आंध्र प्रदेश और एनडीए में चंद्रबाबू नायडू की चुनौतियाँ
भाजपा की प्रदेश अध्यक्ष दुगावती पुरंदेश्वरी जो की उनकी पत्नी की बहन है को लोकसभा में स्पीकर बनाये जाने की चर्चाएं जोरों पर हैं। ऐसे में अपनी पार्टी के अस्तित्व को बचाये रखना भी एक नयी चुनौती चंद्रबाबू नायडू का साये के तरह पीछा करती रहेगी
चंद्रबाबू नायडू के आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद एक बार फिर से राज्य की उन्नति और अपने चुनावी वादों को पूरा करने की चुनौतियां उनके सामने होगी जिसके लिए चंद्रबाबू नायडू को केंद्र की सहायता पर निर्भर रहने की विवशता बनी रहेगी। संयुक्त आंध्र प्रदेश को प्रगति की राह पर ले जाने के लिए चंद्रबाबू नायडू के पहले मुख्यमंत्री कार्यकाल 1995 के बाद को याद किया जाता है। हैदराबाद को आई टी हब बनाने के लिए उनके प्रयासों को श्रेय जाता है। अब नयी राजधानी गुंटूर जिला में कृष्णा नदी के किनारे अमरावती को बनाने की सबसे बड़ी चुनौती चंद्रबाबू नायडू के सामने है। पूर्व मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी के तीन राजधानी योजना को ख़ारिज करके अब अमरावती ही केवल एक राजधानी बनाने को चंद्रबाबू नायडू ने निर्णय कर दिया है।
राजधानी निर्माण की योजना जो की कृष्णा नदी के किनारे गुंटूर जिला में स्थापित की जानी है सबसे बड़ी प्राथमिकता इस सरकार की। राजधानी बनाने के लिए 34000 एकड़ भूमि किसानो दवारा वहां दी गयी है। पहले कार्यकाल में विशाखापट्टनम और मंगलगिरि में स्थापित आई टी हब के पुनउत्थान करने की योजना को आगे बढ़ाना भी प्राथमिकताओं में शामिल है।
जमीन के अधिकार का कानून एक बड़ा मसाला आंध्र प्रदेश में बन गया था जिसे पूर्व मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी के कार्यकाल में लागु किया गया था को ख़ारिज करना है। ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम सहायकों के मानदेय को 5000 रूपए से बढ़ा कर 10000 करना और उनकी संख्या को सिमित करके 5 सहायक तक प्रति गांव लाना रहेगा।
राज्य में शराब नीति को फिर से निर्धारित करना जो की जगन मोहन रेड्डी के कार्यकाल में बदल दी गई थी जिसके अंतर्गत सभी खुदरा बिक्री दुकाने व्यापारी वर्ग से ले कर सरकारी बिक्री से की जाने लगी थी। सबसे जरूरी शिक्षकों की नियुक्ति का मामला है जिसे अब जिला चयन समितियों के द्वारा किया जाना है। ‘अन्ना कैंटीन’ की योजना जिसमे भोजन 5 रूपए पर उपलब्ध कराया जाता है को दोबारा से स्थापित करना है। कृषि के क्षेत्र को और सफल व् सुदृढ़ करना भी चंद्रबाबू नायडू की योजना में शामिल है।
इसके अलावा चुनावी घोषणापत्र में किये गए वादे भी शीघ्रता से साकार होने के अपेक्षा रखेंगे।
इन सभी योजनाओं को लागू करने के लिए भारी मात्रा में धन और संसाधनों की आवश्यकता की पूर्ति के लिए केंद्र सरकार से निरंतर सहयोग के आसरे चंद्रबाबू को अपनी राजनीति को भी संभाले रखना है। 13 जिलों के इस राज्य में एक समय कांग्रेस की पकड़ बहुत गहरी थी जिसे चंदरबाबू नायडू ने ही ढीला किया था। राजनीति और सत्ता पर इस राज्य में यहाँ के कप्पू काम्मा रेड्डी समुदाय ही सबसे ताकतवर रहे हैं।
कौशल विकास प्रशिक्षण योजना घोटाला जो 370 करोड़ का बताया जाता है जिसमे चन्द्रबाबू नायडू फंसे हुए हैं की तलवार भी चंद्र बाबू नायडू के सिर पर लटकी हुयी है। इस मामले को केंद्रीय सत्ता से ख़ारिज करवाना के लिए किस किस समझौते पर चंद्रबाबू नायडू झुकेंगे ये आनेवाले एक साल में स्पष्ट हो जायेगा लेकिन इसकी शुरुआत लोकसभा के स्पीकर के चुनाव के साथ ही शुरू हो जाएगी। भाजपा की प्रदेश अध्यक्ष दुगावती पुरंदेश्वरी जो की उनकी पत्नी की बहन है को लोकसभा में स्पीकर बनाये जाने की चर्चाएं जोरों पर हैं। ऐसे में अपनी पार्टी के अस्तित्व को बचाये रखना भी एक नयी चुनौती चंद्रबाबू नायडू का साये के तरह पीछा करती रहेगी।