलवासियों के बीच उपभोग किए जाने वाले स्थानीय खाद्य और वनोपज का उपभोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

जागरुकता

  1. COVID-19 से संबंधित सभी सूचनाओं का व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार करें, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, जैसे – परीक्षण और कार्यात्मक स्वास्थ्य केंद्र, कल्याणकारी नीतियां, COVID-19 के लक्षण और निवारक उपाय आदि।
  2. संकट के दौरान यह महत्वपूर्ण है कि सरकार सभी मुद्दों और कमियों से अवगत रहे। नागरिकों को ज़मीनी हकीकत और उनकि परेशानियों को नियमित रूप से साझा करने और मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से एवं प्रखंड और पंचायत स्तर के कार्यालय में रिपोर्ट करने आदि के लिए प्रोत्साहित करें। महासभा लगातार सरकार को लोगों की समस्याओं से अवगत कराते रहेगी ताकि त्वरित कार्यवाई की जा सके।
  3. शिकायतों के समाधान, स्वास्थ्य और आय की ज़रूरतों, राशन डीलरों या अन्य सेवा प्रदाताओं द्वारा उत्पीड़न और COVID-19 आदि के बारे में जानकारी का प्रसार करने के लिए 24X7 सक्रिय हेल्पलाइन शुरू करें।
  4. राज्य सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि COVID-19 संदिग्धों की तलाश में या तालाबंदी में पुलिस लोगों को परेशान न करे। लोगों द्वारा पुलिसिंग को भी हतोत्साहित किया जाना चाहिए।
spot_img

Related articles

‘She Is Too Hurt’: AYUSH Doctor Won’t Join Service After Nitish Kumar Hijab Incident

Patna/Kolkata: AYUSH doctor Nusrat Parveen has decided not to join government service, for which she had recently received...

From a Kolkata Ghetto to Serving India: How SR Foundation Became a Humanitarian Movement

Born during the 2020 COVID lockdown in Kolkata’s Topsia, SR Foundation grew from a Rs 7,500 hunger-relief effort into a multi-state humanitarian NGO. From cyclone relief in Bengal to Punjab floods, members ensured transparency by even paying travel costs themselves so every donated rupee reached victims.

बिहार में मोहम्मद अतहर हुसैन की मॉब लिंचिंग और नीतीश कुमार

बिहार के नालंदा में 50 वर्षीय कपड़ा विक्रेता मोहम्मद अतहर हुसैन की बर्बर तरीके से आठ हिंदू आतंकवादियों...

৬ ডিসেম্বর, আবেগ আর হিকমাহ: মুর্শিদাবাদের নতুন মসজিদকে ঘিরে বড় প্রশ্ন

৬ ডিসেম্বর এমন একটি দিন যা প্রতিটি মুসলিমের হৃদয়ে গভীরভাবে খোদাই হয়ে আছে, বিশেষ করে ভারতের মুসলমানদের হৃদয়ে। ১৯৯২...