नेमरा, दिशोम गुरु शिबू सोरेन का पैतृक गांव, आज ग़म और उम्मीद दोनों को समेटे है। गाँववाले अपने नेता को याद कर रहे हैं, वहीं हेमंत सोरेन उन्हीं राहों पर चलकर जल, जंगल, ज़मीन की विरासत निभाने का वादा कर रहे हैं। असली चुनौती इस जुड़ाव को सियासी ताक़त में बदलने की है।