राँची: झारखंड में विधान सभा चुनाव की घोषणा नवम्बर 1 को हो गयी और एक नहीं, दो नहीं, पाँच चरणों में होंगे राज्य में चुनाव।
और एक इत्तिफाक़ है के विपक्ष की सारी पार्टियां एक चरण में चुनाव चाहती थी और सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 5 चरणों में।
कुछ ही दिनों पहले हरयाणा में चुनाव हुआ, जहां 90 सीटे हैं, और वहाँ एक चरण में चुनाव हुए। झारखंड में मात्र 81 विधान सभाएं हैं।
नक्सल गतिविधि में झारखंड में 30 से 40 फीसदी तक गिरावट
चुनाव आयोग ने कहा के झारखंड नक्सल प्रभावित है और इसलिए ऐसा हो रहा।
पर ऐसा करने के लिए चुनाव आयोग ने जिस नक्सल समस्या के सहारा लिया है। उसकी आज की स्थिती को भी देख लीजिये। दरअसल, नक्सल गतिविधि में झारखंड में 30 से 40 फीसदी तक गिरावट आई है, ये कहना है झारखंड पुलिस का।
दैनिक भास्कर ने जून 5 को एक रिपोर्ट में झारखंड पुलिस में मात्र 550 नक्सली बचे हुए हैं। और सीआरपीएफ की 122, आईआरबी की 5 और झारखंड जगुआर की 40 कंपनी फोर्स लगी हुई है इनके सफाया के लिए।
रिपोर्ट में कहा गया के, झारखंड में अब प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी, टीपीसी और पीएलएफआई कमजोर पड़ गए हैं। नक्सली वारदातों में कमी आई है। प्रभाववाले कई इलाकों से नक्सलियों के पैर उखड़ गए हैं।
और ये भी के सिर्फ जनवरी 2019 से जून तक झारखंड में 25 मुठभेड़ हुई जिसमे पुलिस भारी पड़ी पुलिस और 18 नक्सली मारे गए, 65 गिरफ्तार भी हुए थे।
2018 में करीब 160 नक्सलियों को सुरक्षा बल के जवानो ने मार गिराया था। वहीं 1200 नक्सली गिरफ्तार हुए। 360 ने हथियार डाला था।
राजनीति के जानकार भी ये मानते हैं के झारखंड में नक्सल समस्या पहले से कम हुई है और चुनाव 2 या ज्यादा से ज्यादा 3 चरणों में हो सकता था।
डरी हुई है भाजपा
चुनाव के घोषणा के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने एक विडियो मैसेज जारी किया।
“5 चरणों में चुनाव से ये स्पष्ट हो रहा है की इस राज्य में हालात अच्छे नहीं यही वजह है के देश में अकेले झारखंड में चुनाव हो रहा। राज्य में सभी सामग्री है, वयवस्था है फिर भी चुनाव पाँच चरणों होंगे। चुनाव की तारीख से ये पता चलता है के (रघुबर दास) सरकार की जड़े हिल चुकी हैं,” हेमंत सोरेन ने कहा।