eNewsroom India Logo

विलुप्त होने की कगार पर बहुत सारे पक्षी, मगर क्यों?

Date:

Share post:

गोडावण पक्षी को लेकर सरकार और पर्यावरणविद् एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं। इस लुप्तप्राय पक्षी को आवास और विकास परियोजनाओं से भारी नुकसान हुआ है। गोडावण तो एक उदाहरण है, लेकिन भारत में ही नहीं बल्कि भारत के बाहर पूरी दुनिया में भी ऐसे कई पक्षी हैं, जो ऐसे ही खतरों का सामना कर रहे हैं। इनमें से कई पक्षी वन्यजीव संरक्षण के अंतर्गत सूचीबद्ध हैं और विलुप्त होने के कगार पर हैं।

पक्षियों की प्रजातियों में कितनी गिरावट?

हर साल बड़ी संख्या में पक्षियों की प्रजातियां घट रही हैं। न केवल भारत में बल्कि अन्य कई देशों में भी जलवायु परिवर्तन और आवास विनाश जैसे कई कारणों से यह संख्या घट रही है। एक हालिया रिपोर्ट में पक्षियों की चार प्रजातियों में 50 से 80 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। इसमें गोडावण और खनमोर  जैसे घास के मैदानी पक्षियों का एक बड़ा हिस्सा है। सारस पक्षी की स्थिति भी कुछ अलग नहीं है।

निवास स्थानों के नष्ट और उनके क्षरण होने के चलते कई पक्षियों का अस्तित्व खतरे में है तो अगस्त 2023 में जारी रिपोर्ट ‘स्टेट ऑफ इंडियन बर्ड्स 2023’ से भी यह स्पष्ट होता है। इस रिपोर्ट में लिटिल प्रेटिनकोले, लिटिल रिंग्ड प्लोवर और लिटिल टर्न जैसे पक्षी भी शामिल हैं।

सिंचाई परियोजना, रेत खनन, परिवहन, बढ़ते मानव अतिक्रमण, घरेलू खपत, कृषि और औद्योगिक स्रोतों से प्रदूषण के साथ ही नदी तटों के व्यापक क्षरण वजहों से पक्षियों का निवास स्थान नष्ट हो रहा है। यह बात हाल ही प्रकाशित इस रिपोर्ट में कही गई है। रिपोर्ट में आवास पर ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के नकारात्मक प्रभाव पर भी प्रकाश डाला गया है, जबकि अर्ध-शुष्क और घास के मैदान गोडावण का निवास स्थान हैं। गौर करने वाली बात यह है कि विकास परियोजनाओं के लिए सरकारी रिपोर्टों में इसे गलती से बंजर भूमि के रूप में दर्ज किया गया है। कृषि और बुनियादी ढांचे के लिए घास के इन मैदानों को बड़े पैमाने पर साफ किया गया।

इसी कड़ी में पेंटेड स्टॉर्क, मैलार्ड, क्रेन, गिद्ध, चील जैसे बड़े शरीर वाले पक्षियों के साथ-साथ अन्य छोटी प्रजातियों के सामने अस्तित्व का खतरा अधिक है।

देखा जाए तो गोडावण पक्षी राजस्थान में बड़ी संख्या तक पाया जाता था। लेकिन, यहां पवन ऊर्जा और उच्च वोल्टेज बिजली लाइनों ने गोडावण पक्षियों के जीवन को संकट में ला दिया है। बताते चलें कि भारत दुनिया में पवन ऊर्जा का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है। लेकिन, ऊर्जा के बुनियादी ढांचे ने पक्षियों के आवासों को खतरे में डाल दिया है। इसी तरह तटीय आवास क्षरण, भूमि उपयोग परिवर्तन, आवासों के पास विकास गतिविधियां, नदी मार्गों को रोकना, वाणिज्यिक जलीय कृषि, अपरंपरागत नमक उत्पादन के अलावा अवैध शिकार भी पक्षियों की कई प्रजातियों की समाप्ति का कारण बनती जा रही हैं।

बाघ केंद्रित नीति का कितना असर?

जैसे ही भारत में वन पर्यटन बाघ-केंद्रित हो गया, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने बाघ संरक्षण पर अधिक पैसा खर्च किया। बाघ की सुरक्षा और संरक्षण के लिए अन्य जानवरों की तरह उतनी तत्परता से कदम नहीं उठाए जाते। पक्षी तो इससे कोसों दूर हैं। बाघ वन्यजीव संरक्षण के तहत अनुसूची में शामिल एक जानवर है। हालांकि, अनुसूची में कई पक्षी भी शामिल हैं, लेकिन बाघों के महत्व के कारण इन पक्षियों की उपेक्षा की जा रही है जिससे ये लुप्तप्राय सूची में आते जा रहे हैं।

इस सूची में फिलीपीनी ईगल भी शामिल है। यह शिकार के सबसे बड़े और सबसे शक्तिशाली पक्षियों में से एक माना जाता है। वनों की कटाई और अवैध शिकार के कारण इसे गंभीर खतरों का सामना करना पड़ रहा है।

इसी तरह, कैलिफ़ोर्निया कोंडोर को अभी भी विषाक्तता और निवास स्थान के नुकसान के खतरों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, मध्य भारत के जंगलों में वन उल्लुओं को निवास स्थान के नुकसान का खतरा है। इसी तरह, जावन हॉक ईगल इंडोनेशिया में लुप्तप्राय है। वनों की कटाई के कारण इसका निवास स्थान खतरे में है। ये तो महज कुछ नाम ही हैं, मगर अफसोस कि इन्हीं की तरह विलुप्त होने की कगार पर पहुंचने वाले पक्षियों की सूची लंबी होती जा रही है।

 

spot_img

Related articles

Politics, Power, and Cinema: Author Rasheed Kidwai Captivates Dubai Audience

Dubai: Literature enthusiasts from India and Dubai gathered at the India Club for a memorable evening with celebrated...

The Untamed Soul of Indian Cinema: How Ritwik Ghatak’s Art Still Speaks to Our Times

The World Cinema Project has restored, among other films, Titas Ekti Nodir Naam by Ritwik Ghatak. Martin Scorsese,...

How India’s Symbol of Love Is Being Twisted into a Tool of Hate

The Taj Mahal, regarded as one of the Seven Wonders of the World, is one of the major...

“Students Don’t Know Who Fazlul Huq Was”: Bengal Scholars Lament Erasure of Sher-e-Bangla’s Legacy

Kolkata: “In many colleges and universities, students and even teachers are unaware of who Fazlul Huq truly was,”...