पुस्तक समीक्षा
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गांधी की स्मृति से गाजा की वास्तविकता तक फिंकेलस्टीन की यात्रा
जैसे ही मैंने नॉर्मन फिंकेलस्टीन की ‘गाजा: एन इनक्वेस्ट इन इट्स मार्टिरडम’ का आखिरी पन्ना पलटा, खबर आई कि इजराइल…
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‘नदी सिंदूरी’ पर बोले अभय दुबे- घटनाएं चरित्रों की तरह दिखने लगे तब रचना साधारण नहीं रह जाती
नई दिल्ली। जब घटनाएं और गतिविधियां चरित्रों की तरह दिखाई देने लगे तब वह रचना साधारण नहीं रह जाती। शिरीष…
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कोरोना-काल में मातृ-साया की कहानी बयां करती ‘आंधारी’
आंधारी; अस्सी साल की एक बुर्जुग महिला मातंगी के जीवन पर आधारित उपन्यास है, जो महानगर के काका-नगर कॉलोनी में…
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