कोलकाता। अब ये आधिकारिक हो गया है कि ताज महल के जगह पे कभी कोई मंदिर नहीं था। इस बात की पुष्टि कोई और नहीं बल्कि भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey Of India) ने एक आरटीआई के जवाब में किया है।
आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले के सवालों के जवाब में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने ये भी दावा किया और बताया के दुनिया की सबसे ऐतिहासिक इमारत में से एक ताज महल में कोई बंद चेम्बर नहीं जिसमें मूर्तियाँ हों।
मालूम हो की हाल में हिन्दूवादी संगठनो ने ताज महल के 22 कमरों में शिव की मूर्तिया होने का दावा किया था और इसके लिए वे इलाहाबाद हाइकोर्ट भी गए थे।
हाई कोर्ट के याचिका में कहा गया है कि ताजमहल के वे 22 कमरे खोले जाएं जो लंबे समय से बंद हैं। याचिकाकर्ता का दावा है कि इन कमरों में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां और शिलालेख के साथ तमाम सबूत मौजूद हैं कि ताजमहल पहले मंदिर था। इसी मामले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई हुई थी और याचिका खारिज कर दी गयी।
हाई कोर्ट द्वारा याचिका खारिज करने के बाद याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट रूम के बाहर मीडिया से बातचीत में कहा था कि वे सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
एएसआई ने इस बारे में एक ब्यान भी दिया था कि ताजमहल के नीचे मौजूद कमरों में छुपाने जैसा कुछ नहीं है। इन्हें सुरक्षा कारणों से जनता से दूर रखा गया था। यहां किसी भी मूर्ति के मौजूद होने के पहले संकेत नहीं मिले हैं।
पर अब लिखित जवाब और मामला ऑन रेकॉर्ड होने से इस तरह के हरकतों पर हमेशा के लिए लगाम लगाया जा सकता है।
साकेत गोखले ने भी अपने आरटीआई कॉपी को शेयर करते हुए लिखा के उम्मीद है की लोग और कोर्ट इस बात (एएसआई का आरटीआई में दिया जवाब) को ध्यान में रखेंगे जब नोएडा मीडिया जो इस बात को लेकर नफरत फैलाने की कोशिश करेगा।