राँची: झारखंड, जहाँ विधान सभा चुनाव के वजह से आचार संहिता लागू रहने के कारण, भारत के विभिन्न शहरों की तरह नागरिकता कानून (CAA), राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) और राष्ट्रीय जनसंख्या राजिस्टर (NPR) का विरोध प्रदर्शन नहीं हो पा रहा था, आज यहाँ कई शहरों में इसकी शुरुआत हो गयी।
जिन जगहों पे ये विरोध प्रदर्शन हुए उनमे खास है, राजधानी राँची, गिरिडीह और धनबाद। राँची और गिरिडीह के विरोध प्रदर्शन में जो एक समानता दिखी वो ये के दोनों जगहों पे स्थानीय लोगो ने ही इसकी अगुवाई की और ज्यादा तर ने संविधान की प्रस्तावना, हम भारत के लोग से अपने वक्तव्य की शुरुआत की।
राँची में गांधी प्रतिमा, मोराबादी में हजारों लोगो के द्वारा शांतिपूर्ण तरीके से विरोध किया गया, भारी बारिश के बावजूद लोगो ने जोरदार विरोध किया।
कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता बलराम ने कहा कि भाजपा सरकार के द्वारा लायी गयी CAA पूरी तरह से गैर संवैधानिक है एवम संविधान के अनुच्छेद 14,15 और 21 का उलंघन करती है, झारखंड में हमारा जल जंगल जमीन और हमारी संस्कृरी ही हमारी नागरिकता है। जिस तरह से पिछले पांच वर्षों में झारखंड में मोब लिंचिंग और जल जंगल जमीन पर हमले हुए उसकी घोर निंदा करती है, इन सभी नागरिक विरोधी नीतियों का झारखंडी जनता विरोध करती रही है और आगे भी जोरदार तरीके से विरोध होगा।
मौके पर इबरार अहमद ने कहा बीजेपी और आरएसएस भारत की एकता, अखंडता और भाईचारे को तोड़ना चाहती है और हिन्दू-मुस्लिम-सिख-इसाई सही सभी धर्मों के बीच नफरत फैला रही है लेकिन उनके षड्यंत्र को अमनपसंद लोग सफल नही होने देंगे एवम साथ ही हमेशा झारखंडी भाईचारा और एकता को बना के रखेगी।
कार्यक्रम में शामिल दयामनी बरला ने कहा कि सरकार के गलत नीतियों के खिलाफ विरोध करने वाले लोगो पर भाजपा सरकार के द्वारा देशद्रोह का मुकदमा किया गया और झारखंड में नफरत को बढ़ावा दिया गया लेकिन आज झारखंड की जनता ने विधानसभा चुनाव में उनके एजेंडे को खारिज कर दिया।
इस विरोध में विभिन्न संगठन यूनाइटेड मिली फोरम, झारखंड छात्र मोर्चा, मजलीसे ओलमा झारखंड, अंसारी महापंचायत, मुस्लिम युथ फोरम, इसाई महासंघ, अंजुमन इस्लामिया, एनएपीएम, एआईएसएफ, उलगुलान सेना, जनवादी लेखक संघ, यूनाइट और सपोर्ट, इप्टा सहित अन्य संगठन एवम विद्यार्थी और महिलाएं शामिल थे।
राँची में जनवरी 3 को भी एक विरोध प्रदर्शन आयोजित होगा।
वहीं गिरिडीह में सीएए और एनआरसी के खिलाफ सभा में मौजूद सभी प्रवक्ताओं ने एक सवर में कहा की सीएए और एनआरसी जैसे काले कानून के वजह से आज भारतीय संविधान को खतरा है।
गिरिडीह के शहरी और ग्रामीण जन के द्वारा आयोजित शांति मार्च और जनसभा में सैकड़ो की संख्या में कई इलाकों से लोग शामिल हुए ।
सभा को पूर्व संसद फुरकान अंसारी ने भी संबोधित किया। काँग्रेस नेता फुरकान अंसारी ने लोगों को भरोसा दिलाने की कोशिश की, और कहा के झारखंड में एनआरसी लागू नहीं होगा। “एनआरसी का विरोध सिर्फ गिरिडीह में ही नहीं बल्के पूरे देश और विदेश में हो रहा। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में भी हो रहा। देश की 95 परसेंट लोग सेकुलर हैं और सब इसका विरोध कर रहे।”
सभा को भीम सेना के प्रदेश अध्यक्ष ललन कुमार ने भी संबोधित किया और कहा, “लोग मुझसे कहते हैं नागरिकता कानून से तो मुस्लिम को दिक्कत होगी, उन्हे होने दो, तुम क्यू इसका खिलाफत कर रहे हो। पर वो नहीं जानते के ये एससी, एसटी और ओबीसी सबके खिलाफ है। और आज अगर भारत मे किसी को खतरा है तो, भारतीय संविधान को खतरा है।”
“हमारे देश में सभी को अपना-अपना धर्म मानने का अधिकार है, पर जो देश का धर्म है, वो संविधान है, इसे हमे बचना होगा,” ललन ने कहा।
गिरिडीह की सभा में कई संगठनो के लोग शामिल हुए जैसे, भीम आर्मी, भीम सेना, बहुजन क्रांति मोर्चा, बामसेफ।
धनबाद के वासेयपुर में भी एक धरना हुआ CAA और NRC के खिलाफ।
झारखंड में आज की सभा को एक शुरुआत माना जा रहा है। और आने वाले समय में कई विरोध प्रदर्शन नागरिकता कानून में बदलाव के खिलाफ होंगे