अपने प्रदेश में काम करने की चाह में इस नौजवान ने छोड़ा महारत्ना कंपनी का ऑफर

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से मैकनिकल इंजीनियर सुहैल को इंडियन ऑइल से था ऑफर, ओएनजीसी में भी कुछ वक़्त के लिए किया काम

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गिरिडीह। सुहैल अहमद को अपने प्रदेश झारखंड में काम करने की चाह इतनी है कि सुहैल ने इंडियन ऑयल कंपनी , जो की एक महारत्ना कंपनी है के ऑफर को नहीं लिया और दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी), एक पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (पीएसयू) को जॉइन करेंगे।

डीवीसी में उन्हे झारखंड में रह कर काम करने का मौका मिलेगा।

25 साल के सुहैल ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से मैकनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और साल 2022 की गेट में अखिल भारतीय रैंकिंग 63 आई थी, वो झारखंड टॉपर रहे।

“मैकनिकल ब्रांच से लगभग एक लाख सत्ताईस हज़ार अभियार्थियों ने गेट की परीक्षा दी थी। 63 रैंक मिलने पे आप जिस भी कंपनी में अप्लाई करते हैं, वहाँ हो जाता है।” सुहैल ने बताया।

डीवीसी ने भी जिन 22 लोगों को सहायक इंजीनियर के लिए चयनित किया है, उसमे सुहैल दूसरे रैंक में है।

डीवीसी और इंडियन ऑयल के ऑफर से पहले सुहैल ओएनजीसी की एक सब्सिडियरी कंपनी में बेंगलुरु में काम कर चुके हैं।

“पर जब मुझे डीवीसी का ऑफर मिला, जिससे में झारखंड मैं काम कर सकता हूँ तो मैंने यहीं जॉइन करने का फैसला लिया।” सुहैल ने आगे बताया।

सुहैल एक साधारण परिवार से आते हैं, उनके पिता मोहम्मद फ़ैयाज़ डेकोरेशन का काम करते हैं। उनकी स्कूलिंग सीसीएल डीएवी, गिरिडीह से हुई। और प्लस टू एएमयू से। वो शुरू से पढ़ाई में अच्छे रहे और इंजीनियरिंग का एंट्रैन्स बिना किसी कोचिंग के सुहैल ने क्लियर किया था।

“सीसीएल डीएवी में पढ़ाई के दौरान ही मुझे सुहैल के बारे में बताया गया के वो एक होनहार स्टूडेंट है। इसलिए हमलोगों ने उसे बाहर भेजने का फैसला लिया था,” पिता मोहम्मद फ़ैयाज़ ने बताया।

हालांके, एम टेक की पढ़ाई कर रहे और यूपीएससी पास करने का इरादा रखने वाले सुहैल को इस बात का अंदाज़ा है कि झारखंड में लालफीता शाही थोड़ी ज्यादा ही है और यही वजह है कि उन्हे छोटी-छोटी सरकारी कामों में दिक्कतें आ रही हैं।

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गिरिडीह। सुहैल अहमद को अपने प्रदेश झारखंड में काम करने की चाह इतनी है कि सुहैल ने इंडियन ऑयल कंपनी , जो की एक महारत्ना कंपनी है के ऑफर को नहीं लिया और दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी), एक पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (पीएसयू) को जॉइन करेंगे।

डीवीसी में उन्हे झारखंड में रह कर काम करने का मौका मिलेगा।

25 साल के सुहैल ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से मैकनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और साल 2022 की गेट में अखिल भारतीय रैंकिंग 63 आई थी, वो झारखंड टॉपर रहे।

“मैकनिकल ब्रांच से लगभग एक लाख सत्ताईस हज़ार अभियार्थियों ने गेट की परीक्षा दी थी। 63 रैंक मिलने पे आप जिस भी कंपनी में अप्लाई करते हैं, वहाँ हो जाता है।” सुहैल ने बताया।

डीवीसी ने भी जिन 22 लोगों को सहायक इंजीनियर के लिए चयनित किया है, उसमे सुहैल दूसरे रैंक में है।

