शिरीष खरे
-
पुस्तक समीक्षा
‘नदी सिंदूरी’ पर बोले अभय दुबे- घटनाएं चरित्रों की तरह दिखने लगे तब रचना साधारण नहीं रह जाती
नई दिल्ली। जब घटनाएं और गतिविधियां चरित्रों की तरह दिखाई देने लगे तब वह रचना साधारण नहीं रह जाती। शिरीष…
Read More » -
Opinion
शिक्षा में बदलाव के लिए कुछ खिड़कियां खुली हैं
संविधान के मुताबिक ‘लोकतांत्रिक गणराज्य’ बनाने के लिए बराबरी, न्याय, स्वतंत्रता और बंधुता मूलभूत मूल्य हैं। लेकिन शिक्षा व्यवस्था गैर-बराबरी…
Read More »