एक था टाइगर

चार बार लगातार विधायक रहे, झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो का निधन, हेमंत सोरेन का मार्मिक वक्तव्य

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Shahnawaz Akhtar
Shahnawaz Akhtarhttp://shahnawazakhtar.com/
is Founder of eNewsroom. He loves doing human interest, political and environment related stories.

राजनीति में ज्यादातर नेता को टाइगर कहलाने का शौक रहता है, पर कुछ ही लोग होते हैं, जिनको जनता ये उपनाम देती है। 56 साल के जगरनाथ महतो, जो झारखंड के शिक्षा मंत्री भी थे, जिनकी मौत चेन्नई में इलाज़ के दौरान गुरुवार को हो गई, उनही में से एक थे।

नवम्बर 2020 में उन्हे कोविड होने के बाद फेफड़े का प्रत्यारोपण करवाना पड़ा था और इसी के इलाज के क्रम में शिक्षा मंत्री की मौत हुई।

झारखंड मुक्ति मोर्चा के ‘टाइगर’, डुमरी विधानसभा से न सिर्फ चार बार लगातार चुनाव जीते, पर हर बार भारी मतो से अपने प्रतिद्वंदी को हराया।

पार्टी ने उन्हे दो बार अपना गिरिडीह लोकसभा का उम्मीदवार भी बनाया था।

2019 में जब हेमंत सोरेन के नेतृतव में महागठबंधन की सरकार बनी तो महतो को शिक्षा मंत्री का महत्वपूर्ण विभाग दिया गया।

महतो अपने पीछे, चार बेटी, एक बेटा और पत्नी छोड़ गए।

राज्य सरकार ने प्रदेश में दो दिनों के राजकीय शोक की घोषणा की है।

महतो ज्यादा पढ़े नहीं थे, पर शिक्षा मंत्री के तौर पर अपने काम को बहुत लगन के साथ अंजाम देते हमेशा पाए गए। शिक्षा मंत्री रहते हुए 11वीं के एग्ज़ाम में भी बैठे, पर तबीयत बिगड़ने के वजह कर पूरा नहीं कर पाए। ढाई साल तक इलाज़रत रहे और इसी दौरान काम भी करते रहे।

जगरनाथ महतो डुमरी टाइगर झारखंड

उनके निधन पे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का वक्तव्य:

नियति को भी टाइगर होने का अहसास कराया

आज सुबह जब राजनीतिक योद्धा और संघर्ष के प्रतीक जगरनाथ दा के निधन की खबर मिली तो मैं निः शब्द होने के साथ मर्माहत हो उठा। जगरनाथ दा इस सरकार में मंत्री के साथ साथ मेरे बड़े भाई और एक ऐसे अभिभावक की भूमिका में थे जो गलतियाँ होने पर डांट भी लगा देते थे और कभी पीठ भी थपथपा देते थे। टाइगर के नाम से मशहूर जगरनाथ दा ने अपने संघर्ष, कर्तव्य निष्ठा, सादगी और विचारों की स्पष्टता के कारण अपनी खास और अलग पहचान बनाई।

निर्धारित लक्ष्य हर हाल में हासिल करने की उनकी ज़िद से मैंने बहुत कुछ सीखा। कई बार विषम परिस्थितियों में उनके सलाह,विचार और हौसला अफ़्जाई ने हिम्मत दी और लड़ने का जज्बा दिया।

जगरनाथ दा को यूँ ही टाइगर नहीं कहा जाता था । कोरोना काल में गंभीर रूप से ग्रसित होने के बावजूद उन्होंने नियति से लंबी लड़ाई लड़ी और जीत कर अपने टाइगर होने को चरितार्थ कर दिखाया। आखिरकार हुआ वही जो नियति को मंज़ूर था।

जगरनाथ दा जैसे व्यक्तित्व की कमी की भरपाई करना संभव नहीं है। उनकी कमी जीवन भर खलेगी। उनकी शिक्षा, उनका मार्गदर्शन और उनका आशीर्वाद मुझे आगे का रास्ता दिखाएगा। जगरनाथ दा ने अपने मंत्रित्व काल के दौरान शिक्षा विभाग में कुछ ऐसे निर्णय लिए जिसे झारखंड हरदम याद रखेगा । अलग झारखंड के मुखर योद्धा जगरनाथ दा की सोच और उनके संकल्पों को पूरा कर उसे साकार करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। हमारी सरकार एवं झारखंड मुक्ति मोर्चा परिवार उनके सोच और विचार को साकार करने के प्रति तब तक संकल्पित रहेगी जब तक उसे हासिल नहीं कर लिया जाता।

