‘नफरत बेचती है गोदी मीडिया’: चंद्रशेखर आज़ाद ने भाजपा की बांटो-राज करो नीति को दी सीधी चुनौती
कोलकाता में बोले भीम आर्मी प्रमुख, “दंगे प्रायोजित होते हैं, एक पार्टी के फायदे के लिए।” बोले—गोदी मीडिया और IT सेल से होगा असली मुकाबला, बंगाल चुनाव लड़ने का भी किया ऐलान

कोलकाता: “एक साल में आप देखेंगे कि हम भारत में नफरत भरे भाषणों और नफरत से जुड़े अपराधों का जवाब देने लगे हैं। अभी भी हम दलित (अनुसूचित जातियों) भाइयों को मुसलमानों के खिलाफ दंगों में शामिल होने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं। रिपोर्टें बताती हैं कि ऐसे दंगे किसी खास राजनीतिक पार्टी के फायदे के लिए कराए जाते हैं। हमारे कई दलित भाई, जानबूझकर या अनजाने में, इन घटनाओं में शामिल हो जाते हैं, और हम उन्हें इससे अलग करने की कोशिश कर रहे हैं,” ऐसा कहा सांसद और आज़ाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद ने।
नगीना से सांसद आज़ाद भीम आर्मी के संस्थापक भी हैं, जो एक सामाजिक संगठन है। इस युवा सांसद ने बताया कि वे अपने संगठन का विस्तार करना चाहते हैं और वैचारिक रूप से प्रतिबद्ध लोगों को उसमें जोड़ना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, “सबसे पहले हमें समझना होगा कि आम लोगों के बीच समाजिक स्तर पर इतनी नफरत नहीं है। यह नफरत ‘गोदी मीडिया’ ने फैलाई है, ताकि एक खास राजनीतिक पार्टी को फायदा हो। हम जानते हैं कि एक पार्टी हिंदू-मुस्लिम में बांटकर राजनीति करती है।”
उन्होंने आगे कहा, “पहल्गाम हमले के बाद, जब देश आतंकियों से लड़ने की तैयारी कर रहा था, तब कौन था जो देश के लोगों के बीच नफरत फैला रहा था? इसलिए हमें ‘गोदी मीडिया’ और आईटी सेल का मुकाबला करना होगा, और हम इस पर पहले से ही काम कर रहे हैं। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान कुछ मीडिया चैनल इस्लामाबाद और कराची तक चले गए थे—मैं उन्हें वापस टीवी स्टूडियो ले आया,” आज़ाद ने मुस्कराते हुए कहा।
यह बात उन्होंने शनिवार शाम एसआर फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक बैठक में ईन्यूज़रूम के सवाल के जवाब में कही, जब उनसे पार्टी और संगठन की रणनीति को लेकर पूछा गया कि वे नफरत फैलाने वाले भाषणों और अपराधों का बौद्धिक रूप से कैसे जवाब देंगे।

इससे पहले दिन में, आज़ाद ने कोलकाता में आज़ाद समाज पार्टी द्वारा आयोजित ‘भाईचारा’ सम्मेलन में भी हिस्सा लिया।
उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की ‘तिरंगा यात्रा’ पर भी सवाल उठाया। “मैंने संसद में पूछा है कि तिरंगा यात्रा का मकसद क्या है, और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जश्न क्यों मनाया जा रहा है,” उन्होंने कहा।
आज़ाद ने साफ़ किया कि आज़ाद समाज पार्टी अगले साल होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में हिस्सा लेगी।
मुस्लिम समाज को भी उन्होंने एक सलाह दी, जो उनके अनुसार राजनीतिक पार्टियों से बराबरी नहीं पा सका। “मैंने हज़रत उमर, हज़रत अली और इस्लाम के बारे में बहुत सी किताबें पढ़ी हैं, और पाया कि आज के मुसलमान भी उनकी सीखों को सही से नहीं मानते। इस्लाम बराबरी की बात करता है, लेकिन हम आज़ के दौर में अपने से नीचे तबके को कुचल कर आगे बढ़ना चाहते हैं।”
आखिर में उन्होंने अपने संघर्ष और सफर के बारे में कहा, “इन कठिन हालातों ने हमें बहुत कुछ सिखाया है। इन्हीं हालातों ने मुझे चंद्रशेखर आज़ाद बनाया है। अगर मैं जिंदा रहा, तो दस साल बाद लोग पहले अपने भगवान को याद करेंगे और फिर मेरी सलामती की दुआ करेंगे। ये तो बस शुरुआत है। अभी तो मैं सिर्फ एक सांसद हूं। असली काम तो अब शुरू होगा।”
अधिवक्ता आज़ाद एक किसान परिवार से आते हैं और उनका कोई राजनीतिक परिवारिक बैकग्राउंड नहीं है। “मेरे दादा किसान थे और मेरे पिता शिक्षक,” उन्होंने कहा।
“मुझे राजनीति में आने का इरादा नहीं था। लेकिन मेरे सामाजिक कार्यों के दौरान जो अत्याचार झेलना पड़ा, उसके बाद मुझे चुनाव लड़ना पड़ा,” उन्होंने जोड़ा।