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गिरिडीह की ट्रेन सेवा दुविधा: यात्रियों और राजस्व के लिए समय क्यों मायने रखता है

इंटरसिटी ट्रेन आशा लेकर आई, लेकिन गिरिडीह के यात्रियों को समय और कनेक्टिविटी में वास्तविक बदलाव का इंतजार

गिरिडीह/कोलकाता: 12 सितंबर को, पहली बार, न्यू गिरिडीह रेलवे स्टेशन को एक एक्सप्रेस ट्रेन, भारतीय रेल से मिली, जो जिले को राज्य की राजधानी रांची से जोड़ती है।

इसके बाद, दो वंदे भारत ट्रेनें शुरू की गईं, एक रांची से हावड़ा तक और दूसरी पटना से हावड़ा तक, जो झारखंड के मुख्य स्टेशनों से होकर गुजरती थी।

मीडिया ने अक्टूबर से ही पटना और हावड़ा के बीच चलने वाली खंडोली एक्सप्रेस ट्रेन की समय सारिणी प्रकाशित की. इन सभी घटनाक्रमों से कोई भी यह विश्वास कर सकता है कि ट्रेन सेवाओं में महत्वपूर्ण सुधार हो रहे हैं और इससे गिरिडीह को सबसे अधिक लाभ होगा। हालांकि, इन परिवर्तनों ने यात्रियों के जीवन पर उस तरह से प्रभाव नहीं डाला जैसा कि कोई उम्मीद कर सकता था।

भारतीय रेल और गिरिडीह

गिरिडीह में 1871 में ही रेलवे स्टेशन था। लेकिन इसे कभी एक्सप्रेस ट्रेन नहीं मिली। अब, इसके दो स्टेशन हैं- गिरिडीह और न्यू गिरिडीह। पिछले सितंबर में न्यू गिरिडीह को इंटरसिटी एक्सप्रेस मिली।

विडंबना यह है कि जहां तक ​​गिरिडीह में रेल सुविधाओं में सुधार का सवाल है, “भारत की जीवन रेखा” जिले के 32 लाख लोगों के लिए अभी तक कुछ खास नहीं बदल पाई। जब नई गिरिडीह-रांची इंटरसिटी ट्रेन का उद्घाटन किया गया, तो यह बहुत धूमधाम से किया गया, जिसमें कोडरमा और गिरिडीह के सांसद अन्नपूर्णा देवी और सीपी चौधरी उपस्थित थे

गिरिडीह-रांची एक्सप्रेस ट्रेन का विपरीत समय

नई गिरिडीह-रांची एक्सप्रेस ट्रेन (18618) की टाइमिंग यात्रियों को मिलने वाले फायदे के विपरीत है। ट्रेन राज्य की राजधानी के लिए अपनी यात्रा दिन के दूसरे भाग में दोपहर 2:30 बजे शुरू करती है और सुबह 6 बजे रांची से प्रस्थान करती है। प्रतिदिन सुबह 4 बजे से दोपहर 12 बजे तक गिरिडीह और रांची के बीच कम से कम एक दर्जन बसें चलती हैं। ट्रेन शेड्यूल को समायोजित किया जाना चाहिए ताकि लोग भारतीय रेलवे का उपयोग करके सुबह राज्य की राजधानी की यात्रा कर सकें और शाम को वापस लौट सकें।

“यदि ट्रेन का समय नहीं बदलता है, तो यह दक्षिण पूर्व रेलवे ज़ोन के लिए पर्याप्त राजस्व उत्पन्न नहीं करेगा, जिससे संभावित रूप से उन्हें इसे बंद करने का कारण मिलेगा। गिरिडीह में एक्सप्रेस ट्रेन शुरू करने का श्रेय लेने वाले व्यक्तियों को व्यावहारिक समय सुनिश्चित करना चाहिए जिससे यात्रियों को लाभ हो।” गिरिडीह स्टेशन के एक रेलवे अधिकारी ने गुमनाम रूप से बात करते हुए कहा।