अपने बड़े भाई दुर्गा सोरेन जी के निधन के वक्त जिस शून्यता का एहसास हुआ था उसी शून्यता का एहसास आज हो रहा है। ईश्वर अपने श्री चरणों में दिवंगत आत्मा को स्थान दें और उनके परिवार और समर्थकों को इस दुःख में खुद को संभालने का साहस और सामर्थ्य दे यही प्रार्थना है। जगरनाथ दा अमर रहेंगे क्योंकि उनके विचार, सिद्धांत और मार्गदर्शन हमारी सरकार और हमारी पार्टी को सदैव दिशा दिखाते रहेंगे।

जगरनाथ दा दिल में थे दिल में रहेंगे

हम कार्यकर्ताओं को प्रेरित करते रहेंगे

आपका संघर्ष बेकार नहीं जायेगा

हर हाल में सोच साकार होगा

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राजनीति में ज्यादातर नेता को टाइगर कहलाने का शौक रहता है, पर कुछ ही लोग होते हैं, जिनको जनता ये उपनाम देती है। 56 साल के जगरनाथ महतो, जो झारखंड के शिक्षा मंत्री भी थे, जिनकी मौत चेन्नई में इलाज़ के दौरान गुरुवार को हो गई, उनही में से एक थे।

नवम्बर 2020 में उन्हे कोविड होने के बाद फेफड़े का प्रत्यारोपण करवाना पड़ा था और इसी के इलाज के क्रम में शिक्षा मंत्री की मौत हुई।

झारखंड मुक्ति मोर्चा के ‘टाइगर’, डुमरी विधानसभा से न सिर्फ चार बार लगातार चुनाव जीते, पर हर बार भारी मतो से अपने प्रतिद्वंदी को हराया।

पार्टी ने उन्हे दो बार अपना गिरिडीह लोकसभा का उम्मीदवार भी बनाया था।

2019 में जब हेमंत सोरेन के नेतृतव में महागठबंधन की सरकार बनी तो महतो को शिक्षा मंत्री का महत्वपूर्ण विभाग दिया गया।

महतो अपने पीछे, चार बेटी, एक बेटा और पत्नी छोड़ गए।

राज्य सरकार ने प्रदेश में दो दिनों के राजकीय शोक की घोषणा की है।

महतो ज्यादा पढ़े नहीं थे, पर शिक्षा मंत्री के तौर पर अपने काम को बहुत लगन के साथ अंजाम देते हमेशा पाए गए। शिक्षा मंत्री रहते हुए 11वीं के एग्ज़ाम में भी बैठे, पर तबीयत बिगड़ने के वजह कर पूरा नहीं कर पाए। ढाई साल तक इलाज़रत रहे और इसी दौरान काम भी करते रहे।

जगरनाथ महतो डुमरी टाइगर झारखंड

उनके निधन पे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का वक्तव्य:

नियति को भी टाइगर होने का अहसास कराया

आज सुबह जब राजनीतिक योद्धा और संघर्ष के प्रतीक जगरनाथ दा के निधन की खबर मिली तो मैं निः शब्द होने के साथ मर्माहत हो उठा। जगरनाथ दा इस सरकार में मंत्री के साथ साथ मेरे बड़े भाई और एक ऐसे अभिभावक की भूमिका में थे जो गलतियाँ होने पर डांट भी लगा देते थे और कभी पीठ भी थपथपा देते थे। टाइगर के नाम से मशहूर जगरनाथ दा ने अपने संघर्ष, कर्तव्य निष्ठा, सादगी और विचारों की स्पष्टता के कारण अपनी खास और अलग पहचान बनाई।

निर्धारित लक्ष्य हर हाल में हासिल करने की उनकी ज़िद से मैंने बहुत कुछ सीखा। कई बार विषम परिस्थितियों में उनके सलाह,विचार और हौसला अफ़्जाई ने हिम्मत दी और लड़ने का जज्बा दिया।

जगरनाथ दा को यूँ ही टाइगर नहीं कहा जाता था । कोरोना काल में गंभीर रूप से ग्रसित होने के बावजूद उन्होंने नियति से लंबी लड़ाई लड़ी और जीत कर अपने टाइगर होने को चरितार्थ कर दिखाया। आखिरकार हुआ वही जो नियति को मंज़ूर था।