डीवीसी और इंडियन ऑयल के ऑफर से पहले सुहैल ओएनजीसी की एक सब्सिडियरी कंपनी में बेंगलुरु में काम कर चुके हैं।

“पर जब मुझे डीवीसी का ऑफर मिला, जिससे में झारखंड मैं काम कर सकता हूँ तो मैंने यहीं जॉइन करने का फैसला लिया।” सुहैल ने आगे बताया।

सुहैल एक साधारण परिवार से आते हैं, उनके पिता मोहम्मद फ़ैयाज़ डेकोरेशन का काम करते हैं। उनकी स्कूलिंग सीसीएल डीएवी, गिरिडीह से हुई। और प्लस टू एएमयू से। वो शुरू से पढ़ाई में अच्छे रहे और इंजीनियरिंग का एंट्रैन्स बिना किसी कोचिंग के सुहैल ने क्लियर किया था।

“सीसीएल डीएवी में पढ़ाई के दौरान ही मुझे सुहैल के बारे में बताया गया के वो एक होनहार स्टूडेंट है। इसलिए हमलोगों ने उसे बाहर भेजने का फैसला लिया था,” पिता मोहम्मद फ़ैयाज़ ने बताया।

हालांके, एम टेक की पढ़ाई कर रहे और यूपीएससी पास करने का इरादा रखने वाले सुहैल को इस बात का अंदाज़ा है कि झारखंड में लालफीता शाही थोड़ी ज्यादा ही है और यही वजह है कि उन्हे छोटी-छोटी सरकारी कामों में दिक्कतें आ रही हैं।

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गिरिडीह। सुहैल अहमद को अपने प्रदेश झारखंड में काम करने की चाह इतनी है कि सुहैल ने इंडियन ऑयल कंपनी , जो की एक महारत्ना कंपनी है के ऑफर को नहीं लिया और दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी), एक पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (पीएसयू) को जॉइन करेंगे।

डीवीसी में उन्हे झारखंड में रह कर काम करने का मौका मिलेगा।

25 साल के सुहैल ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से मैकनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और साल 2022 की गेट में अखिल भारतीय रैंकिंग 63 आई थी, वो झारखंड टॉपर रहे।

“मैकनिकल ब्रांच से लगभग एक लाख सत्ताईस हज़ार अभियार्थियों ने गेट की परीक्षा दी थी। 63 रैंक मिलने पे आप जिस भी कंपनी में अप्लाई करते हैं, वहाँ हो जाता है।” सुहैल ने बताया।

डीवीसी ने भी जिन 22 लोगों को सहायक इंजीनियर के लिए चयनित किया है, उसमे सुहैल दूसरे रैंक में है।

डीवीसी और इंडियन ऑयल के ऑफर से पहले सुहैल ओएनजीसी की एक सब्सिडियरी कंपनी में बेंगलुरु में काम कर चुके हैं।

“पर जब मुझे डीवीसी का ऑफर मिला, जिससे में झारखंड मैं काम कर सकता हूँ तो मैंने यहीं जॉइन करने का फैसला लिया।” सुहैल ने आगे बताया।

सुहैल एक साधारण परिवार से आते हैं, उनके पिता मोहम्मद फ़ैयाज़ डेकोरेशन का काम करते हैं। उनकी स्कूलिंग सीसीएल डीएवी, गिरिडीह से हुई। और प्लस टू एएमयू से। वो शुरू से पढ़ाई में अच्छे रहे और इंजीनियरिंग का एंट्रैन्स बिना किसी कोचिंग के सुहैल ने क्लियर किया था।

“सीसीएल डीएवी में पढ़ाई के दौरान ही मुझे सुहैल के बारे में बताया गया के वो एक होनहार स्टूडेंट है। इसलिए हमलोगों ने उसे बाहर भेजने का फैसला लिया था,” पिता मोहम्मद फ़ैयाज़ ने बताया।

हालांके, एम टेक की पढ़ाई कर रहे और यूपीएससी पास करने का इरादा रखने वाले सुहैल को इस बात का अंदाज़ा है कि झारखंड में लालफीता शाही थोड़ी ज्यादा ही है और यही वजह है कि उन्हे छोटी-छोटी सरकारी कामों में दिक्कतें आ रही हैं।

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