वंदे भारत ट्रेन धनबाद से होकर ही नहीं जाती और मधुपुर में रुकती नहीं, मतलब दोनों बड़े और महत्वपूर्ण स्टेशन को वंदे भारत नहीं मिली। भारत की कोयला राजधानी के रूप में जानी जाने वाली धनबाद, झारखंड का सबसे बड़ा स्टेशन है और यहां से प्रतिदिन 56 जोड़ी ट्रेनें गुजरती हैं। पटना की वंदे भारत ट्रेन मधुपुर से भी गुजरती है, जो जामताड़ा और जसीडीह की तुलना में एक प्रमुख स्टेशन है, जहां यह रुकती है। मधुपुर स्टेशन पर एक स्टॉप जोड़ने से राजस्व में वृद्धि होगी क्योंकि गिरिडीह के लोग अक्सर अपने शहर में सीधी ट्रेनों की अनुपस्थिति के कारण दूसरे शहरों के लिए ट्रेन मधुपुर से पकड़ते हैं।

पटना से हावड़ा वाया न्यू गिरिडीह का अनौपचारिक टाइम टेबल मीडिया द्वारा जारी

हाल ही में, स्थानीय मीडिया ने पटना-हावड़ा के बीच चलने वाली ट्रेन खंडोली एक्सप्रेस के लिए एक समय सारिणी प्रकाशित की, जिसमें बताया गया कि जल्द ही इसका न्यू गिरिडीह में ठहराव होगा। हालांकि, बाद में पता चला कि यह चैंबर ऑफ कॉमर्स का एक सुझाव था, न कि भारतीय रेलवे अधिकारियों की ओर से कोई आधिकारिक घोषणा।

जोनल रेलवे उपयोगकर्ता सलाहकार समिति (पूर्वी रेलवे) के सदस्य प्रदीप अग्रवाल ने पुष्टि की कि वे दक्षिण पूर्व रेलवे जोन के अधिकारियों से रांची-न्यू गिरिडीह ट्रेन की समय सारिणी में बदलाव करने का अनुरोध कर रहे हैं।

हालाँकि, ट्रेन शेड्यूल की तकनीकी जानकारी रखने वाले कुछ पर्यवेक्षकों का मानना ​​है कि दिन के समय में पटना से हावड़ा तक एक एक्सप्रेस ट्रेन से गिरिडीह निवासियों को कोई खास फायदा नहीं होगा। चूंकि पटना शहर से काफी दूरी है और दिन के सफर की वजह से गिरिडीह यात्रियों को केवल आंशिक लाभ मिलेगा। इसके बजाय, सुबह हावड़ा पहुंचने के लिए गिरिडीह से रात 10 बजे के आसपास प्रस्थान करने वाली स्लीपर ट्रेनों का सुझाव, ज्यादा बेहतर हो सकता है और बड़ी राहत होगी। इसी तरह, अगली सुबह गिरिडीह और पटना पहुंचने के लिए हावड़ा से रात 10 या 11 बजे प्रस्थान एक आदर्श समय रहेगा और इससे राजस्व का भी लाभ होगा। इससे भारतीय रेल और गिरिडीह एक दुसरे से सही मायने में जुड़ेंगे भी।

 

ये स्टोरी, इंग्लिश का अनुवाद है

Shahnawaz Akhtar

is Founder of eNewsroom. He brings over two decades of journalism experience, having worked with The Telegraph, IANS, DNA, and China Daily. His bylines have also appeared in Al Jazeera, Scroll, BOOM Live, and Rediff, among others. The Managing Editor of eNewsroom has distinct profiles of working from four Indian states- Jharkhand, Madhya Pradesh, Rajasthan and Bengal, as well as from China. He loves doing human interest, political and environment related stories.

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One Comment

  1. Thanks to all officers n Leaders who has taken this step to five some contribution as a Rail.

    Giridih nivasi hone k nate isme time table me jarur badlaw hone chahiye. Jo ki already isme kuchh log suggest kar chuke hain. Time kisi bhi hal me badlna chhaiye. Warna naam Hamare yahan k leaders ka hin kharab hoga. Kyuki munafa dikhega nahi….To aise me kuchh mahino sal me ye trains band kar di jaygi…Ki Los me hai ye train. Aur fir finally leaders ko kosa jayga….Ki Vote lene aur dikhane k liye jaldi jaldi train train chala diya gya…Par fir kya hua.

    Agar kisi ko meri bat buri lagi ho to sorry. Par bat 💯% sahi hai.

    Thanks & Regard
    Coach Niraj Modi

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