रांची: आयुष्मान भारत योजना ने गरीब परिवारों को बड़ी राहत दी है। पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के अनुसार अब तक झारखंड के 57 लाख परिवारों को इस योजना का कवरेज मिल चुका है।
राज्य के विभिन्न हिस्सों से आयुष्मान भारत के लाभुकों से इस योजना का महत्व सामने आता है। लेकिन जिन जरूरतमंद लोगों तक किसी चूक के कारण इसका लाभ नहीं पहुंच रहा, उन्हें तत्काल जोड़ना जरूरी है। गुमला जिले के बसिया प्रखंड की राधा कुमारी को इस योजना का लाभ मिले, तो सकारात्मक उदाहरण होगा।
ममराला पंचायत के नारेकेला ग्राम की निवासी 40 वर्षीय राधा कुमारी के पास एक कच्चे मकान के सिवाय कुछ नहीं। अविवाहित है, भरण-पोषण करने वाला कोई नहीं। आय का साधन भी नहीं। लंबे समय से कुपोषित और बीमार है। अनीमिया की शिकार है। रिश्तेदारों की मदद से किसी तरह गुजारा चल रहा है।
राधा देवी के पास बीपीएल और आधार कार्ड है। पहले राशन कार्ड भी था। पुराने कार्ड निरस्त होने के बाद उसका नया राशन कार्ड नहीं बना। इसके कारण गोल्डन कार्ड नहीं बन रहा, आयुष्मान भारत में इलाज नहीं होगा।
नवंबर 2017 में राधा कुमारी ने राशन कार्ड के लिए आवेदन दिया था। अब फिर 12 सितंबर को मुखिया से सत्यापित कराकर बसिया प्रखंड कार्यालय में आवेदन दिया। बीडियो ने जिला कार्यालय जाने का सुझाव दिया। लेकिन वहां से भी कोई रास्ता नहीं निकला।
शनिवार को राधा कुमारी की तबीयत काफी बिगड़ गई। रिश्तेदारों ने उसे कोनबीर रेफरल अस्पताल पहुंचाया। लेकिन डॉ विजय लकड़ा ने गोल्डन कार्ड के बगैर इलाज से मना कर दिया। राधा कुमारी की एक अटेंडेंट ने बसिया के बीडीओ से मोबाइल पर बात करानी चाही। लेकिन डॉक्टर ने बात करने से मना कर दिया। एक पर्ची बनाकर बाहर से दवा लेने और कुछ जांच कराने की बात कह दी।
फिलहाल राधा कुमारी को वापस घर ले आया गया है। लेकिन इलाज और राशन के अभाव में उसका जीवन संकटग्रस्त है।
आयुष्मान भारत की सफलता के लिए जरूरी है कि ऐसे मामलों में जिला प्रशासन संवेदनशील हो। अगर झारखण्ड के 68 लाख परिवारों में से 57 लाख परिवारों को आयुष्मान में कवर किया जा चुका है, तो राधा कुमारी जैसी जरूरतमंद इसमें क्यों न हो? संभव है, किसी तकनीकी कारण से उसका नाम शामिल न हो। लेकिन प्रखंड के अधिकारी संवेदनशील हों, तो ऐसे मामलों का हल मुश्किल नहीं।
एक बात और। जब आयुष्मान भारत योजना नहीं थी, तब भी सबका इलाज होता था। रेफरल अस्पताल बना किसलिए है? गोल्डेन कार्ड के बहाने किसी जरूरतमंद को सामान्य इलाज से भी मना कर देंगे, तो आयुष्मान भारत योजना बदनाम होगी। राधा का इलाज न हुआ, तो आयुष्मान पर कलंक का टीका लग जाएगा नड्डा साहब!