गिरिडीह: झारखंड मुक्ति मोर्चा (Jharkhand Mukti Morcha) के कद्दावर नेता गाण्डेय विस क्षेत्र के विधायक डॉ सरफराज अहमद ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। जिसके स्वीकृति की पुष्टि झारखंड विधानसभा के प्रभारी सचिव ने एक जनवरी 2024 को करते हुए स्पष्ट किया कि डॉ अहमद के इस्तीफे के बाद गाण्डेय सीट रिक्त हो गई है।
2024 की पहली जनवरी को झारखंड की राजनीति को अपने जीवन के लगभग पांच दशक देने वाले डॉ अहमद जैसे कद्दावर नेता जब अचानक विधायकी से इस्तीफा देते हैं तो निकट भविष्य में राज्य की राजनीति में किसी बड़े सियासी उलटफेर की चर्चा होना, अनुमान लगाना स्वाभाविक है।
जाने जेएमएम विधायक सरफराज अहमद के बारे में
एकीकृत बिहार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे डॉ अहमद 2019 में कांग्रेस (Congress) छोड़कर झामुमो (JMM) में शामिल हो गये थे। 2019 में जेएमएम के टिकट पर चुनाव लड़ा और तीसरी बार गाण्डेय के विधायक बने। इससे पहले 1984 में गिरिडीह लोकसभा से कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने थे। स्व राजीव गांधी के समय 1985 में एआईसीसी (AICC) के संयुक्त सचिव रहे।
हालांकि जेएमएम और कांग्रेस पार्टी की और से इस संदर्भ में किसी नेता का कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। सत्तारूढ़ दल के नेता कुछ भी बोलने से बच रहे है। स्वयं डा अहमद ने भी कुछ नहीं कहा है। उन्होंने एक बयान जारी कर इतना बताया, मेरे ये कदम के ये कदम पार्टी और सरकार को मजबूती और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हाथों को मजबूत करने के लिया उठाया है।
इस बीच सियासी अनुमान से प्राप्त संकेतों के मुताबिक डा अहमद के इस्तीफे के कई कारण हो सकते है। चर्चा है कि ईडी (ED) के लगातार बढ़ते दबाव और विपक्ष के हमले के मद्देनजर सीएम हेमंत सोरेन इस्तीफा देकर अपने उत्तराधिकारी के रूप में पत्नी कल्पना सोरेन को ला सकते है। छह माह के भीतर होने वाले गाण्डेय में विस चुनाव कल्पना सोरेन चुनाव लड़ सकती है। क्योंकि गाण्डेय सीट भले ही सामान्य है लेकिन जेएमएम के स्व सलखन सोरेन तीन और डॉ अहमद तीन बार यहां से विधायक बने है।
भाजपा के कैंडिडैट जय प्रकाश वर्मा जो पिछली बार जेएमएम कैंडिडैट के खिलाफ खड़े थे, वो खुद अब जेएमएम जॉइन कर चूके हैं, इसलिए पार्टी के लिए ये एक ‘सेफ सीट’ मानी जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक जेएमएम इसी साल झारखंड में होने वाले राज्यसभा चुनाव में डॉ अहमद को एडजेष्ठ कर सकती है। कुछ विश्लेषक 2024 के आम चुनाव में अपने पुराने घर वापस लौटकर इंडिया गठबंधन के बैनर तले कोडरमा से लोकसभा का चुनाव भी लड़ सकते हैं को भी एक कारण बता रहें है।
पर 1977 से कांग्रेस पार्टी के बैनर तले सक्रिय राजनीति की शुरुआत करने वाले डॉ अहमद ने ईन्यूज़रूम को साफ किया कि कोडरमा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का कोई इरादा नहीं है और सक्रिय राजनीति में बने रहेंगे।