चंपई सोरेन नहीं छोड़ना चाहते थे मुख्यमंत्री पद- सूत्र
ईन्यूज़रूम विशेष: "चंपई सोरेन को इस्तीफा देने के बजाय हेमंत सोरेन को सत्ता सौंपनी चाहिए थी'। और अगर वह अपमानित हुए थे तो फिर मंत्री पद स्वीकार नहीं करना चाहिए था
रांची/ कोलकाता: जुलाई के गठबंधन विधायक दल की बैठक में चंपई सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने से इंकार कर दिया था, ईन्यूज़रूम से सूत्र ने दावा किया कि चंपई सोरेन, सीएम बने रहना चाहते थे।
“मैं प्रत्यक्षदर्शी हूँ कि जब विधायक दल की बैठक के दौरान चंपई सोरेन को बताया गया कि अब हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बनेंगे और उन्हें इस्तीफा देना है, तो उन्होंने मना कर दिया था। हालांकि, उन्हें इस बात पर किसी भी विधायक का समर्थन नहीं मिला और उन्होंने अंततः इस्तीफा दे दिया।”
फरवरी 2 को सराईकेला विधायक को हेमंत सोरेन के ज़मीन घोटाले मामले में जेल जाने के बाद गठबंधन का मुख्यमंत्री बनाया गया था। जब हेमंत सोरेन को झारखंड हाईकोर्ट ने इस मामले में बरी कर दिया, तो जुलाई 3 को गठबंधन के विधायक दल की बैठक में चंपई सोरेन को इस्तीफा देने को कहा गया था।
रविवार को दिल्ली पहुँचकर चंपई सोरेनने एक पत्र अपने सोशल मीडिया पर शेयर किया और मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने की प्रक्रिया को अपमानजनक बताया। चंपई, जो अभी मंत्री हैं ने विधायक दल की बैठक बिना मुख्यमंत्री की आज्ञा के बुलाने पर भी सवाल उठाया है।
हालांकि दस्वी पास एक आदिवासी नेता ने जितनी शुद्ध हिन्दी में अपने पत्र को लिखा है, उससे भी सोशल मीडिया में चर्चा हो रही की, उनके पीछे कौन लोग हैं? और पत्र में जिस तरह से इस्तीफे के दिन के घटनाक्रम को दर्शाया गया है, उससे सूत्र के बात की पुष्टि होती है की, जेएमएम नेता मुख्यमंत्री पद छोड़ना नहीं चाहते थे।
सूत्र ने आगे कहा, “आज वह अपमानित होने की बात कर रहे हैं। तब फिर उन्हें दोबारा मंत्री नहीं बनना चाहिए था और पार्टी से कुछ और माँग करनी चाहिए थी। यह तो देश में सिर्फ तीसरी बार (बाबूलाल गौड़ और पनीरसेलवम के बाद) हुआ कि कोई मुख्यमंत्री रहने के बाद मंत्री बना हो।”
अंत में उन्होंने कहा, “2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड में सरकार चलाने का जनादेश हेमंत सोरेन को मिला था। होना तो यह चाहिए था कि जब हेमंत सोरेन को कोर्ट ने बरी कर दिया, तो चंपई सोरेन खुद से कहते कि अब मेरे नेता को कोर्ट ने बेगुनाह साबित कर दिया है, इसलिए जो जिम्मेदारी मुझे दी गई थी, राज्य चलाने की, वह अब मैं वापस उन्हें सौंप रहा हूँ। पर ऐसा चंपई सोरेन ने नहीं किया।”
इस बाबत अगर पूर्व मुख्यमंत्री का बयान आता है, तो उसे भी इस रिपोर्ट में जोड़ा जाएगा।
वहीं जेएमएम के तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री के पत्र पर कोई प्रतिकृया नहीं आई है। हाँ, हेमंत सोरेन ने रविवार के अपने भाषण में भाजपा पर फिर से उनके दल को तोड़ने का आरोप लगाया है।