जगरनाथ दा जैसे व्यक्तित्व की कमी की भरपाई करना संभव नहीं है। उनकी कमी जीवन भर खलेगी। उनकी शिक्षा, उनका मार्गदर्शन और उनका आशीर्वाद मुझे आगे का रास्ता दिखाएगा। जगरनाथ दा ने अपने मंत्रित्व काल के दौरान शिक्षा विभाग में कुछ ऐसे निर्णय लिए जिसे झारखंड हरदम याद रखेगा । अलग झारखंड के मुखर योद्धा जगरनाथ दा की सोच और उनके संकल्पों को पूरा कर उसे साकार करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। हमारी सरकार एवं झारखंड मुक्ति मोर्चा परिवार उनके सोच और विचार को साकार करने के प्रति तब तक संकल्पित रहेगी जब तक उसे हासिल नहीं कर लिया जाता।

अपने बड़े भाई दुर्गा सोरेन जी के निधन के वक्त जिस शून्यता का एहसास हुआ था उसी शून्यता का एहसास आज हो रहा है। ईश्वर अपने श्री चरणों में दिवंगत आत्मा को स्थान दें और उनके परिवार और समर्थकों को इस दुःख में खुद को संभालने का साहस और सामर्थ्य दे यही प्रार्थना है। जगरनाथ दा अमर रहेंगे क्योंकि उनके विचार, सिद्धांत और मार्गदर्शन हमारी सरकार और हमारी पार्टी को सदैव दिशा दिखाते रहेंगे।

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नवम्बर 2020 में उन्हे कोविड होने के बाद फेफड़े का प्रत्यारोपण करवाना पड़ा था और इसी के इलाज के क्रम में शिक्षा मंत्री की मौत हुई।

झारखंड मुक्ति मोर्चा के ‘टाइगर’, डुमरी विधानसभा से न सिर्फ चार बार लगातार चुनाव जीते, पर हर बार भारी मतो से अपने प्रतिद्वंदी को हराया।

पार्टी ने उन्हे दो बार अपना गिरिडीह लोकसभा का उम्मीदवार भी बनाया था।

2019 में जब हेमंत सोरेन के नेतृतव में महागठबंधन की सरकार बनी तो महतो को शिक्षा मंत्री का महत्वपूर्ण विभाग दिया गया।

महतो अपने पीछे, चार बेटी, एक बेटा और पत्नी छोड़ गए।

राज्य सरकार ने प्रदेश में दो दिनों के राजकीय शोक की घोषणा की है।

महतो ज्यादा पढ़े नहीं थे, पर शिक्षा मंत्री के तौर पर अपने काम को बहुत लगन के साथ अंजाम देते हमेशा पाए गए। शिक्षा मंत्री रहते हुए 11वीं के एग्ज़ाम में भी बैठे, पर तबीयत बिगड़ने के वजह कर पूरा नहीं कर पाए। ढाई साल तक इलाज़रत रहे और इसी दौरान काम भी करते रहे।

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जगरनाथ दा को यूँ ही टाइगर नहीं कहा जाता था । कोरोना काल में गंभीर रूप से ग्रसित होने के बावजूद उन्होंने नियति से लंबी लड़ाई लड़ी और जीत कर अपने टाइगर होने को चरितार्थ कर दिखाया। आखिरकार हुआ वही जो नियति को मंज़ूर था।

जगरनाथ दा जैसे व्यक्तित्व की कमी की भरपाई करना संभव नहीं है। उनकी कमी जीवन भर खलेगी। उनकी शिक्षा, उनका मार्गदर्शन और उनका आशीर्वाद मुझे आगे का रास्ता दिखाएगा। जगरनाथ दा ने अपने मंत्रित्व काल के दौरान शिक्षा विभाग में कुछ ऐसे निर्णय लिए जिसे झारखंड हरदम याद रखेगा । अलग झारखंड के मुखर योद्धा जगरनाथ दा की सोच और उनके संकल्पों को पूरा कर उसे साकार करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। हमारी सरकार एवं झारखंड मुक्ति मोर्चा परिवार उनके सोच और विचार को साकार करने के प्रति तब तक संकल्पित रहेगी जब तक उसे हासिल नहीं कर लिया जाता।

अपने बड़े भाई दुर्गा सोरेन जी के निधन के वक्त जिस शून्यता का एहसास हुआ था उसी शून्यता का एहसास आज हो रहा है। ईश्वर अपने श्री चरणों में दिवंगत आत्मा को स्थान दें और उनके परिवार और समर्थकों को इस दुःख में खुद को संभालने का साहस और सामर्थ्य दे यही प्रार्थना है। जगरनाथ दा अमर रहेंगे क्योंकि उनके विचार, सिद्धांत और मार्गदर्शन हमारी सरकार और हमारी पार्टी को सदैव दिशा दिखाते रहेंगे।

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