रांची: चुनाव आते ही तमाम राजनीतिक दल वादों का पीटारा खोल देते हैं। और संविधान की दुहाई देने लगते हैं। लेकिन चुनाव परिणाम के तुरंत बाद सारे काम अपने तरीके करना शुरू कर देते है। झारखंड में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने ठीक ऐसा ही पिछले पाँच सालों के दौरान किया है।
2014 के विधान सभा चुनाव में बीजेपी को 36 सीटों पर जीत मिली थी। जो बहुमत से 5 सीटे कम। फिर जोत-तोड़ का खेल शुरू हुआ और झारखंड विकास मोर्चा के 6 विधायकों ने पाला बदल कर बीजेपी का दामन थाम लिया।
अब पार्टी पूरी बहुमत में आ गयी। पर उससे न झारखंड के लोगों का न भला हुआ, ना संविधान सम्मत कुछ हुआ। 81 सीटो वाली झारखंड विधान सभा में 12 मंत्री कैबिनेट में हो सकते हैं। अब पाँच साल पूरे हो गए रघुबर सरकार के, लेकिन बरहवा मंत्री झारखंड कैबिनेट को नहीं मिला।
“संवैधानिक प्रक्रियाओं का सम्मान अन्य दलों की तरह बीजेपी के क्लचर नहीं है,। झारखंड की रघुबर की सरकार ठीक नरेंद्र मोदी की सरकार की तरह वन मेन आर्मी है। यहाँ रघुबर दास बिना किसी कैबिनेट मंत्री के सलाह मशविरा के चलते हैं। इसलिए वो बारहवाँ मंत्री बनाने की जरूरत ही महसूस नहीं किए होंगे”, सीपीआईएमएल के नेता और पूर्व विधायक विनोद सिंह ने ईन्यूज़रूम को बताया।
ऐसा नहीं है के इसके दावेदार नहीं थे।कई प्रबल दावेदारों तो दूसरी बार चुनाव जीत कर आए, गिरिडीह के एमएलए निर्भय शाहबादी भी उनमे से एक थे। पर न उन्हे और नही किसी और को कैबिनेट मंत्री बनाया गया।
ये तो भला मानिए झारखंड के आज के विपक्ष का, नहीं तो जब बीजेपी विपक्ष में थी तो, मात्र 2 महीने के देरी में सरयू राय कई संवैधानिक संस्थाओ को लिख देते थे।
“संवैधानिक प्रक्रियाओं का सम्मान अन्य दलों की तरह बीजेपी के क्लचर नहीं है,। झारखंड की रघुबर की सरकार ठीक नरेंद्र मोदी की सरकार की तरह वन मेन आर्मी है। यहाँ रघुबर दास बिना किसी कैबिनेट मंत्री के सलाह मशविरा के चलते हैं। इसलिए वो बारहवाँ मंत्री बनाने की जरूरत ही महसूस नहीं किए होंगे”, सीपीआईएमएल के नेता और पूर्व विधायक विनोद सिंह ने ईन्यूज़रूम को बताया।
सोनू आगे कहते हैं, “असल में मुख्यमंत्री (रघुबर दास) ने इस मामले में विशुद्ध राजनीति की और लंबे समय तक अपने पार्टी के एमएलए और दुसरे दल से आए कुछ लोगों को लालच दिये रखा के आज नहीं तो कल उन्हे मंत्री बनाएँगे और इसी में 5 साल काट दिये।”
वहीं झामुमो के केन्द्रीय सदस्य सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा, “रिप्रेजेंटेटिव ऑफ पीपल एक्ट कहता है के 15 प्रतिशत मंत्री हो सकते हैं विधान सभा या लोक सभा के सीटों के संख्या अनुसार, पर रघुबर दास की भाजपा सरकार जो अपने आपको डबल इंजन की सरकार बोलती आई उसने ये जरूरत नहीं समझा। बरहवा मंत्री नहीं बनाना झारखंड के लोगों के साथ भी धोखा है, जिनको एक और मंत्री मिलने से कुछ लाभ होता।”
सोनू आगे कहते हैं, “असल में मुख्यमंत्री (रघुबर दास) ने इस मामले में विशुद्ध राजनीति की और लंबे समय तक अपने पार्टी के एमएलए और दुसरे दल से आए कुछ लोगों को लालच दिये रखा के आज नहीं तो कल उन्हे मंत्री बनाएँगे और इसी में 5 साल काट दिये।”
मंत्री सरयू राय, जिन्होने पिछली कई सारी सरकारों में इस तरह के मुद्दो को उठाया उनसे जब ईन्यूज़रूम ने बात की तो उनका कहना था, “मैंने तो इस बार भी राज्यपाल को लिखा के झारखंड के लोगों को बरहवा मंत्री मिलना चाहिए और सरकार को इसे जल्द से जल्द बनाना चाहिए।”
आगे सरयू राय मुस्कुरा कर कहते हैं, अब तो झारखंड को बरहवा मंत्री अगली सरकार में ही मिलेगा।