नदी सिंदूरी
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पुस्तक समीक्षा
‘नदी सिंदूरी’ पर बोले अभय दुबे- घटनाएं चरित्रों की तरह दिखने लगे तब रचना साधारण नहीं रह जाती
नई दिल्ली। जब घटनाएं और गतिविधियां चरित्रों की तरह दिखाई देने लगे तब वह रचना साधारण नहीं रह जाती। शिरीष…
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नई दिल्ली। जब घटनाएं और गतिविधियां चरित्रों की तरह दिखाई देने लगे तब वह रचना साधारण नहीं रह जाती। शिरीष…
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