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माओवादियों से कम, मधुमक्खियों से अधिक डर रहें यहाँ के लोग

माओवादी मारते हैं तो सरकारी मुआवजा का प्रावधान है। हाथी मारेगा अथवा सांप के डसने से मौत होगी तो भी मुआवजा की व्यवस्था है। लेकिन मधुमक्खियों के कारण जान जाने पर फिलहाल झारखंड में सरकारी मुआवजा नहीं मिलता

गिरिडीह: जिले में मधुमक्खियों के डंक से पिछले एक माह में चार बच्चे समेत आठ लोगों की मौत हो गयी है एवं 30 लोगों को घायल हुए हैं। मृतकों में महिलाएँ भी शामिल हैं।

ताजा मामला तीन अक्टूबर की शाम सदर प्रखंड के करमाटाड़ गांव की है। दंपति शनिचर महतो और उनकी पत्नी भिखनी देवी अपनी बकरियों को चराने जंगल गये थे। इसी दौरान मधुमक्खियों ने दंपति पर हमला कर दिया। असहनीय पीड़ा से दंपति की मौत हो गयी।

एक दिन पहले, दो अक्टूबर को तिसरी में मधु कुमारी (10) की जान मधुमक्खियों ने डंक मार कर ले ली।

गांवा थाना क्षेत्र में ही तीन बच्चियों को मधुमक्खियों ने डंक मारकर घायल कर दिया था।

गावां में ही दो सगे भाई गोतम कुमार (12) और उतम कुमार (14) की मौत मधुमक्खियों के काटने से हो गयी थी।

गिरिडीह में भाकपा माओवाद का हिसंक इतिहास रहा है। अभी भी यहां माओवाद है। हालांकि, अभी यहां के गांवों में लोगों को माओवादियों से कम, मधुमक्खियों से अधिक डर लग रहा है। इसका वाजिब कारण भी है।

माओवादी मारते हैं तो सरकारी मुआवजा का प्रावधान है। हाथी मारेगा अथवा सांप के डसने से मौत होगी तो भी मुआवजा की व्यवस्था है। लेकिन मधुमक्खियों के कारण जान जाने पर फिलहाल झारखंड में सरकारी मुआवजा नहीं मिलता।

बिहार की सीमा से सटे तिसरी, गावां, करमाटाड़ के लोग मधुमक्खियों के कहर से परेशान हैं। मधुमक्खियों का शहद जितना मीठा होता है, डंक उतना ही जहरीला होता है।

“और अब तक जिन लोगों की भी मौत हुई है उनमें किसी की भी मौत शहद निकालने के क्रम में नहीं हुई है। अचानक मधुमक्खियों के दल के हमले से लोगों की मौत हुई हैं,” एक ग्रामीण ने बताया।

अब तो आलम यह है कि जिले के गावां और तिसरी इलाके के ग्रामीण इन दिनों जंगल जाने से परहेज कर रहे हैं।

इस संबंध में गिरिडीह के डीएफओ प्रवेश अग्रवाल ने कहा कि गिरिडीह क्नक्षेत्र में ग्रामीणों को मधुमक्खियों के डंक मारने से मौत की सूचना मिल रही है। इस प्रकार के मामले नये हैं। इसको लेकर राज्य सरकार को रिपोर्ट तैयार कर भेजी जा रही है। इस संदर्भ में सरकार के द्वारा गाइड लाइन मिलने के बाद दिशा निदेशों का पालन किया जायेगा।

कमल नयन

कमल नयन गिरिडीह के वरिष्ठ पत्रकार हैं

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