रांची: तो आखिरकार चंपई सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। और अब हेमंत सोरेन का मुख्यमंत्री बनना तय माना जा रहा। पर क्यों गठबंधन को ये जरूरी लगा कि हेमंत सोरेन को अब ही पद संभाल लेना चाहिए, और चंपई सोरेन की लीडरशिप में चुनाव में जाने से बेहतर है पूर्व मुख्यमंत्री को लीड करने देना।
कल शाम चंपई सोरेन ने गठबंधन नेताओं के साथ राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को अपना इस्तीफा सौंपा तो हेमंत सोरेन भी मौजूद थे राजभवन में। और साथ ही साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष ने अपनी सरकार का दावा भी कर दिया।
मतलब साफ है, हेमंत सोरेन अब फ्रंटफुट पर खेलेंगे और झारखंड की जनता को बार-बार बताएँगे, कोर्ट की टिप्पणी के साथ कि एक आदिवासी नेता को झूठे मुकदमे में फंसा कर 5 महीने जेल की सलाखों के पीछे रखा।
इस साल की शुरुआत में हेमंत सोरेन को इस्तीफा देना पड़ा था क्योंकि प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया था कि वह भूमि घोटाला मामले में शामिल थे।
गठबंधन भी उनके पीछे पूरी तरह खड़ा है। कल यह निर्णय रांची में हुआ कि कमान हेमंत सोरेन के हाथों में होगी। और गठबंधन बैठक से पहले मंगलवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) विधायकों की बैठक हुई, जिसमें सत्ता पक्ष के विधायकों ने सीएम के रूप में हेमंत सोरेन की वापसी पर सहमति जताई थी।
गठबंधन को क्यों लगता है कि हेमंत सोरेन को सीएम बनना चाहिए?
एक वरिष्ठ विधायक ने कहा, “अगर गठबंधन चंपई सोरेन के नेतृत्व में चुनाव लड़ता, और सत्ता में लौटता है, तो हेमंत सोरेन के लिए मुख्यमंत्री बनना मुश्किल होता, क्योंकि जनादेश चंपई सोरेन के लिए होता।”
“अगर चंपई सोरेन मुख्यमंत्री रहते तो यह विधानसभा चुनावों के दौरान मंत्रियों, विधायकों और कार्यकर्ताओं के लिए भी भ्रम पैदा करता, क्योंकि दो शक्ति के केंद्र होते। इसके अलावा, चूंकि हेमंत सोरेन को फर्जी मामले में फंसाया गया है, इसलिए वह भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए का मुकाबला कर सकते हैं और इस संदेश को लोगों तक पहुँचा सकते हैं,” उन्होंने कहा।
लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात सीपीआईएमएल विधायक विनोद सिंह, जिनकी पार्टी का गठबंधन सरकार को बाहर से समर्थन है, ने कहा, “लड़ाई का एक सेनापति (एक नेता) होना चाहिए। इसलिए आगामी चुनाव में हेमंत सोरेन को आगे बढ़कर नेतृत्व करना सही फैसला है”।
राजनीतिक विश्लेषक विष्णु राजगड़िया भी इस बात से सहमति रखते हुए आगे कहते हैं “भाजपा तो हर हाल में गठबंधन सरकार में कमी निकालेगी। पर हेमंत सोरेन का सामने से लड़ने का मतलब है, भाजपा के भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पलट कर सीधा जवाब। भले भाजपा परिवारवाद का राग अलापे पर अब भ्रष्टाचारी-भ्रष्टाचारी नहीं चिल्ला सकते। आगे हेमंत सोरेन का आक्रमक रुख भी रहेगा उनके खिलाफ।”
झारखंड विधानसभा चुनाव दिसंबर में होने हैं। हालांकि, जेल से रिहा होने के बाद हेमंत सोरेन ने दावा किया कि बीजेपी चाहती है कि झारखंड में विधानसभा चुनाव जल्दी हो, इसलिए हरियाणा और महाराष्ट्र राज्य के चुनावों के साथ सितंबर-अक्टूबर में कराया जा सकता है।
गौरतलब है कि जब सोरेन जेल में थे तो उनकी पत्नी कल्पना मुर्मू सोरेन ने उपचुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
81 सीटों वाली झारखंड विधानसभा में, गठबंधन को 48 विधायकों का समर्थन प्राप्त है, जिसमें झामुमो के 29, कांग्रेस के 17 और राजद और सीपीआईएमएल के एक-एक विधायक शामिल हैं।