कोलकाता: जब पूरे भारत के लोग देश का 75वां स्वतंत्रता दिवस माना रहें होंगे तो वही लाखों किसान जो दुनिया की सबसे बड़े आंदोलन में शामिल हैं वो एक बार फिर सड़कों पे रहकर ही देश की आज़ादी के जशन को माना सकेंगे। केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 26 नवम्बर 2020 से शुरू हुये किसान आंदोलन को अब 263 दिनों का लंबा वक़्त हो गया। अब तो सूप्रीम कोर्ट भी सुध नहीं ले रहा। लेकिन किसानों के हौसलों में कोई फर्क नहीं पड़ा है, वो जब तक तीनों कृषि विधेयक वापस नहीं हो जाते, आंदोलन खत्म करने के मूड में नहीं है। इस साल बंगाल के विधानसभा चुनाव में भाजपा का खुल कर विरोध करने के बाद, अब किसानों ने मिशन यूपी और मिशन उत्तराखंड भी शुरू कर दिया है, जहां अगले साल चुनाव होना है। 26 जनवरी को हुए हंगामे के बाद, किसान संघटनों ने वैसा कोई प्रोग्राम दिल्ली के लिए तो नहीं रखा है, वो इसे किसान-मजदूर संघर्ष दिवस के तौर पे पूरे देश में मनाएंगे। ईन्यूज़रूम ने पिछले साल से दिल्ली, गाजीपुर बार्डर, और बंगाल के तमाम किसान आंदोलनों को दिखाया और उनके नेताओं को भी अपने पाठकों को सुनाया। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पे आंदोलनरत किसानों के ऊपर बनाया गया ये विडियो रिपोर्ट देखें।
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भारत की 75वीं आज़ादी और दुनिया का सबसे बड़ा आंदोलन
जब भारत के लोग देश का 75वां स्वतंत्रता दिवस माना रहें होंगे तो वही लाखों किसान जो दुनिया की सबसे बड़े आंदोलन में शामिल हैं वो सड़कों पे रहकर ही देश की आज़ादी के जशन को मनाने के लिए मजबूर होंगे