शिक्षा में बदलाव के लिए कुछ खिड़कियां खुली हैं

संविधान के मुताबिक ‘लोकतांत्रिक गणराज्य’ बनाने के लिए बराबरी, न्याय, स्वतंत्रता और बंधुता मूलभूत मूल्य हैं। लेकिन शिक्षा व्यवस्था गैर-बराबरी और भेदभाव की बुनियाद पर खड़ी की गई है जबकि सबको समतामूलक शिक्षा मुहैय्या करना संवैधानिक तकाज़ा था। विडंबना है कि जितनी परतों में समाज बंटा हुआ था उतनी ही परतों में बंटी शिक्षा व्यवस्था …

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